आरिब मजीद (Areeb Majeed) शुक्रवार (5 मार्च 2021) को जेल से बाहर निकल गया। बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिछले दिनों उसकी जमानत बरकरार रखी थी। उस पर आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) में शामिल होने के लिए सीरिया जाने का आरोप है। कथित तौर पर वह 2014 में तीन अन्य लोगों के साथ आईएस में शामिल होने गया था। छह महीने बाद लौट आया। देश लौटते ही आतंकरोधी दस्ते ने उसे गिरफ्तार कर राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) के हवाले कर दिया था।
Areeb Majeed from Kalyaan, the only Indian to return after allegedly fighting the Islamic State (IS) War in Syria, walked out of Arthur Road prison on bail, today.
— Live Law (@LiveLawIndia) March 5, 2021
The Bombay High Court confirmed his bail on February 23. #IslamicState #AreebMajeed #BombayHC #NIA pic.twitter.com/3NpM3xR49r
अदालत ने कहा, “हमने देखा है कि प्रतिवादी एक शिक्षित व्यक्ति है। 21 वर्ष की आयु में जब वह इराक के लिए रवाना हुआ था, तब वह सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई कर रहा था। उसने स्पष्ट रूप से कहा है कि 21 वर्ष की आयु में वह भटक गया था और उसने गंभीर गलती की है, जिसके लिए वह पहले से ही छह साल से ज्यादा वक्त जेल में काट चुका है।”
अदालत ने यह भी कहा, “पिछले छह साल की कैद में प्रतिवादी ने एनआईए कोर्ट में खुद ही अपने मामले पर बहस की है। उसने इस कोर्ट में और एनआईए कोर्ट में अपने मामले का प्रतिनिधित्व किया है और हम देख सकते हैं कि उसने अपना मामला शिष्टाचार और उचित तरीके से पेश किया है।”
आरिब मजीद ने दावा किया कि उसे एनआईए और इस्तांबुल स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास की मदद से लाया गया था। लाइवलॉ की रिपोर्ट के अनुसार उस पर आईपीसी की यूएपीए की धारा 125 (भारत सरकार की सहयोगी किसी एशियाई शक्ति के खिलाफ युद्ध छेड़ना) और धारा 16 (आतंकवादी गतिविधि के लिए सजा) और धारा 18 के तहत आरोप लगाया गया है।
जब अदालत ने उससे देश से बाहर जाने को लेकर सवाल किया तो उसने कहा, “मैं 21 साल का था, मैं दुखी होकर चला गया। वहाँ जाकर मैं लोगों की मदद कर रहा था।” उसने यह भी दावा किया कि उस पर लगाए आतंकवाद के आरोप झूठे हैं।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने उसे जमानत देते हुए शर्तें लगाई है। इसके मुताबिक पहले दो महीनों तक दिन में दो बार, उसके बाद अगले दो महीनों तक दिन में एक बार, उसके बाद अगले दो महीने तक सप्ताह में तीन बार, उसके बाद ट्रायल पूरा होने तक सप्ताह में दो बार उसे स्थानीय पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करना होगा।
गौरतलब है कि मजीद को विशेष अदालत ने 17 मार्च 2020 को जमानत दी थी। इसके बाद एनआई ने हाईकोर्ट में अपील की और आदेश पर रोक लगा दी गई थी। लेकिन, बॉम्बे हाई कोर्ट से जमानत मिलते ही उसके जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया।