कोरोना वायरस संक्रमण.. ISIS में भर्तियाँ.. महिलाओं के खिलाफ अपराध.. सोना तस्करी.. जब इन चारों चीजों को मिला दिया जाए तो हमें मिलता है केरल का वामपंथी शासन। यहाँ हम सबसे पहले बात करेंगे केरल में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध पर। साढ़े 3 करोड़ की जनसंख्या वाले केरल में महिलाओं के खिलाफ अपराध इतने होते हैं, जितने मामले देश के बड़े-बड़े राज्यों में भी सामने नहीं आते।
शुरू करते हैं केरल विधानसभा में दिए गए मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के ताज़ा बयान से। उन्होंने बुधवार (12 अगस्त, 2021) को कहा कि महिलाओं के खिलाफ ऐसे अपराधों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जो उनके द्वारा नकार दिए गए कथित प्रेमियों द्वारा अंजाम दिए जाते हैं। उन्होंने ऐसे अपराधों को रोकने की बात करते हुए कहा कि बंदूक की तस्करी पर भी पुलिस लगाम लगाएगी। उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध कहीं भी हों, नजदीकी थाने को मामला दर्ज कर के 24 घंटे के भीतर जाँच के शिकायतकर्ता के गृह थाने में सौंपी जाए।
कई ऐसे अपराधी भी हैं, जो नाबालिग लड़कियों को फँसाने की कोशिश करते हैं। इसके लिए वो इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह के अपराधों को सिर्फ ‘साइबर क्राइम’ की श्रेणी में ही नहीं रखा जा सकता। उन्होंने सरकार द्वारा ऐसे मामलों पर अतिरिक्त ध्यान देने का आश्वासन देते हुए बच्चों को मानसिक राहत देने सम्बन्धी उपायों पर बल दिया। साथ ही मजबूरी जताई कि सरकार नए साइबर कानून नहीं बना सकती और मौजूदा कानूनों के अंतर्गत ही उसे काम करना पड़ेगा।
आखिर केरल में ऐसी नौबत आई ही क्यों? ऐसे, आगे बढ़ने से पहले जरा आँकड़ों की बात कर लेते हैं। ‘इंडिया टुडे’ ने 10 साल के आँकड़ों को जुटाया था तो पाया था कि राजस्थान रेप के मामले की वृद्धि में अव्वल है। इस शर्मनाक रिकॉर्ड की सूची में दूसरे नंबर पर केरल ही है। जी हाँ, केरल इस मामले में अपने से दोगुनी जनसंख्या वाले राज्य के बाद इस मामले में दूसरे स्थान पर है। ये आँकड़े ‘राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB)’ से लिए गए हैं।
अगर 2009 से 2019 की बात करें तो जहाँ राजस्थान में रेप के मामले 1519 से सीधा 5997 तक पहुँच गए, जबकि केरल में ये संख्या इन्हीं 10 वर्षों में 568 से सीधा 2023 तक चली गई। इस तरह से एक दशक में केरल में बलात्कार के मामलों की संख्या 256% बढ़ गई। राजस्थान और केरल के बाद इस मामले में दिल्ली का स्थान आता है। मध्य प्रदेश शीर्ष 10 राज्यों में अकेला है, जहाँ रेप के मामले घटे।
केरल सरकार की ही वेबसाइट की बात करें तो 2016 में वहाँ बलात्कार के 1656 मामले सामने आए, 2017 में 2003 मामले, 2018 में 2005 मामले, 2019 में 2023 मामले और 2020 में 1880 मामले सामने आए। वहीं जून 2021 तक की बात करें तो कुल 1049 रेप के मामले इस साल आ चुके हैं। इस तरह पिछले 5 वर्षों में राज्य में बलात्कार के मामले बढ़े ही हैं, वो घटने का नाम नहीं ले रहे।
वहीं 2016, 2017, 2018 व 2019 में छेड़खानी की लगातार 4000 से अधिक मामले सामने आते रहे। 2020 में ये आँकड़ा 3890 रहा और 2021 में आधे साल में ऐसे 1715 मामले सामने आ चुके हैं। यानी, केरल में हर साल महिलाओं के साथ अपराध के 12,000 से अधिक मामले सामने आते ही हैं। अगर सरकार ने सही में इससे निपटने के लिए कदम उठाया होता तो आज शायद ये स्थिति नहीं होती।
For all its claims of ‘navodhanam’ (reformation) in Kerala, the LDF has done little to prevent crimes against women. Sex crime rates have risen steeply & stayed high. Trivandrum is among the worst affected districts. More data from Kerala govt website: https://t.co/5he2CkLtpC pic.twitter.com/B8nUXS2UOJ
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) January 20, 2019
बच्चों के साथ यौन अपराध की बात करें तो मई 2020 तक ही केरल में ऐसे 627 मामले सामने आए हैं। 2016 से 2020 तक के मासिक औसत की बात करें तो ये संख्या उससे कहीं ज्यादा है। 2019 में सबसे ज्यादा, यानी बच्चों के यौन शोषण के 1313 मामले सामने आए। 2016 में 958 बच्चियों का बलात्कार हुआ था, और 2020 में ये आँकड़ा 1143 रहा था। यानी इस मामले में भी केरल में कोई खास सुधर नहीं है।
इन्हीं सबके बीच केरल के गोल्ड और डॉलर स्मलिंग केस के आरोपित स्वप्न सुरेश और पीएस सरिथ ने कस्टम डिपार्टमेंट के सामने बड़ा खुलासा किया है। आरोपितों ने सीमा शुल्क विभाग को बताया है कि केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन 2017 में संयुक्त अरब अमीरात की अपनी यात्रा के दौरान यूएई डॉलर का बंडल लेकर जाने वाले थे। जिसने ये जानकारी दी है, उसका नाम पीएस सरिथ है। वाणिज्य दूतावास के पूर्व कर्मचारी पीएस सरिथ ने पिछले साल अक्टूबर में इसको लेकर बयान दिया था।