Friday, November 15, 2024
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जनजातीय बच्चों को रटाते हैं ईसाई प्रार्थना, साफ करवाते हैं टॉयलेट: NCPCR अध्यक्ष ने MP के मिशनरी स्कूलों पर लगाए आरोप, विदेशी फंडिंग के मिले सबूत

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बड़ा खुलासा करते हुए मध्य प्रदेश के देवास में चल रहे दो ईसाई मिशनरी स्कूलों पर बड़े आरोप लगाए हैं। प्रियंक कानूनगो ने कहा कि यहाँ 'प्रभावशाली लोग' अनुसूचित जनजाति के बच्चों को ईसाई बनाने के काम में जुटे हुए हैं।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बड़ा खुलासा करते हुए मध्य प्रदेश के देवास में चल रहे दो ईसाई मिशनरी स्कूलों पर बड़े आरोप लगाए हैं। प्रियंक कानूनगो ने कहा कि यहाँ ‘प्रभावशाली लोग’ अनुसूचित जनजाति के बच्चों को ईसाई बनाने के काम में जुटे हुए हैं। प्रियंक का कहना है कि अनुसूचित जनजाति वाले इलाकों में ऐसे संगठन काम कर रहे हैं, जो बच्चों को ईसाई बनाने के काम में जुटे हैं और उन्हें प्रभावशाली लोगों का साथ मिल रहा है।

प्रियंक कानूनगो ने आरोप लगाया कि अनुसूचित जनजाति के बच्चों को ईसाई प्रार्थना सिखाई गई है, जो कि गलत हैं। उन्होंने जेजे एक्ट और मध्य प्रदेश फ्रीडम ऑफ रिलीजियन एक्ट, 2021 के तहत केस दर्ज कराने की बात भी कही। प्रियंक कानूनगो ने आरोप लगाया कि यहाँ 10 साल से कम उम्र के बच्चों से घास कटवाई जा रही है। उनसे शौचालय साफ कराए जा रहे हैं। उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी करने की बात भी कही।

देवास जिले के अनुसूचित जनजाति बहुल इलाकों में स्थित दो संस्थानों का उन्होंने दौरा किया, जो ईसाई मिशनरियों द्वारा चलाए जा रहे हैं। उन्होंने इसके बारे में सोशल मीडिया पर जानकारी दी और लिखा, “आज मध्य प्रदेश के देवास जिले के जनजातीय अंचलों में दौरे के दौरान दो अलग-अलग संस्थाओं का निरीक्षण किया दोनों ही संस्थान मिशनरी संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे थे। जेजे एक्ट की परिभाषा में CNCP बच्चों को पंजीकृत बालगृह में CWC के आदेश से ही रखा जा सकता है, यहाँ इस क़ानून का खुला उल्लंघन देखने को मिला है। संस्थाओं ने पंजीकरण दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया।”

उन्होंने आगे लिखा, “लगभग सभी बच्चे हिंदू धर्मावलंबी हैं लेकिन संस्था के चर्च में बच्चे क्रिश्चियन प्रार्थना करते हैं, बच्चों को ईसाई धार्मिक प्रार्थनाएँ कंठस्थ हैं। 10 साल से भी कम उम्र के मासूम बच्चों से परिसर में घाँस कटवाई जाती है, झाड़ू पोछा करवाया जाता है यहाँ तक कि टॉयलेट भी साफ़ करवाए जाते हैं। हमारी टीम को यहाँ विदेशी फंडिंग व संस्थान के उच्च राजनीतिक संपर्क के प्रमाण भी मिले हैं,स्पष्ट है कि जनजातीय क्षेत्रों में रसूखदार लोग अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर के मासूम बच्चों के धर्मांतरण का गंदा काम कर रहे हैं। मध्यप्रदेश सरकार के मुख्यसचिव को नोटिस जारी कर विधिवत कार्यवाही की जाएगी।”

एनसीपीसीआर बाल अधिकार संरक्षण आयोग (सीपीसीआर) अधिनियम, 2005 के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है। यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है। आयोग का कार्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी कानून, नीतियाँ, कार्यक्रम और प्रशासनिक प्रणालियाँ बाल अधिकारों के दृष्टिकोण के अनुरूप हों।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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