केरल में कोविड के नए वैरिएंट JN.1 का मामला सामने आया है। वहाँ इस वैरिएंट को लेकर काफी चर्चा है। केंद्र ने भी इस पर एजवाइडरी जारी की है। इसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से निरंतर निगरानी बनाए रखने को कहा गया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने इस संबंध में राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र भी भेजा है। इसमें उन्होंने बताया कि वो लोग कोविड के मामलों पर नियंत्रण पा रहे हैं। पहले 300 मामले आते थे हालाँकि 18 दिसंबर को 235 मामले आए हैं।
उन्होंने बताया कि भारत में कोविड-19 के उप स्वरूप जेएन.1 का पहला मामला आठ दिसंबर को केरल में सामने आया था। हालाँकि, पीड़ित महिला रोगी अब पूरी तरह से ठीक हो चुकी है। उन्होंने कहा कि आगामी त्योहारी मौसम को ध्यान में रखते हुए राज्यों को बीमारी के प्रसार के जोखिम को कम करने के लिए अपेक्षित सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय और अन्य व्यवस्थाएँ करनी चाहिए। आरटी-पीसीआर टेस्ट और एंटीजन टेस्ट लगातार होने चाहिए।
इससे पहले आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ राजीव बहल ने 8 दिसंबर,2023 को इस नए वैरिएंट के बारे में बताया था। इसके बाद केरल के तिरुवनंतपुरम जिले के काराकुलम की 79 साल की एक बुजुर्ग महिला के आरटी-पीसीआर पॉजीटिव सैंपल में कोविड का सब वैरिएंट JN.1 पाया गया था। इस बुजुर्ग महिला में पहले इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) के हल्के लक्षण थे। बाद में ये पूरी तरह ठीक हो गईं।
बता दें कि दुनिया भर में JN.1 कोविड-19 वैरिएंट के मामले बढ़ रहे हैं। हालाँकि, केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि राज्य में पाया गया कोविड-19 सब वैरिएंट जेएन.1 चिंता की वजह नहीं है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, मेडिकली देखा जाए तो इनमें से अधिकांश केस हल्के लक्षण के होते हैं और उनमें से अधिकतर किसी बड़ी दवा के बगैर ही ठीक हो जाते हैं, हालाँकि इसे लेकर सतर्कता बरतनी जरूरत है।
जानकारी के मुताबिक भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) ने कोविड केसों की निगरानी के तहत केरल में कोविड के इस नए सब वैरिएंट JN.1 का पता लगाया था। भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) जीनोमिक प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क है। ये जीनोमिक तरीके से देश में कोरोनो वायरस केसों पर नजर रख रहा है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) इस कॉन्सॉर्टियम का एक हिस्सा है।
जानिए, ये JN.1 कोविड-19 वैरिएंट है क्या और ये कैसे इंसान पर अपना असर डालता है यहाँ आपको इन सब सवालों का जवाब देते हैं।
कहाँ से आया सब वैरिएंट जेएन.1
कोविड-19 का JN.1 सब वैरिएंट पहली बार लक्ज़मबर्ग में पहचाना गया था और तब से यह कई देशों में फैल गया है। यह पिरोला वेरिएंट (BA.2.86) का ही अगला रूप है। इसका पहला केस पहली बार सितंबर 2023 में अमेरिका में सामने आया था।
चीन में 15 दिसंबर,2023 को इस खास सबवैरिएंट के 7 मामले मिले थे। इस JN.1 वैरिएंट के केस अब तक संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, आइसलैंड, स्पेन, पुर्तगाल और नीदरलैंड जैसे देशों में मिले हैं। भारत की बात करें तो सिंगापुर हवाई अड्डे पर हुई जाँच में कुछ भारतीयों में JN.1 सब वैरिएंट पाया गया था।
वैरिएंट और सब वैरिएंट क्या है
अमेरिकी के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने कहा, जेएन.1 और बीए.2.86 के स्पाइक प्रोटीन में केवल एक ही बदलाव है। इस वजह से सीडीसी का मानना है कि वायरस के स्पाइक प्रोटीन को टारगेट करने वाली वैक्सीन को JN.1 और BA.2.86 के खिलाफ भी असर करना चाहिए।
लक्षण
मेडिकली देखा जाए JN.1 सब वैरिएंट के अधिकाँश मामले हल्के होते हैं और मरीज बिना किसी इलाज के अपने घर पर ही ठीक हो रहे हैं। जेएन.1 वैरिएंट के कुछ सामान्य लक्षणों में बुखार, नाक बहना, गले में खराश, सिरदर्द और छोटी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएँ शामिल हैं।
स्पाइक प्रोटीन क्या होता है…
वायरोलॉजी में स्पाइक प्रोटीन या पेप्लोमर प्रोटीन एक ऐसा प्रोटीन होता है जो एक बड़ी संरचना बनाता है। इसे स्पाइक या पेप्लोमर के तौर पर भी जाना जाता है जो छुपे हुए वायरस की सतह पर पलता है। ये प्रोटीन आमतौर पर कार्बोहाइड्रेट वाला ग्लाइकोप्रोटीन होता हैं।
मालूम हो कि इंसानी शरीर की कोशिकाएँ प्रोटीन की बनी होती हैं। ये स्पाइक प्रोटीन स्वस्थ कोशिकाओं पर एंजियोटेंसिन-परिवर्तित एंजाइम 2 (एसीई2) के तौर पर पहचाने जाने वाले रिसेप्टर्स को पकड़कर काम करता है, इसलिए यह उनमें आसानी घुस सकता है। वहीं एंजियोटेंसिन एक पेप्टाइड हार्मोन है। ये इंसान में ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखता है।
स्पाइक प्रोटीन गंभीर सांस की बीमारी वाले सिंड्रोम कोरोनावायरस को बनाने वाले प्रोटीनों में से एक है। SARS-CoV-2 कोरोना वायरस में तेज़ी से उत्परिवर्तन होने और नए वैरिएंट और सब वैरिएंट बनाने की क्षमता है। इस वजह से तेजी से फैलता है। वैरिएंट के बाद फिर उसमें बदलाव आने पर वो सब वैरिएंट बनता है।
खासकर जेएन.1 में स्पाइक प्रोटीन में अहम संख्या में उत्परिवर्तन या बदलाव शामिल हैं। (जब किसी वायरस के वैरिएंट में एक या एक से अधिक उत्परिवर्तन (Mutations) होते हैं। वो उसने अन्य पहले से मौजूद वैरिएंट से अलग बना देते हैं।)
हालाँकि इनमें से अधिकाँश उत्परिवर्तन वायरस का असर कम करते हैं तो कुछ उत्परिवर्तन वायरस को और मजबूत बना देते हैं।
कोविड का मूल यानी फाउंडर वैरिएंट Wu.Hu.1 चीन के वुहान से फैला था। इसके कुछ ही महीनों में D614G वैरिएंट सामने आया था और पूरी दुनिया में फैल गया था।
देश में कोराना संक्रमण के केस
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की देश में कोविड टेली पर नजर डालें तो सोमवार (18 दिसंबर,2023) को एक्टिव केस बढ़कर 1,828 हो गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, कोविड संक्रमण से उबरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 4.46 करोड़ (4,44,69,931) हो गई। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रीय रिकवरी दर 98.81 फीसदी आँकी गई है।
कोविड-19 से अब तक 5,33,317 लोगों की मौत हो चुकी है और मृत्यु दर 1.19 फीसदी है। मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक, देश में अब तक कोविड-19 वैक्सीन की 220.67 करोड़ खुराकें दी जा चुकी हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों में रविवार (17 दिसंबर,2023) को कोविड संक्रमण से पाँच मौतें हुईं। इनमें चार मौत अकेले केरल में तो एक उत्तर प्रदेश में दर्ज की गई।