सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (फरवरी 10, 2020) को शाहीन बाग़ विरोध प्रदर्शन में बच्चों को शामिल किए जाने के मामले में सुनवाई की। देश की शीर्ष अदालत ने इस मामले में केंद्र और राज्य, दोनों ही सरकारों को नोटिस जारी किया है। शाहीन बाग़ में महिलाएँ अपने छोटे-छोटे बच्चों को भी लेकर आ रही हैं। हाल ही में 4 महीने के एक बच्चे की मौत हो गई थी, जिसे लेकर उसके परिजन जामिया नगर और शाहीन बाग़ के विरोध प्रदर्शनों में जाते थे।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे ने इस घटना पर दुःख जताया है। सीजेआई ने कहा कि हमारे मन में मातृत्व के प्रति उच्च-कोटि का सम्मान है और बच्चों के लिए उनके मन में काफ़ी चिंताएँ हैं। सीजेआई ने कहा कि बच्चों के साथ बुरा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए। 30 जनवरी को शाहीन बाग़ में ठण्ड लगने से बच्चे की मौत हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई की है। मुंबई की 12 वर्षीय छात्रा जेन सदावर्ते ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखा था। सदावर्ते 2018 में ‘राष्ट्रीय वीरता पुरष्कार’ से सम्मानित हो चुकी हैं
वहीं मृत बच्ची की अम्मी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में भी वही सब दोहराया, जो इस्लामी कट्टरपंथी बाहर बोलते हैं।महिला के वकील ने कहा कि बच्चे स्कूल से रोते हुए घर आते हैं क्योंकि उन्हें पाकिस्तान और आतंकवादी कहा जाता है। वकील ने मुस्लिम बच्चों को लेकर ये बातें कही। सीजेआई बोबडे ने कहा कि वो इस बयान पर टिप्पणी नहीं कर सकते क्योंकि इसका बच्ची की मौत वाले मामले से कोई लेनादेना नहीं है। सीजेआई ने वकील से कहा कि वो इस प्लेटफार्म का प्रयोग इस तरह के बयान देने के लिए नहीं कर सकता। सीजेआई ने कहा:
“क्या एक 4 महीने का बच्चा विरोध प्रदर्शन करने के लिए जा सकता है? मैं तो कहता हूँ कि सभी माँओं की इस मामले में एक राय होनी चाहिए, बच्चों के साथ ऐसा नहीं किया जा सकता। कृपया आपलोग और समस्या पैदा न करें।”
Infant’s death at #ShaheenBaghProtests: #CJI regrets a baby has died. As some lawyers rake up #CAA, #NRC, detention centres, #SupremeCourt stops these submissions.
— Utkarsh Anand (@utkarsh_aanand) February 10, 2020
“Can a 4 month old go to protest? All mothers should in fact support this cause. Don’t create more problems”: #CJI
सीजेआई ने कहा कि उन चीजों पर यहाँ चर्चा नहीं हो रही है। इसके बाद भी जब वकील ने अपना प्रोपेगंडा जारी रखा तो सीजेआई ने उसे टोका। जस्टिस बोबडे ने कहा कि वो नहीं चाहते कि लोग स्थिति को और बिगाड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट जैसे प्लेटफार्म का इस्तेमाल करें। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि न तो ये केस सीएए व एनआरसी से जुड़ा है और न ही बच्चों को पाकिस्तानी अथवा आतंकवादी कहे जाने पर। शाहीन बाग़ में लगभग 2 महीने से विरोध प्रदर्शन चल रहा है, जिसपर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विरोध के लिए सड़क बाधित कर के लोगों को परेशानी में नहीं डाला जा सकता है।
उस मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय किशन कॉल ने पूछा कि अगर सभी व्यक्ति हर जगह विरोध प्रदर्शन करने लगे तो स्थिति क्या होगी? शाहीन बाग़ में मुस्लिम महिलाएँ विरोध प्रदर्शन पर बैठी हैं। हालाँकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि वहाँ पिकनिक मनाई जाती है और बिरयानी की पार्टी होती है।