लद्दाख क्षेत्र स्थित गलवान घाटी में हुई भारतीय और चीनी सैनिकों की झड़प के बाद देशभर में चाइनीज प्रॉडक्ट के बहिष्कार की आवाज उठ रही है, लेकिन क्या आप यह बात जानते हैं कि रिलायंस जियो दुनिया का एकमात्र ऐसा नेटवर्क है, जो एक भी चीनी उपकरण का उपयोग नहीं करता है।
यह भी एक संयोग ही है कि आज ही अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने रिलायंस जियो को हुवाई जैसी चीनी कंपनियों के साथ व्यापार ना करने के लिए दुनिया के ‘क्लीन टेल्कोस‘ (Clean Telecos) के रूप में शामिल किया है।
दरअसल, इस बात की जानकारी रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के अध्यक्ष मुकेश अंबानी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को गत फरवरी माह में उनके भारत दौरे के समय ही दे दी थी। यह दिलचस्प बात है कि उस समय भारत में चीनी सामान के बहिष्कार को लेकर ख़ास माहौल भी नहीं था।
दरअसल, फरवरी माह में जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत आए थे, तब उन्होंने मुकेश अंबानी से पूछा था, ‘आप 4G पर काम कर रहे हैं। क्या आप 5G पर भी जाने की तैयारी कर रहे हैं?’
इसके जवाब में आरआईएल के अध्यक्ष मुकेश अंबानी ने ट्रम्प से कहा था कि हम 5G में भी जाने की तैयारी कर रहे हैं और रिलायंस जियो दुनिया में अकेला ऐसा नेटवर्क हैं, जिसमें किसी चीनी कंपोनेंट का यूज नहीं किया गया है।
गौरतलब है कि चीन के साथ आर्थिक सम्बन्धों को लेकर अमेरिका का हमेशा से ही कठोर रुख रहा है। यही वजह थी कि अमेरिका ने तब भारत पर यह दबाव भी बनाने का प्रयास किया था कि वह 5G तकनीक के लिए चीन के ‘हुवाई’ (Huawei) कम्पनी को बाहर रखे।
अमेरिका ने हमेशा ही इन चीनी कम्पनियों को सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक बताया है। अमेरिका का मानना है कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार द्वारा इन कम्पनियों का इस्तेमाल जासूसी में किया जाता है।
एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया जैसे भारतीय टेलीकॉम अपने वर्तमान नेटवर्क में चीनी हुवाई के साथ काम कर रहे हैं, जबकि ज़ीटीई (ZTE) सरकार द्वारा संचालित बीएसएनएल के साथ काम करता है।
अमेरिका ने जियो को किया ‘क्लीन टेल्कोस’ में शामिल
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने आज बुधवार (जून 24, 2020) को रिलायंस जियो को हुवाई जैसी चीनी कंपनियों के साथ व्यापार ना करने के लिए दुनिया के ‘क्लीन टेल्कोस‘ (Clean Telecos) के रूप में सूचीबद्ध किया है।
अमेरिकी विदेश मंत्री पोम्पियो ने एक ट्वीट में कहा – “माहौल हुवाई से दूर होकर भरोसेमंद 5G विक्रेताओं की ओर रुख कर रहा है। दुनिया की प्रमुख टेलीकॉम कम्पनियाँ – टेलिफोनिका, ऑरेंज, जियो, टेल्स्ट्रा, और कई और ‘क्लीन टेल्को’ बन रहे हैं। वे ‘सीसीपी’ (CCP) के ‘जासूसी राज्य’ के साथ व्यापार करने से इनकार कर रहे हैं।”