Sunday, November 17, 2024
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बार-बार नहाने से लेकर बाहर का न खाने तक: डॉक्टर से जानिए कोरोना वायरस से जुड़े उन 9 सवालों के जवाब जो आपके मन में हैं

"ये संक्रमण से सम्बंधित बीमारी है, फ्लू की तरह। ये साल्मोनेला वगैरह की तरह खाने-पीने की सामानों से फैलने वाला रोग नहीं है। अभी तक ऐसा कोई भी उदाहरण नहीं मिला है, जहाँ बाहर का खाना लेने से कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ हो।"

कोरोना वायरस को लेकर तरह-तरह की बातें कही जा रही हैं। भारत में अब तक कोरोना के 410 मरीज सामने आ चुके हैं। इन सबके बीच एक सकारात्मक बात ये है कि फ़िलहाल इनमें से कोई भी इंटेंसिव केयर में नहीं डाला गया है। दुःखद ये है कि 8 लोगों को इस ख़तरनाक वायरस के कारण जान गँवानी पड़ी है। इन सबके बीच 24 लोग ठीक होकर घर भी जा चुके हैं। लेकिन, लोगों के बीच अफवाहों का बाज़ार भी गर्म है। ख़ासकर भारत जैसे बड़े देश में व्हाट्सप्प-फेसबुक वगैरह के माध्यम से कुछ ऐसी बातें फैलाई जा रही हैं, जिन्हें लेकर लोग शंकित हैं कि ये सच है या नहीं। यहाँ हम उन चीजों पर डॉक्टर क्या कहते हैं, ये बताएँगे।

यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के ‘चीफ ऑफ इन्फेक्शस डिजीज’ फहीम यूनुस ने ऐसे ही कुछ सवालों का जवाब दिया है। उन्होंने 10 ऐसे मिथकों की चर्चा की है जो लोगों के मन में बस गए हैं और साथ ही सच्चाई भी बताई है। यहाँ हम उन्हीं 9 मिथकों को डॉक्टर यूनुस के जवाब के साथ पेश कर रहे हैं।

  1. मिथक: कोई शिपिंग पैकेज न लें। गैस पम्प, शॉपिंग कार्ट अथवा एटीएम का इस्तेमाल न करें।
    सच्चाई: किसी भी चीज की सरफेस पर कोरोना वायरस का ज़िंदा रहना अलग बात है और उस सरफेस से आपके शरीर का संक्रमित हो जाना दूसरी बात है। बस अपना हाथ धोते रहें और अपनी ज़िंदगी जीते रहें।
  2. मिथक: आप बाहर से खाना मँगाते हैं। हो सकता है कि वो चाइनीज फ़ूड हो। इसे खाने या इसका लेन-देन करने से कोरोना वायरस के संक्रमण का ख़तरा है।
    सच्चाई: ये संक्रमण से सम्बंधित बीमारी है, फ्लू की तरह। ये साल्मोनेला वगैरह की तरह खाने-पीने की सामानों से फैलने वाला रोग नहीं है। अभी तक ऐसा कोई भी उदाहरण नहीं मिला है, जहाँ बाहर का खाना लेने से कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ हो।
  3. मिथक: 20 मिनट तक सॉना (ड्राई बाथ) अथवा स्टीम-बाथ लेने से कोरोना का ख़तरा टल जाता है। इससे कोरोना सहित 90% वायरस मारे जाते हैं।
    सच्चाई: इस दावे की पुष्टि के लिए कोई वैज्ञानिक तथ्य मौजूद नहीं है। हाँ, ये जान लीजिए कि ऐसे नहाने से आपको न्यूमोनिया और फॉलिक्युलिटिस सहित अन्य बीमारियाँ होने का ख़तरा ज़रूर बढ़ जाता है।
  4. मिथक: अगर आपने सूँघने की क्षमता खो दी है तो आप कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए हैं।
    सच्चाई: ऐसा बहुतों बार होता है कि किसी के सूँघने की क्षमता चली जाती है। कई अन्य वायरल इन्फेक्शन व एलर्जी के कारण भी ऐसा होता है। ज़रूरी नहीं है कि ये लक्षण तभी दिखे जब आपको कोरोना हुआ हो।
  5. मिथक: हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन या फिर एजिथ्रोमाइसिन का डोज लेने से कोरोना के संक्रमण का ख़तरा टल जाता है।
    सच्चाई: इन एक्सपेरिमेंटल ड्रग्स को कोरोना वायरस के कुछ ख़ास मरीजों पर ही इस्तेमाल किया जाता है। बिना डॉक्टर की सलाह के इसे लेना दिल से सम्बंधित स्वास्थ्य परेशानियों को जन्म दे सकता है।
  6. मिथक: अगर आप रूम में लहसुन, निम्बू, प्याज और गरम पानी का प्रयोग करते हैं तो कोरोना का ख़तरा ख़त्म हो जाता है।
    सच्चाई: ये एकदम से बनी-बनाई बात है। कोविड-19 के ख़िलाफ़ इनमें से किसी भी उपाय की मेडिकल रूप से पुष्टि नहीं हुई है। ऐसे मैसेज शेयर ही न करें। इससे लोगों के बीच संशय का माहौल बनता है।
  7. मिथक: अगर सरकार ने ‘स्टेट ऑफ इमरजेंसी’ घोषित कर दी है तो इसका मतलब है कि सभी लोग मरने वाले हैं।
    सच्चाई: ये एक लीगल प्रक्रिया है, पूरी तरह से मेडिकल प्रक्रिया नहीं। इससे प्रशासन को (अमेरिका में) को इमरजेंसी फंड का प्रयोग करने या कर्मचारियों का अधिक उपयोग करने में सहूलियत होती है।
  8. मिथक: बाहर से जब भी आएँ, अपने कपड़े बदल लें। नहाएँ। अगर ऐसा नहीं होता है तो हो सकता है कि आप बाहर से कोरोना वायरस लेकर घर के भीतर आ गए हों।
    सच्चाई: साफ़-सफाई ज़रूरी है लेकिन इसे लेकर साइको बनना ज़रूरी नहीं है। लोगों को डराएँ नहीं। सबसे ज़्यादा आवश्यक है सही तरीके से हाथ धोना। भीड़भाड़ से दूर रहें और लोगों से कम से कम 6 फ़ीट की दूरी बना कर रखें।
  9. मिथक: मुझे तो इटली और चीन के डॉक्टरों के व्हाट्सप्प वगैरह पर मैसेज मिले हैं। उनका विश्वास तो करना पड़ेगा न।
    सच्चाई: नहीं। सेंटर सोशल मीडिया पर ऐसी चीजें रिलीज नहीं करते। वो साइंस जर्नल्स में अपने रिसर्च प्रकाशित करते हैं। हालाँकि, अभी तक कई अच्छे रिसर्च इस सम्बन्ध में प्रकाशित हो चुके हैं। अफवाह न फैलाएँ।

ऊपर के सभी तथ्यों को बार-बार पढ़ें और अन्य लोगों को भी पढ़ाएँ क्योंकि ये एक ऐसे व्यक्ति की राय है जो लगातार इन चीजों पर रिसर्च कर रहे हैं और मरीजों की जाँच भी कर रहे हैं। ऐसे समय में व्हाट्सप्प पर आए किसी भी रैंडम मैसेज को फॉरवर्ड कर देना सही नहीं है। ‘वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन’ के व्हाट्सप्प नंबर ‘+41 798931892’ पर मैसेज कर के अन्य जानकारी ली जा सकती है। या फिर भारत सरकार के हेल्पलाइन नंबर ‘+91 9013151515’ पर मैसेज कर के ज़रूरी सूचनाएँ प्राप्त की जा सकती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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