किसानों से वादे करके सत्ता में आई कॉन्ग्रेस कर्ज़माफ़ी के नाम पर घोटाला और किसानों को गुमराह कर रही है। मध्यप्रदेश के खरगोन में किसानों से कर्ज़माफ़ी के नाम पर मज़ाक किया जा रहा है। दो महीने से कर्ज़माफ़ी का इंतजार कर रहे कुछ किसानों के पैरों तले जमीन तब खिसक गई, जब कर्ज़माफ़ी की सूची में उन्होंने देखा कि सूची में सिर्फ़ 25 और 300 रुपए माफ़ होना दर्शाया गया है।
अब सवाल उठता है कि 2 लाख रुपए तक कर्ज़माफ़ी का वादा कहाँ गया? मामले पर प्रशासन भी कोई हिसाब नहीं लगा पा रहा है। प्रशासन का कहना है कि 31 मार्च 2018 तक की अवधि में जिन किसानों पर ऋण है, उन्हीं की सूची जारी की गई है। ‘जय किसान ऋण मुक्ति योजना’ के तहत स्थानीय टाउन हॉल में कर्ज़माफ़ी की ये सूची लगाई गई थी।
ढाई लाख के कर्ज़ में हुई 25 रुपए की माफ़ी
जिन किसानों पर हज़ारों का कर्ज़ लदा हुआ था, उनका सिर्फ़ नाम मात्र का कर्ज़ माफ़ किया गया। जैतपुर के किसान प्रकाश की मानें तो उनपर ढाई लाख रुपए का कर्ज़ था लेकिन सिर्फ 25 रुपए माफ़ किया गया। इसी तरह सिकंदरपुरा के अमित के 300 रुपए माफ़ होने का जिक्र है। अमित का कहना है कि उन पर 30 हजार रुपए का कर्ज़ था।
किसानों की मानें तो किसी भी असुविधा से बचने के लिए उन्होंने अपने स्तर पर कर्ज़ की राशि जुटाकर बैंक में जमा करवाई और खाता शून्य कर फिर से कर्ज़ लिया, लेकिन जारी की गई सूची में इस बात उल्लेख नहीं किया गया है। कृषि विभाग का कहना है कि जिले में 2,57,600 संभावित ऋणी कृषक हैं। इनमें सहकारी बैंक के 1,52,000 और राष्ट्रीयकृत बैंकों के 20,600 कृषक शामिल हैं।
उड़द खरीदी को लेकर भी नाराज़ है किसान
किसानों की मुश्किल सिर्फ कर्ज़माफ़ी तक ही सीमित नहीं है। शायद यही वजह है कि किसानों को अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करनी पड़ी, और उन्होंने औक दमोह-सागर हाईवे को जाम कर दिया। दरअसल, किसान उड़द ख़रीदी में कई समस्याओं से परेशान हैं। किसानों का आरोप है कि उनकी समस्या नहीं सुनी जा रही है और मामले का निराकरण नहीं हो रहा है।
कर्नाटक में भी मिल चुका है किसानों को धोखा, 397 किसान कर चुके हैं आत्महत्या
मध्यप्रदेश में कॉन्ग्रेस का ये पहला कारनामा नहीं है, यही कारण है कि केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कॉन्ग्रेस पर आरोप लगाते हुए इस बात को स्पष्ट किया था कि कर्नाटक में 45 हज़ार करोड़ रुपए का कृषि ऋण माफ़ होना था, लेकिन 75 करोड़ रुपए का भी भुगतान नहीं किया।
इसके कारण किसानों को बैंक का नोटिस मिल रहा है। यही कारण है कि कॉन्ग्रेस सरकार के छह महीने के शासनकाल में 397 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। किसानों के कुल 90 हजार करोड़ रुपए के ऋण के लिए कॉन्ग्रेस ने बजट में 3 करोड़ रुपए भी आवंटित नहीं किए हैं।
जिन किसानों ने नहीं लिया ऋण, उनको भी मिली ‘माफ़ी’
बीते दिनों मध्य प्रदेश के ग्वालियर में किसानों के साथ धोखा देने और घोटाला करने का का कारनामा सामने आया था। जिसमें सहकारी समितियों द्वारा जारी की गई ऋणदाताओं की सूची में उन किसानों का नाम भी डाल दिया गया था, जिन्होंने कोई कर्ज़ लिया ही नहीं। बावजूद इसके उनका कर्ज़ माफ़ कर दिया गया। जिसके बाद किसानों ने नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की शाखा व समितियों पर पहुंच कर आपित्त जताई थी कि बिना कर्ज़ के कैसी कर्ज़माफ़ी?
किसानों के कर्ज़माफ़ी की स्थिति नहीं बता पा रही कॉन्ग्रेस
राजस्थान में किसानों की कर्ज़माफ़ी का विवरण नहीं दिया जा रहा है। विधानसभा में सरकार से किसानों की कर्ज़माफ़ी व इससे जुड़ी औपचारिकताओं पर स्थिति स्पष्ट करने में भी नाकाम साबित हो रही है। प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने कहा, “सरकार ने इस प्रकार का लंगड़ा आदेश निकाल कर किसानों को भ्रमित किया है, सरकार स्पष्ट करे कि कर्ज़माफ़ी की घोषणा के एक महीना एक दिन के बाद कितना पैसा किसानों के खाते में पहुंचा।”