समाजवादी पार्टी की सरकार में परिवहन, खनन और सिंचाई जैसे महत्वपूर्ण विभागों में मंत्री का दायित्व संभालने वाले गायत्री प्रसाद प्रजापति को लखनऊ की एक अदालत ने सामूहिक बलात्कार का दोषी करार दिया है। चित्राकूट की एक महिला से गैंगरेप के मामले में लखनऊ के एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट ने उन्हें दोषी पाया। उनके साथी अशोक तिवारी और आशीष शुक्ला को भी इस मामले में दोषी पाया गया। इस मामले में शुक्रवार (12 नवंबर, 2021) को अदालत सज़ा सुनाएगी।
हालाँकि, अदालत ने विकास वर्मा, रूपेश्वर, अमरेंद्र सिंह, पिंटू और चंद्रपाल नामक आरोपितों को बरी भी कर दिया है। सभी आरोपितों को मौखिक साक्ष्य उपलब्ध कराने का मौका दिया गया था, जिसकी समयसीमा 2 नवंबर, 2021 को ही ख़त्म हो गई थी। मंगलवार को कोर्ट में एक अर्जी लगा कर पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति ने इसकी अवधि बढ़ाए जाने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि मुक़दमे की तारीख़ आगे बढ़ाई जाए। उन्होंने इस मुक़दमे को किसी अन्य राज्य में ट्रांसफर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में भी ‘विशेष अनुमति याचिका’ दायर कर रखी है।
साथ ही एमपी-एमएलए कोर्ट के उस आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट लखनऊ बेंच में चुनौती दी गई है जिसमें उसके बचाव के सबूत पेश करने की अर्जी को खारिज कर दिया गया था। 8 नवंबर, 2021 को अभियोजन की ओर से प्रार्थना पत्र देकर अदालत से निवेदन किया गया था कि गवाह अंशु गौड़ ने अपने बयान में स्पष्ट कहा है कि पीड़िता को कई जमीनों की रजिस्ट्री और भारी रकम का लालच देकर कोर्ट में सही गवाही न देने के लिए राजी किया गया था। पीड़िता को प्रभावित करने की कोशिश हुई थी।
यूपी: सामूहिक दुष्कर्म मामले में पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति दोषी करार, 12 नवंबर को सुनाई जाएगी सजा#GayatriPrajapati #UttarPradeshhttps://t.co/qNANvKlycB
— Amar Ujala (@AmarUjalaNews) November 10, 2021
इस मामले में सबूत भी पेश किए गए थे। लखनऊए के रजिस्ट्रार और पीड़िता की तरफ से दिल्ली की अदालत को दिए गए कलमबंद बयान को तलब करने की भी माँग की गई थी। पीड़िता एमपी-एमएलए कोर्ट में गायत्री प्रजापति पर लगाए गए गैंगरेप के आरोपों से मुकर चुकी है। वो फ़िलहाल जेल में बंद हैं। सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2017 में उनके विरुद्ध FIR दर्ज करने का आदेश दिया था। इसके अगले ही महीने उनकी गिरफ़्तारी हुई थी। अब उन्हें दोषी करार दिया गया है।
17 गवाह और पुलिस की चार्जशीट के आधार पर गायत्री प्रजापति को दोषी पाया गया, लेकिन उन्होंने अपने वकीलों के जरिए मामले को उलझाने और लंबा खींचने की खूब कोशिश की। दरअसल, एक महिला ने आरोप लगाया था कि जब वो पूर्व मंत्री से उनके आपस पर मिलने पहुँची थीं तो नशा देकर उनकी नाबालिग बेटी के साथ गैंगरेप किया गया। साथ ही किसी को बताने पर जान से मरने की धमकी भी दी। पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ और 824 पन्नों की चार्जशीट दायर की गई थी।