कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने पश्चिम बंगाल के मालदा (Malda, West Bengal) में दो महिलाओं द्वारा उनके पतियों को विरोधी दल को समर्थन करने की सजा के रूप में जबरन इस्लाम में धर्मांतरित करने के मामले की जाँच CBI या NIA से कराने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी राज्य पुलिस को जाँच में सहयोग करने का निर्देश दिया है।
पश्चिम बंगाल में 2021 का विधानसभा चुनाव जीतने के बाद से तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के गुंडों का राज्य में तांडव जारी है। टीएमसी के गुंडे राज्य में भाजपा के कार्यकर्ताओं की हत्या, बलात्कार और उनके घरों में आगजनी को अंजाम दे रहे हैं। इस मामले में भी दो पीड़ित भाजपा समर्थक बताए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि जिस राजनीतिक दल के गुंडों द्वारा धर्मांतरण कराने की बात कही जा रही है, वह TMC है।
महिलाओं ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कहा है कि उनके पतियों, रिश्तेदार भाइयों और जिले के कालियाचाक इलाके के निवासियों को जबरन धर्मांतरित कर हिन्दू से मुस्लिम बना दिया गया। महिलाओं ने कहा कि उनके पति विधानसभा चुनाव में एक राजनीतिक दल के काम करते थे और जब वह चुनाव हार गई तो विरोधी दल ने सजा के तौर उन्हें धर्मांतरित कर दिया।
BREAKING: The #CalcuttaHighCourt has ordered a CBI/NIA probe in a plea by the wives of 2 politicians alleging that their husbands were forcibly converted to Islam by a political party as a punishment for supporting a rival political party after they lost in the assembly election.
— LawBeat (@LawBeatInd) May 21, 2022
इस मामले में दोनों महिलाएँ बहनें हैं और उनके पति आपस में भाई हैं। ये दोनों एक पार्टी के लिए काम करते थे। साल 2021 में वह पार्टी विधानसभा चुनाव हार गई। महिलाओं का आरोप है कि उनके पति 24 नवंबर 2021 से लापता हैं। इस संबंध में उन्होंने पुलिस में शिकायत भी दी, लेकिन संबंधित थाने में उनकी शिकायतों को फाड़ दिया गया। इसके साथ ही इन महिलाओं को बताया गया कि उनके पतियों ने इस्लाम अपना लिया है।
वहीं, पश्चिम बंगाल सरकार के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि पतियों ने पारिवारिक विवादों के कारण अपना घर छोड़ दिया था और उन्होंने अपनी मर्जी से इस्लाम अपना लिया था। इसी कारण दोनों ने वापस अपने घर जाने से इनकार कर दिया। वकील ने कोर्ट को बताया कि धर्मांतरण से पहले इनका नाम गौरांग मंडल और बुद्धु मंडल था। अब गौसल आजम और मोहम्मद इब्राहिम के नाम से जाने जाते हैं। इस संबंध उन्होंने दोनों के धर्मांतरण का शपथ-पत्र भी कोर्ट के समझ प्रस्तुत किया।
The advocate for the State of #WestBengal informed the court that the husbands had left their homes due to family disputes and converted themselves to Islam VOLUNTARILY and therefore refused to return back to their residences.
— LawBeat (@LawBeatInd) May 21, 2022
इस पर कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस राजशेखर मंथा ने कहा है कि यह स्पष्ट नहीं है कि हलफनामे की पुष्टि क्यों और किस उद्देश्य के लिए की गई है। अदालत ने आगे कहा कि यह इस मामले में सबसे गौर करने वाली बात है कि पुलिस ने अभी भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की है और शिकायत मिलने के बाद ना ही कोई कदम उठाया है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इसके अलावा भी अन्य आरोप हैं। इनमें जबरन धर्मांतरण, सीमा पार से घुसपैठ, भारी मात्रा में हथियारों एवं गोला-बारूद तथा नकली मुद्रा का भंडारण, अपहरण और धमकी शामिल हैं। कोर्ट ने कहा कि ये आरोप रिट याचिकाकर्ताओं के दावों से सीधे ना जुड़ा हो, लेकिन उनके पतियों के अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन से जुड़ा हुआ है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने मालदा जिले के SP को हलफनामे के रूप में अपनी स्वतंत्र एवं विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। इसके साथ जस्टिस मंथा ने कहा कि पुलिस को याचिकाकर्ताओं की जान के खतरे को देखते हुए उनकी सुरक्षा की समीक्षा करनी चाहिए। इस मामले की अगली सुनवाई 21 जून को होगी।
बता दें कि साल 2021 में भाजपा के विधानसभा चुनाव हारने के बाद टीएमसी के गुंडों द्वारा चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल को हिंसा में झोंक दिया गया था। सैकड़ों भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई, उनके साथ बलात्कार किया गया और उन्हें अपने घरों से भागने पर मजबूर कर दिया गया। राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर आगजनी और हिंसा टीएमसी के गुंडों द्वारा दिन का क्रम बन गया।