अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में मुस्लिम पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला अपने पक्ष में झुकाने की कोशिशों में सोमवार (अक्टूबर 21, 2019) को ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ पर हलफनामा दायर किया। इस हलफनामे में अपील की गई कि न्यायालय इस मुद्दे पर अपना फैसला सुनाते समय इस बात को ध्यान में रखे कि इससे आने वाली पीढ़ियाँ काफी प्रभावित होंगी। साथ ही इस फैसले से राज्यव्यवस्था पर भी फर्क़ पड़ेगा।
हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट को ये हलफनामा एक बंद लिफाफे में दिया गया, लेकिन जब तक ये सीजेआई की टेबल पर पहुँचा, तब तक मीडिया में इसकी एक कॉपी पहुँच चुकी थी। दायर याचिका में मौजूद हर बिंदु मीडिया हाउस के पास था। जिसपर सफाई देते हुए मुस्लिम पार्टियों ने बताया कि उन्होंने पहले इस नोट को बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को दिया, लेकिन बाद में इसे हर पार्टी में बाँट दिया।
Ayodhya case: Muslim parties today mentioned before Supreme Court that they have filed the reply on ‘moulding of relief'(narrowing down arguments & telling court what points a party wants it to adjudicate on)&are filing reply on objections raised by other side,in sealed envelope pic.twitter.com/CyZ3R66y6V
— ANI (@ANI) October 21, 2019
हालाँकि, इस दाखिले से पहले मीडिया में लीक जानकारी पर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई नाखुश दिखे। उन्होंने पूरे हलफनामे के मीडिया में लीक होने पर कहा, “ये हलफनामा मेरे टेबल पर बंद लिफाफे में हैं और यही इंडियन एक्स्प्रेस के मुख्य पेज पर भी। इसलिए इसे वहीं रहने दीजिए।”
#AyodhyaCase: Muslim parties mention the matter, say they earlier submitted their note in sealed cover but have now served it in open to all parties.#CJI: It is on my table…in a sealer cover. And it is on the Indian Express front page. Let it be there only..#RamMandir
— Utkarsh Anand (@utkarsh_aanand) October 21, 2019
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने इस दौरान मुस्लिम पक्षकारों से पूछा कि क्या उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को इसकी हलफनामे की कॉपी दी है? जिसपर उन्होंने कहा कि उन्होंने पहले इस संबंध में अदालत में नोट जमा करवाया था, लेकिन बाद में इसकी एक कॉपी याचिकाकर्ताओं को दी गई।
यहाँ उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने हर पार्टी को तीन दिन का वक्त दिया था कि वे सील बंद लिफाफे में मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर अपना पक्ष दायर करवा सकते हैं। जिसके मद्देनजर निर्मोही अखाड़े ने नोट दाखिल कर मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर आपत्ति जताई थी। इसी के बाद मुस्लिम पक्ष ने रविवार को अपनी याचिका सार्वजनिक कर दी।
यहाँ बता दें कि मोल्डिंग ऑफ रिलीफ का मतलब एक प्रकार का सांत्वना पुरस्कार होता है। इस मामले में इस हलफनामे का मतलब है कि याचिकाकर्ता ने जो माँग कोर्ट से की है अगर वो नहीं मिलती तो विकल्प क्या हो जो उसे दिया जा सके।