हाल में NCERT के पाठ्यक्रम में कक्षा-1 के छात्रों को पढ़ाए जाने वाली कविता ‘आम की टोकरी’ को लेकर सोशल मीडिया पर बवाल हुआ। लोगों ने इसे डबल मीनिंग कविता करार देते हुए पाठ्यक्रम से निकालने की बात की। ये पहली बार नहीं है कि NCERT पर गलत शिक्षा देने के आरोप लगे हों। इससे पहले कई बार ऐसा हुआ। जिसके मद्देनजर इस दफा ट्विटर पर #CleanNCERT ट्रेंड करने लगा और NCERT प्रमुख भी लोगों के निशाने आ गए।
सोशल मीडिया पर यूजर्स #CleanNCERT ट्रेंड करवा कर उस सामग्री को उजागर कर रहे हैं, जिनके जरिए गलत शिक्षा छात्रों को दी जा रही है। लोग बता रहे हैं कि आखिर NCERT में क्या पढ़ाया जाना चाहिए और हमें पढ़ाया क्या जा रहा है। सक्रिय यूजर्स इस बात को उठा रहे हैं कि आखिर बाबर, औरंगजेब और खिलजी जैसे क्रूर शासक महान कैसे हो गए और क्यों छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप को विस्तार से हमें इतिहास की किताबों में नहीं पढ़ाया गया।
We have been taught stories about Mughals since always, And never the brave stories of our Hindu Warriors Maharana Pratap,Shivaji.
— Team Hindu United (@THU_Reloaded) May 22, 2021
STOP GLORIFYING MUGHALS !!!#CleanNCERT pic.twitter.com/iWz8oexT9e
NCERT पर लगे गलत शिक्षा देने के आरोप
इससे पहले NCERT अपने कंटेंट को लेकर कई बार चर्चा में आया है। ‘आम की टोकरी’ कविता के अलावा NCERT की पाँचवी कक्षा में पढ़ाई जाने वाली मैरीगोल्ड के यूनिट 8 में द लिटिल बुली को लेकर भी ये बात उठी थी कि आखिर उसमें हरि नाम के बच्चे पर ऐसी कहानी क्यों गढ़ी गई कि वह लड़कियों को चिढ़ाता है या चिकोटी काट कर उन पर धौंस जमाता है।
इसी तरह कक्षा 12 में पढ़ाए जाने वाली इतिहास की किताब पर बवाल हुआ था। इसमें सिखाया जा रहा था कि औरंगजेब जैसे आक्रांताओं ने भी भारत में रहते हुए मंदिरों की रक्षा की और उनकी देख-रेख का जिम्मा उठाया था। लेकिन जब एनसीईआरटी से इस दावे का स्रोत पूछा गया तो उनके पास अपना दावा साबित करने के लिए कोई प्रमाण या स्रोत नहीं था। ऐसे ही कुतुब मीनार को लेकर भी एनसीआरटी के पास कोई सबूत नहीं थे कि उसे कुतुबुद्दीन ऐबक और इल्तुतमिश ने बनवाया।
NCERT का बयान
आज निराधार दावों वाली शिक्षा और दोयम दर्जे की भाषा को लेकर NCERT विवादों में हैं। लेकिन अपनी सफाई में उन्होंने गलती मानने की बजाय या कोई आश्वासन देने की जगह अपनी गलती को स्थानीय भाषा का हवाला देकर ढकना चाहा। ऐसे में भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने उन्हें लताड़ा और कविता की भाषा को घटिया और स्तरहीन कहा।
दरअसल, NCERT ने लिखा था, “एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तक में दी गई कविताओं के संदर्भ में: एनसीएफ-2005 के परिप्रेक्ष्य में स्थानीय भाषाओं की शब्दावली को बच्चों तक पहुँचाने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए ये कविताएँ शामिल की गई हैं ताकि सीखना रुचिपूर्ण हो सके।”
अगले ट्वीट में NCERT ने बताया, “ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिप्रेक्ष्य में नई राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा के निर्माण की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। इसी पाठ्यचर्या की रूपरेखा के आधार पर भविष्य में पाठ्यपुस्तकों का निर्माण किया जाएगा।”
NCERT हेड मोहम्मद सिराज पर उठी उंगलियाँ
NCERT पर उठे सवालों के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के विश्लेषक दिव्य कुमार सोती समेत कई लोग ऐसी शिक्षा के लिए NCERT हेड को जिम्मेदार मान रहे हैं। दिव्य कुमार सोती ने मोहम्मद सिराज का बायोडेटा शेयर करते हुए लिखा,
“जो मदरसों के सिलेबस में औरंगजेब की महानता पर चैप्टर लिखने लायक थे वो NCERT की किताबें लिख रहे हैं। 10 साल रूक जाइए, आज इनके लिखे सिलेबस को पढ़ रहे हिंदुओं के बच्चे भी उमर खालिद और शरजील उस्मानी के साथ भारत विरोधी नारे लगाते दिखाई देंगे।”
जो मदरसों के सिलेबस में औरंगजेब की महानता पर चैप्टर लिखने लायक थे वो NCERT की किताबें लिख रहे हैं। 10 साल रूक जाइए, आज इनके लिखे सिलेबस को पढ़ रहे हिंदुओं के बच्चे भी उमर खालिद और शरजील उस्मानी के साथ भारत विरोधी नारे लगाते दिखाई देंगे। pic.twitter.com/3p2QPIZ72b
— Divya Kumar Soti (@DivyaSoti) May 22, 2021
राजपांडे लिखते हैं, “अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मो सिराज अनवर जुलाई 2020 से NCERT की योजना और अनुसंधान के प्रमुख है। इसके पहले वह 2016-19 के दौरान प्रकाशन विभाग के प्रमुख (योजना निगरानी) थे। उन्होंने 1997 में NCERT ज्वाइन किया था और औरंगजेब के निजाम शाही के अनुयायी हैं। ”
इनके अलावा कई यूजर्स हैं जो इन सबके लिए मो सिराज और उससे पहले के NCERT प्रमुखों को जिम्मेदार मान रहे हैं।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मो.सिराज अनवर जुलाई 2020 से @ncert की योजना और अनुसंधान के प्रमुख है
— Rajpandey (@SANGAM_VALE4) May 22, 2021
इसके पहले वह प्रकाशन विभाग के प्रमुख B/W 2016-19 योजना निगरानी के थे
उन्होंने 1997 में #NCERT ज्वाइन किया था और औरंगजेब के निजाम शाही के अनुयायी है#CleanNCERT @beingarun28 pic.twitter.com/UwgrnxCJk9
गौरतलब है कि आज के समय में भारतीय सनातन संस्कृति से वामपंथी इतिहासकारों और शिक्षाविदों की घृणा का यह चरम है। यही वजह है कि हमें सालों से गलत इतिहास और ऐसी भाषा पढ़ाई जाती रही, जिसकी वजह से हमारा दिमाग एक दिशा में सेकुलरिज्म की परिभाषा गढ़ता रहे।
मसलन बाबर को किताबों में महान शासक बनाया गया। उनका महिमामंडन करने के लिए पाठ के पाठ समर्पित कर दिए गए। वहीं दूसरी ओर शिवाजी महाराज या महाराणा प्रताप को तस्वीरों या फिर एक पैराग्राफ में सीमित कर दिया गया।
तस्वीरों से लेकर भाषा तक में हमारे दिमाग का इस्लामीकरण किया जाता रहा और हम इसे पढ़ते आए। #CleanNCERT के ट्रेंड होने का मतलब यही है कि आज बड़ी तादाद में लोग ऐसे एकतरफा कंटेंट का विरोध कर रहे हैं और भारत के असली हीरोज और उसकी सभ्यता की जानकारी बच्चों को दिलवाना चाहते हैं।