राजस्थान पुलिस के दामन पर एक बार फिर से दाग लगा है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार प्रेमी संग घर से भागी एक दलित युवती ने छेड़खानी और पुलिस चौकी में रेप किए जाने का आरोप लगाया है। मामला सीकर जिले के धोद थाना क्षेत्र के सिंगरावट चौकी का है। कथित तौर पर 29 अगस्त को तड़के चौकी में युवती के साथ रेप किया गया। आरोपित चाैकी इंचार्ज सुभाष कुमार है। मामले में मानवाधिकार आयोग ने भी सीकर के एसपी से 15 सितंबर तक रिपोर्ट तलब की है।
रिपोर्ट के अनुसार दलित युवती 12 अगस्त को घर से गायब हो गई थी। परिजनों ने धोद थाने इसकी रिपोर्ट दर्ज कराई। जाँच से यह बात सामने आई कि वह प्रेमी के साथ श्रीगंगानगर में है। हेड कॉन्स्टेबल सुभाष कुमार दोनों को लाने गए थे।
युवती का आरोप है कि रास्ते में सुभाष ने उसके प्रेमी को गाड़ी में आगे बिठा दिया और खुद उसके साथ पीछे बैठ गया। इस दौरान पूरे रास्ते उसने छेड़खानी की। युवती ने विरोध किया तो उसकी पिटाई की गई। 29 अगस्त को तड़के करीब साढ़े चार बजे सभी लोग चौकी पहुँचे। कथित तौर पर सुभाष ने बयान दर्ज करने के बहाने युवती के साथ चौकी में ही बलात्कार किया। बाद में उसे डरा-धमकाकर प्रेमी के साथ भेज दिया।
रक्षक बने भक्षक ।
— BJP Rajasthan (@BJP4Rajasthan) September 6, 2021
राजस्थान की गहलोत सरकार जनता की आशाओं पर धाराशाही हो चुकी है । इस गूंगी , बहरी और अंधी सरकार के कार्यकाल में जनता के साथ जो दिन प्रतिदिन अन्याय हो रहा है वह बेहद शर्मनाक है , राजस्थान की जनता कभी माफ नहीं करेगी । pic.twitter.com/UlzhzgvSiL
युवती ने जब यह बात अपने प्रेमी और परिवार को बताई तो धोद थाने में पंचायत हुई। फिर उसने एसपी के सामने परिवाद दे सुभाष पर छेड़छाड़ और रेप का आरोप लगाया। मामले की जाँच डीएसपी राजेश आर्य को सौंपी गई है। साथ ही आरोपित को चौकी से हटा दिया गया है।
वहीं दैनिक भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया है कि साेमवार काे युवती काेर्ट में अपने बयानाें से मुकर गई। बताया जा रहा है कि प्रेमी से अलग न होना पड़े इसलिए उसने आरोप लगाए थे। रिपोर्ट में एसपी कुंवर राष्ट्रदीप के हवाले से कहा गया है, “चौकी इंचार्ज के खिलाफ छेड़छाड़ व ज्यादती के मुकदमे में युवती द्वारा लगाए आरोप प्रथम दृष्टया प्रमाणित नहीं हुए हैं। मामले में जाँच की जा रही है।”
हालाँकि यह पहला मौका नहीं है जब राजस्थान पुलिस पर इस तरह के आरोप लगे हैं। हाल में कई ऐसी घटनाएँ सामने आई हैं जिससे पता चलता है कि राज्य के थाने भी महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं हैं। बीते अगस्त में नागौर जिले से ऐसा ही एक मामला सामने आया था। खुनखुना थाने के एसएचओ रहे एसआई शंभुदयाल मीणा पर 24 साल की युवती ने रेप का आरोप लगाया था।
पीड़िता ने बताया था कि वह 2018 में एक मामले में शिकायत दर्ज कराने के लिए थाने गई थी। उसी दौरान मीणा ने उसका मोबाइल नंबर ले लिया। इसके बाद उसने उसे फोन करना शुरू कर दिया। डींडवाना कस्बा स्थित एक होटल में बुला रेप किया। रेप के बाद कथित तौर पर उसे जान से मारने की धमकी दी। उसके बाद रेप का सिलसिला चल पड़ा। मीणा का तबादला होने के बाद लड़की ने हिम्मत दिखाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। इसके मुताबिक मीणा उसे रोज कॉल करता था और करीब 15-20 बार उसके साथ रेप किया।
इसी साल मार्च में अलवर के खड़ेली थाने में अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने गई 26 साल की महिला से थाना परिसर में ही सब इंस्पेक्टर द्वारा तीन दिन तक लगातार रेप किए जाने का मामला सामने आया था। पीड़िता ने आऱोप लगाया था कि 2 मार्च 2021 को वह पति से विवाद के निपटारे के लिए खड़ेली थाना गई थी। वहाँ सेकेंड ऑफिसर भरत सिंह ने उसे पति से विवाद के निपटारे का झाँसा देकर रेप किया।
इसी तरह एंटी करप्शन ब्यूरो ने इसी साल मार्च में ACP कैलाश बोहरा को ऑफिस में पीड़िता के साथ आपत्तिजनक हालत में पकड़ा था।पीड़िता ने जवाहर सर्कल थाने में किसी युवक के खिलाफ दुष्कर्म और धोखाधड़ी समेत 3 मामले दर्ज करवा रखे थे। इसी केस की जाँच का हवाला देकर अधिकारी बार-बार युवती को अपने ऑफिस बुलाते और कई बार ड्यूटी पूरी होने के बाद भी मिलने के लिए दबाव बनाते।
2019 में राजस्थान के चुरु जिले में एम दलित युवक की पुलिस हिरासत में हुई संदिग्ध मौत के मामले में भी पुलिस पर रेप के आरोप लगे थे। मृतक की 35 वर्षीय भाभी और परिजनों ने आधा दर्जन से अधिक पुलिसकर्मियों पर सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाया था।