ज्ञानवापी के विवादित ढांचे में वीडियोग्राफी की अनुमति देने वाले जज ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा की है। जज ने CM योगी के धार्मिक व्यक्ति होने के चलते सत्ता में सुखद परिणाम देने वाला बताया है। उन्होंने CM योगी की तुलना महान दार्शनिक प्लेटो के ‘दार्शनिक राजा’ की अवधारणा से की है।
बरेली के एडिशनल सेशंस जज रवि कुमार दिवाकर ने 2010 में हुए दंगों की सुनवाई के दौरान CM योगी की प्रशंसा की। इन दंगों में मौलाना तौकीर रजा को आरोपित बनाया गया है। मौलाना को 11 मार्च को इस मामले में पेश होने के लिए कहा गया है। मौलाना पर गंभीर चार्ज लगाए गए हैं।
अपने 10 पेज के आदेश में उन्होंने ज्ञानवापी पर दिए गए निर्णय और अपने परिवार की सुरक्षा के विषय में भी बात की है। उन्होंने मौलाना तौकीर रजा को इन दंगों का मास्टरमाइंड बताया है और कहा है कि वह लगातार कार्रवाई से बचता रहा है।
जज रवि कुमार दिवाकर ने कहा, “सत्ता का मुखिया एक धार्मिक व्यक्ति होना चाहिए क्योंकि धार्मिक व्यक्ति का जीवन भोग-विलास का नहीं बल्कि त्याग और समर्पण का होता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण सिद्धपीठ गोरखनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ जी हैं, जो उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं और उन्होंने इस बात को सही सिद्ध किया है।”
जज दिवाकर ने आगे कहा, “यदि कोई धार्मिक व्यक्ति सिंहासन पर बैठता है, तो यह अच्छे परिणाम देता है। यह महान दार्शनिक प्लेटो ने अपनी पुस्तक रिपब्लिक में ‘दार्शनिक राजा’ की अवधारणा में कहा है। प्लेटो ने कहा था कि हमारे नगर-राज्य में तब तक दुखों का अंत नहीं होगा जब तक यहाँ कोई दार्शनिक राजा न हो।”
जज दिवाकर ने ज्ञानवापी के विषय में 2022 में दिए गए निर्णय पर भी इस फैसले में बात की। उन्होंने कहा कि उनका यह निर्णय कानून के अनुसार था लेकिन फिर भी वह और उनके परिवार के लोग सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने कहा, “मुझे और मेरे परिवार में डर का माहौल इस तरह बना हुआ है कि उसे शब्दों में बताना भी संभव नहीं है। मेरे परिवार में हर कोई एक-दूसरे की सुरक्षा को लेकर चिंतित है। हमें घर से निकलने से पहले कई बार सोचना पड़ता है। खासकर मेरी मां मेरी सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित रहती हैं।”
उन्होंने कहा कि जबसे उन्होंने ज्ञानवापी के संबंध में निर्णय दिया है, तबसे ही एक समुदाय के लोगों का नजरिया उनके प्रति बदल गया है। ऐसा लगता है जैसे उन्होंने कोई पाप कर दिया हो। उन्होंने कहा कि उनके बच्चे भी उनकी सुरक्षा को लेकर उनसे पूछते हैं। उन्होंने इस दौरान मौलाना तौकीर रजा के सालों तक बचे रहने लेकर भी टिप्पणी की।
उन्होंने कहा, “इस मामले में दंगा भड़काने वाले मास्टरमाइंड मौलाना तौकीर रजा खान का नाम उनके खिलाफ सबूत होने के बाद भी चार्जशीट में शामिल नहीं किया गया। इससे पता चलता है कि तबै के पुलिस अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी और शासन स्तर के अधिकारी अपने कर्तव्यों में असफल थे। उनके द्वारा नियमों का पालन नहीं किया गया और दंगे भड़काने वाले मास्टरमाइंड मौलाना तौकीर रजा खान का बचाव किया गया।”
कोर्ट ने इस मामले में पाया कि मार्च 2010 में मौलाना तौकीर रजा ने मुस्लिमों को इकट्ठा करके एक भड़काऊ भाषण दिया था। इसमें हिन्दुओं का खून बहाने की बात की गई थी। इसके बाद यहाँ दंगे भड़के और आगजनी, लूट और महिलाओं से बदसलूकी की घटनाएँ हुईं। कोर्ट ने इस मामले में कई धाराओं के अंतर्गत मौलाना तौकीर रजा को दोषी पाया।