चीन में जहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वेबसाइट को ‘द ग्रेट फायरवॉल’ के जरिए ब्लॉक कर दिया गया है वहीं कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी की वेबसाइट पर कोई रोक नहीं है। लगभग चीन के सभी प्रांतों में ऐसा ही हुआ प्रतीत होता है। बता दें कि चीन में उन सभी वेबसाइटों पर रोक है, जहाँ चीन के विरोध में कंटेंट डाले जाने की सम्भावना रहती है या फिर जिसके कंटेंट्स को वहाँ की सरकार फ़िल्टर नहीं कर सकती।
चीन में किसी भी इंटरनेट यूजर को फ़िल्टर किया हुआ कंटेंट ही मिलता है, ताकि कम्युनिस्ट पार्टी के नैरेटिव के विरुद्ध कुछ भी कहीं भी पोस्ट न किया जा सके। वहाँ इंटरनेट पर जिस तरह की सेंसरशिप लागू है, उस तरह की शायद ही किसी देश में हो। उन सारी तकनीकों और ब्लॉक करने वाली व्यवस्थाओं को ही मिला कर ‘द ग्रेट फायरवॉल’ कहा जाता है। यानी आप वहाँ की सरकार के विरुद्ध कुछ भी नहीं लिख सकते।
कई ऐसे टूल ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं, जो ये बता देते हैं कि कोई वेबसाइट चीन में ब्लॉक्ड है या नहीं। उसे ‘द ग्रेट फायरवॉल’ द्वारा अनुमति प्रदान की गई है या नहीं। हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी की वेबसाइटों को लेकर ये टेस्ट किया। हमने पाया कि जहाँ राहुल गाँधी की वेबसाइट पर कोई रोक नहीं है, नरेंद्र मोदी की वेबसाइट को चीन में ब्लॉक कर के रखा गया है।
जहाँ नरेंद्र मोदी की वेबसाइट (NarendraModi.In) हमें ब्लॉक मिला और बताया गया कि सर्वर तक पहुँचने में आप असफल रहे हैं और मेनलैंड चीन में ये वेबसाइट नहीं खुलेगी, वहीं राहुल गाँधी की वेबसाइट (RahulGandhi.In) को लेकर हमने पाया कि इस पर कोई रोक नहीं है। ये जानने वाली बात है कि दोनों ही वेबसाइटों का डोमेन .In ही है। हमने दूसरे टूल्स से भी ये टेस्ट किया तो परिणाम समान ही थे।
ज्ञात हो कि चीन की सरकार साइटों को ब्लॉक करने के लिए जिस प्रक्रिया को अपनाती है, उसे ‘डीएनएस पोइज़निंग’ भी कहते हैं। हमने ViewDNS.Info पर भी इसी टेस्ट को दोहराया, जहाँ हमें यही परिणाम मिला। हालाँकि, भारत-चीन के बीच जहाँ सीमा पर तनाव चल रहा है, उस वक़्त पीएम मोदी की वेबसाइट और राहुल गाँधी की वेबसाइट के बीच भेदभाव क्यों है, इस विषय में कुछ पता नहीं चल पाया है।
7 अगस्त 2008 को सोनिया गाँधी की अगुवाई वाली कॉन्ग्रेस और चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के बीच एक समझौता हुआ था। शायद आज वही वजह है कि कॉन्ग्रेस चीन की नापाक हरकतों पर भी चुप्पी साधे हुए है। यूपीए के अपने पहले कार्यकाल के दौरान कॉन्ग्रेस पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना ने उच्च स्तरीय सूचनाओं और उनके बीच सहयोग करने के लिए बीजिंग में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।