Wednesday, November 6, 2024
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मिशनरी स्कूल में धर्मांतरण: जनजातीय लड़कियों को पढ़ाई के नाम पर नन बनने की ट्रेनिंग, हॉस्टल में रखते थे लेकिन एडमिशन रिकॉर्ड तक नहीं

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (SCPCR) के सदस्य ओंकार सिंह का कहना है कि जाँच के दौरान सामने आया है कि यहाँ रहने के नाम पर जनजातीय छात्रों से 15-20 हजार रुपए अतिरिक्त लिए जा रहे हैं। इसके अलावा, ईसाई धर्मांतरण से जुड़े कई सबूत भी यहाँ मिले हैं।

मध्य प्रदेश के झाबुआ में ईसाई मिशनरियों के फैले धर्मांतरण जाल का खुलासा हुआ है। आरोप है कि राजस्थान के बांसवाड़ा जिले से जनजातीय लड़कियों को लाकर उन्हें कैथोलिक हॉस्टल में रखा गया था और वहाँ उन्हें नन (Nun) बनने की ट्रेनिंग दी जा रही थी। इस पूरे मामले का खुलासा मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की जाँच में हुआ।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जनजातीय लड़कियों से हुई छेड़छाड़ के एक मामले में मध्य प्रदेश के राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (SCPCR) की टीम जाँच करने के लिए झाबुआ स्थित कैथोलिक मिशन स्कूल के स्नेह सदन जनजातीय बालिका छात्रावास पहुँची थी। वहाँ नन के कमरे की जाँच गई तो वहाँ 3 लड़कियाँ मिलीं। उनसे बातचीत के बाद पता चला कि वे जनजातीय वर्ग से हैं।

लड़कियों ने बताया कि उन्हें हॉस्टल में रखकर नन बनने की ट्रेनिंग दी जा रही थी। इनमें से 2 लड़कियाँ नाबालिग हैं। वहीं, 1 बालिग है। आयोग ने लड़कियों के परिजनों से इस बारे में पूछताछ की तो उनका कहना था कि उन्होंने तो लड़कियों को पढ़ने के लिए भेजा है। इस मामले का खुलासा होने के बाद राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बालिग लड़की को मिशनरी के चंगुल से निकालकर उसके परिजनों को सौंप दिया गया। वहीं, दोनों नाबालिग लड़कियों से जुड़ी जानकारी जुटाई जा रही है।

आयोग की जाँच में पता चला कि ये लड़कियाँ बीते डेढ़-दो माह से हॉस्टल में रह रही थीं, लेकिन इनका हॉस्टल में कोई रिकॉर्ड नहीं था। इस मामले में स्कूल मैनेजमेंट की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है। दरअसल, आयोग ने जब स्कूल से इन लड़कियों के एडमिशन को लेकर जानकारी माँगी तो वहाँ भी सिर्फ अस्थायी एडमिशन की ही बात कही गई।

इस मामले में झाबुआ बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष प्रदीप जैन का कहना है कि हॉस्टल में इन लड़कियों के आने, रहने व इनकी ट्रेनिंग से जुड़ा हर पॉइंट जाँच का विषय है। लड़कियाँ स्कूल में 11वीं और 12वीं में पढ़ने के लिए आई थीं। नियमानुसार किसी भी शिक्षण संस्थान में इस तरह की धार्मिक गतिविधियों की इजाजत नहीं होती है।

जैन ने कहा कि लड़कियों के परिजनों को बुलाया गया है। उनसे बातचीत के बाद ही सारी बातें स्पष्ट हो पाएँगी। फिलहाल यह जाँच का विषय है कि क्या गरीबी का फायदा उठाकर इन लड़कियों या उनके परिजनों को प्रलोभन दिया गया था? यदि नहीं तो फिर ये लड़कियाँ नन बनने के लिए कैसे तैयार हुईं? फिलहाल संस्था पर FIR कराने की तैयारी की जा रही है।

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (SCPCR) के सदस्य ओंकार सिंह का कहना है कि जाँच के दौरान सामने आया है कि यहाँ रहने के नाम पर जनजातीय छात्रों से 15-20 हजार रुपए अतिरिक्त लिए जा रहे हैं। इसके अलावा, ईसाई धर्मांतरण से जुड़े कई सबूत भी यहाँ मिले हैं।

आयोग के अनुसार, यहाँ से 12 बोर की एक बंदूक के अलावा पटाखे चलाने वाली बंदूक भी बरामद की गई है। किसी शिक्षण संस्थान में हथियारों को रखने का नियम नहीं है। दोनों चीजें जब्त कर पुलिस को सौंप दिया गया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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