Monday, December 23, 2024
Homeदेश-समाजबजट 2019: 1 लाख और 'डिजिटल गाँव' की योजना... 10 करोड़ नए लोग जुड़ेंगे...

बजट 2019: 1 लाख और ‘डिजिटल गाँव’ की योजना… 10 करोड़ नए लोग जुड़ेंगे इंटरनेट से

अगर एक गाँव में औसतन 1000 ग्रामीणों (असल में लगभग 1250 ग्रामीण) को भी लेकर सोचें तो आने वाले पाँच साल में करीब 10 करोड़ लोग डिजिटल इंडिया से जुड़ेंगे और तकनीक की मदद से स्वयं ही खुद के लिए अवसरों को खोज़ पाएँगे।

साल 2014 में सत्ता का कार्यभार संभालने के साथ ही मोदी सरकार ने देश को डिजिटल बनाने का एक सपना देखा था। परिणाम आज हम देख सकते हैं कि भारत अब दुनिया में मोबाइल डेटा का सर्वाधिक उपयोग करने वाला देश बन चुका है। सरकार का उद्देश्य है कि अब इस योजना के प्रभाव को और भी अधिक विस्तृत रूप दिया जाए ताकि छूटे हुए क्षेत्रों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग डिजिटल इंडिया से जुड़ सकें। इसी दिशा में आज (फरवरी 1, 2019) अंतरिम बजट को पेश करने के दौरान सरकार ने घोषणा की है कि आगामी पाँच वर्षों में 1 लाख गाँवों को डिजिटल किया जाएगा। उनका कहना है कि सरकार इस लक्ष्य को जन सुविधा केंद्रों का विस्तार करके हासिल करेगी।

संसद में कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने इस बात को कहा, “जन सुविधा केन्द्र गाँव में कनेक्टिविटी के साथ-साथ अपनी सेवाओं का विस्तार कर रहे हैं और डिजिटल ढाँचा भी तैयार कर रहे हैं, जिससे हमारे गाँव ‘डिजिटल गाँवों’ में बदल रहे हैं।” उन्होंने कहा कि 3 लाख से अधिक जन सुविधा केन्द्र लगभग 12 लाख लोगों को रोज़गार प्रदान करने के साथ-साथ नागरिकों को अनेक डिजिटल सेवाएं भी प्रदान कर रहे हैं।

पीयूष गोयल ने बताया कि अब पूरी दुनिया में भारत एक ऐसा देश है, जहाँ सबसे सस्ते मोबाइल टैरिफ उपलब्ध हैं। उन्होंने बजट पेश करते समय इस बात की जानकारी भी दी कि पिछले 5 वर्षों में मोबाइल डेटा के मासिक इस्तेमाल में 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। आपको बता दें कि इस समय भारत में डेटा और वॉयस कॉल्स की कीमतें सम्भवत: पूरे विश्व में सबसे कम है।

ऐसे में 1 लाख गाँवो को डिजीटल करने का सपना अगर आने वाले पाँच सालों में वाकई सच होता है तो सरकार के साथ देश के लिए भी यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। एक लाख गाँवों को डिजिटल इंडिया का हिस्सा बनाने का सपना न केवल पिछड़े लोगों को तकनीक से जोड़ेगा बल्कि रोज़गार की संभावनाओं को भी विस्तार देगा। हम अगर एक गाँव में औसतन 1000 ग्रामीणों (असल में लगभग 1250 ग्रामीण) को भी लेकर सोचें तो आने वाले पाँच साल में करीब 10 करोड़ लोग डिजिटल इंडिया से जुड़ेंगे और तकनीक की मदद से स्वयं ही खुद के लिए अवसरों को खोज़ पाएँगे।

सरकार द्वारा लिया गया यह फ़ैसला बेहद सराहनीय योग्य है, क्योंकि इस योजना से पहले ही देश के नागरिकों को कई फायदे पहुँच चुके हैं। मोदी सरकार के नेतृत्व में आधार कार्ड के माध्यम से देश के 121.9 करोड़ निवासियों को डिजिटल पहचान मिली है। जिसमें 30 नवम्बर 2018 तक के आंकड़ों में 99% वयस्क शामिल हैं। इस योजना के बढ़ते हुए प्रभावों के कारण देश की अर्थव्यवथा में भी बड़ा बदलाव आया है। तकनीक से भागने वाले लोग भी आज पैसों का लेन-देन ऑनलाइन से करने लगे हैं। ये सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना की उपलब्धि ही है कि ‘भीम ऐप’ और ‘आधार कार्ड’ को वैश्विक स्तर पर पहचान मिली है।

बीते 4 सालों में डिजिटल रास्ता अपनाकर लोगों ने इन आँकड़ों को काफी उछाला है। एक तरफ 2014-15 में जहाँ मात्र ₹316 करोड़ के ट्रान्जेक्शन हुए थे, वहीं 2017-2018 में यह आँकड़ा ₹2,071 करोड़ तक पहुँच गया। इसके अलावा ‘डिजिटल इंडिया’ की दिशा में ‘डिजी लॉकर’ नाम की ऐप भी लॉन्च की गई। इसमें आप अपने आधार नंबर से ही सभी ज़रूरी काग़ज़ात निकाल सकते हैं, चाहे वो दसवीं की मार्कशीट ही क्यों न हो। जिन काग़ज़ात के खो जाने पर हमें संस्थानों के चक्कर लगाने पड़ते थे, आज वो सब इंटरनेट के ज़रिए मात्र आधार नंबर से पाए जा सकते हैं।

बजट को पेश करते हुए पीयूष गोयल ने मेक इन इंडिया के प्रभावों के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया के अंतर्गत भारत मोबाइल के पुर्जों को बनाने वाली कंपनी के साथ नई ऊँचाईंयों पर पहुँच रहा है। एक समय में जहाँ देश में मोबाइल पुर्जों की निर्माता संख्या सिर्फ दो थी, वो पहले से बढ़कर अब 286 हो गई है। जिसकी वज़ह से रोज़गार के अवसर प्रदान हुए हैं।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -