बच्चे के साथ ओरल सेक्स के एक मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुँह में लिंग डालने को ‘गंभीर यौन हमला’ मानने से इनकार कर दिया। अदालत ने इसे POCSO एक्ट की धारा 4 के तहत दंडनीय माना। कहा कि यह हरकत एग्रेटेड पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट या गंभीर यौन हमला नहीं है। लिहाजा ऐसे मामले में पॉक्सो एक्ट की धारा 6 और 10 के तहत सजा नहीं सुनाई जा सकती।
हाई कोर्ट ने इस मामले में दोषी की सजा घटाकर 10 से 7 साल कर दी। साथ ही उस पर 5 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। सोनू कुशवाहा ने सेशन कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
In a criminal appeal, the Allahabad HC has clarified that oral sex with with child comes under the category of ‘penetrative sexual assault’ punishable under S. 4 of Protection of Children from Sexual Offences Act (POCSO) Act and not under S. 6 of the Act.https://t.co/zeby608yAf
— LawBeat (@LawBeatInd) November 20, 2021
न्यायमूर्ति अनिल कुमार ओझा ने कुशवाहा की अपील पर यह फैसला सुनाया। सेशन कोर्ट ने उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 377 (अप्राकृतिक अपराध) और धारा 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा) और पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत दोषी ठहराया था।
अदालत के सामने सवाल यह था कि क्या नाबालिग के मुँह में लिंग डालना और वीर्य छोड़ना, POCSO एक्ट की धारा 5/6 या धारा 9/10 के दायरे में आएगी। फैसले में कहा गया यह दोनों धाराओं में से किसी के दायरे में नहीं आएगा, लेकिन यह POCSO एक्ट की धारा 4 के तहत दंडनीय है।
Court concluded that such an act comes into the category of ‘penetrative sexual assault’ which is punishable under Section 4 of Protection of Children from Sexual Offences Act (POCSO) Act.#allahabadhighcourt #children #childabusesurvivors #pocso
— LawBeat (@LawBeatInd) November 20, 2021
अपने फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 20 नवंबर, 2021 को दिए निर्णय में स्पष्ट किया कि एक बच्चे के मुँह में लिंग डालना ‘पेनेट्रेटिव यौन हमले’ की श्रेणी में आता है, जो यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO) अधिनियम की धारा 4 के तहत दंडनीय है और अधिनियम की धारा 6 के तहत नहीं। इसलिए, न्यायमूर्ति अनिल कुमार ओझा की पीठ ने निचली अदालत द्वारा अपीलकर्ता सोनू कुशवाहा को दी गई सजा को 10 साल से घटाकर 7 साल कर दिया।
बता दें कि सोनू कुशवाहा ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश / विशेष न्यायाधीश, पॉक्सो अधिनियम, झाँसी द्वारा पारित निर्णय के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में आपराधिक अपील दायर की थी, जिसके तहत कुशवाहा को दोषी ठहराया गया था।
दरअसल, अपीलकर्ता के खिलाफ मामला यह था कि वह शिकायतकर्ता के घर आया और उसके 10 साल के बेटे को साथ ले गया। उसे ₹20 देते हुए दिए अपना लिंग मुँह में लेने को कहा था। बच्चे से यह पूछने पर कि उसे यह पैसे कहाँ से मिले, उसने पूरी कहानी बताई और कहा कि सोनू कुशवाहा ने उसे धमकी दी थी कि वह इसे किसी को न बताए। रिपोर्ट के अनुसार विशेष सत्र न्यायालय ने सोनू कुशवाहा को आईपीसी की धारा 377 और 506 और पॉक्सो अधिनियम की धारा 6 के तहत दोषी ठहराया था।