Monday, December 23, 2024
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‘क्या अपने पालतू जानवर का नाम हिन्दू देवी या मुस्लिम प्रोफेट के नाम पर रखोगे?’: कलकत्ता हाई कोर्ट ने बंगाल सरकार से कहा- बदलो शेर और शेरनी का नाम

कलकत्ता हाई कोर्ट के जज सौगत भट्टाचार्य ने आगे कहा, "इस देश के एक बड़े वर्ग द्वारा सीता की पूजा की जाती है… मैं शेर का नाम अकबर के नाम पर रखने का भी विरोध करता हूँ। वह एक कुशल, सफल और धर्मनिरपेक्ष मुगल सम्राट थे।" हाई कोर्ट ने बंगाल सरकार से कहा कि शेरों का नाम बिजली या फिर ऐसा ही कुछ रखा जा सकता है।

कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए कहा है कि बंगाल सरकार सिलीगुड़ी चिड़ियाघर में लाए गए शेर और शेरनी के नाम को बदले। कोर्ट ने बंगाल सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आखिर ऐसे नामकरण क्यों करने चाहिए। दरअसल, इस जोड़े में शेर का नाम अकबर और शेरनी का नाम सीता रखा गया था। इसके खिलाफ विश्व हिन्दू परिषद (VHP) ने याचिका डाली थी।

कलकत्ता हाई कोर्ट के जज सौगत भट्टाचार्य की एक सदस्यीय बेंच ने गुरुवार (22 फरवरी 2024) को मामले की सुनवाई करते हुए बंगाल सरकार को फटकार लगाई। उन्होंने बंगाल सरकार से पूछा कि क्या वह अपने पालतू जानवर का नाम हिन्दू देवी या फिर मुस्लिम पैगम्बर के नाम पर करेंगे। दरअसल, शेरों का यह जोड़ा हाल ही में त्रिपुरा से लाया गया था। इसके बाद इनके नाम को लेकर विवाद हो गया था।

बंगाल सरकार के वकील से जज ने कहा, “वकील साहब, क्या आप स्वयं अपने पालतू जानवर का नाम किसी हिंदू भगवान या मुस्लिम पैगंबर के नाम पर रखेंगे… मुझे लगता है, अगर हम में से कोई भी होता तो उनका नाम अकबर और सीता नहीं रखता। क्या हम में से कोई रवीन्द्रनाथ टैगोर के नाम पर किसी जानवर का नाम रखने के बारे में सोच सकता है?”

कलकत्ता हाई कोर्ट के जज सौगत भट्टाचार्य ने आगे कहा, “इस देश के एक बड़े वर्ग द्वारा सीता की पूजा की जाती है… मैं शेर का नाम अकबर के नाम पर रखने का भी विरोध करता हूँ। वह एक कुशल, सफल और धर्मनिरपेक्ष मुगल सम्राट थे।” हाई कोर्ट ने बंगाल सरकार से कहा कि शेरों का नाम बिजली या फिर ऐसा ही कुछ रखा जा सकता है।

हालाँकि, बंगाल सरकार ने कोर्ट को बताया कि उसने इन शेरों को नाम नहीं दिया है। ये नाम पहले ही दिए गए थे। बंगाल सरकार की ओर से वकील ने यह भी कहा कि शेर और शेरनी के ये नाम साल 2016 और साल 2018 में त्रिपुरा में दिया गया था। इस पर हाई कोर्ट ने बंगाल सरकार के वकील से कहा कि वह इन नामों को बदलने के लिए राज्य सरकार से कहें।

इसके बाद वकील ने कहा कि वह शेर-शेरनी का नाम बदलने के लिए सरकार से कहेंगे। हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि विश्व हिन्दू परिषद की इस याचिका को जनहित याचिका माना जाए और उसके अंतर्गत सूचीबद्ध किया जाए। कोर्ट ने इस दौरान यह भी कहा कि जानवरों का नाम प्रसिद्ध हस्तियों के नाम पर रखना सही नहीं है और इससे विवाद को बढ़ावा मिलेगा।

गौरतलब है कि 16 फरवरी, 2024 को कलकत्ता हाई कोर्ट के समक्ष इस सम्बन्ध में विश्व हिन्दू परिषद याचिका डाली थी। उसने कहा था कि सिलीगुड़ी में लाए गए शेरों के इस जोड़े के नामों से हिन्दू भावनाओं को ठेस पहुँचती है और इसे बदला जाए। उन्होंने कहा था कि यह देवी देवताओं का अपमान है और सीधे तौर पर हिन्दुओं की भावनाओं पर हमला है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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