झारखंड हाई कोर्ट ने मंगलवार (13 सितंबर, 2022) को सुनवाई के दौरान एक 19 वर्षीय रेप पीड़िता को गर्भपात कराने से मना कर दिया है। अदालत ने राज्य सरकार को पीड़िता युवती की मदद देने के उपाय बताने का निर्देश दिया। युवती के साथ 2018 में भी बलात्कार हुआ था। वहीं इस केस की अगली सुनवाई 14 सितंबर, 2022 को हुई।
रेप पीड़िता पहले से ही नेत्रहीन है और वह अपने पिता के साथ अकेली ही घर में रहती हैं। उसकी माँ भी पहले ही गुजर चुकी है। फिलहाल उसके गर्भ में 28 सप्ताह का भ्रूण है। गर्भपात के लिए पीड़िता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसकी सुनवाई करते हुए कोर्ट ने गर्भपात नहीं करवाने का आदेश दिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक हाई कोर्ट ने इस केस की सुनवाई करते हुए 9 सितंबर को राँची (Ranchi) के मेडिकल कॉलेज रिम्स के प्रबंधन को इसके लिए एक मेडिकल बोर्ड गठित कर इस बाबत रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे। रिम्स के मेडिकल बोर्ड ने कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में कहा है कि इस समय युवती का गर्भपात सुरक्षित नहीं होगा।
इसी रिपोर्ट के आधार पर अदालत ने युवती को गर्भपात की इजाजत नहीं दी। कोर्ट ने इसके साथ-साथ राज्य सरकार से सवाल किया कि वो रिम्स और पीड़ित युवती के अधिवक्ताओं से बातचीत करके ये बताए कि अब इस मामले में अब क्या करना चाहिए? राज्य सरकार की ओर से पीड़ित युवती के रामगढ़ स्थित महिला आश्रय में रहने की व्यवस्था की भी बात कही गई।
इससे पहले भी हुआ था बलात्कार
झारखंड आदिवासी समुदाय की रहने वाली इस नेत्रहीन युवती के साथ पहली बार साल 2018 में बलात्कार हुआ। वो केस भी अभी अदालत में चल रहा है। पीड़िता को 2022 में दूसरी बार हवस का शिकार बनाया गया, उसके गर्भ में बच्चा भी ठहर गया। इस बात का खुलासा बीते दिनों सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उसकी मेडिकल जाँच के बाद हुआ।
गौरतलब है कि पीड़िता का परिवार गरीबी रेखा से नीचे वाली श्रेणी में आता है। बताया जा रहा है कि उसके घर में न तो पानी आता है और न ही बिजली। वहीं पीड़िता के पिता एक रिक्शा चालक है। बलात्कार की इन दोनों घटनाओं ने युवती को अंदर से तोड़ दिया, जिसके कारण उसने गर्भपात के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया।