उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रचार के दौरान अपराधियों को चेतावनी देते हुए कहा था कि वो मई-जून की गर्मी शिमला बना देंगे। मई-जून तो नहीं आया, लेकिन अपराधियों की गर्मी अब शाँत होती दिख रही है। यूपी में बीजेपी की वापसी के 15 दिन के अंदर ही अब तक 50 अपराधियों ने थानों में जाकर आत्मसमर्पण कर दिया है।
इन अपराधियों को या तो पुलिस एनकाउंटर या फिर घरों पर बुल्डोजर चलने का डर सताने लगा है। ये अपराधी अपने गले में तख्तियाँ लपेटकर थानों में गए और सरेंडर किया। इसमें लिखा था, “मैं आत्मसमर्पण कर रहा हूँ, कृपया गोली न चलाएँ।” इस मामले में यूपी के एडीजी लॉ एँड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने कहा कि 50 अपराधियों ने थानों में न केवल आत्मसमर्पण किया है, बल्कि अपराध छोड़ने की भी कमस खाई।
पुलिस अधिकारी ने कहा, “प्रदेश के कोने-कोने में अपराधियों में भय पैदा करने के लिए माइक्रो प्लानिंग के तहत कानून व्यवस्था में सुधार के लिए त्वरित एवं सख्त कार्रवाई की जा रही है। अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस न केवल माफिया पर प्रभावी कार्रवाई के बारे में है, बल्कि यूपी-112 द्वारा नए सिरे से सतर्कता और सघन पेट्रोलिंग करना है। 2017 के बाद से राज्य में कोई साम्प्रदायिक दंगा नहीं हुआ।”
ऐसे हुई सरेंडर की शुरुआत
उत्तर प्रदेश में अपराधियों के आत्मसमर्पण करने की शुरुआत 10 मार्च के बाद हुई। 15 मार्च 2022 को सहारनपुर में अपहरण और जबरन वसूली के मामले में फरार चल रहे गौतम सिंह ने गोंडा जिले के छपिया थाने में जाकर आत्मसमर्पण किया। इसके तीन दिन के भीतर ही सहारनपुर के चिलकाना थाने में एक साथ 23 अपराधियों ने भी सरेंडर कर दिया। देवबंद में भी चार अपराधियों ने सरेंडर किया और कसम खाई कि वो अपराध नहीं करेंगे। इसी तरह से शामली में भी हुआ, जहाँ गोहत्या के 18 आरोपितों ने गढ़ीपुख्ता और थानाभवन थानों में जाकर आत्मसमर्पण कर दिया। हनी उर्फ हिंमांशू ने तो गोली न मारने की विनती करते हुए सरेंडर किया।