संगम नगरी कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (Prayagraj, Uttar Pradesh) में गंगा के किनारे रेत में समाधी दिए गए शव बड़ी संख्या में फिर सामने आए हैं। यह दृश्य कोरोना काल की याद दिला रहा है, जिसमें कुछ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संगठनों और प्रोपगेंडानिस्टों ने इसे कोरोना से हुई मौतें बताकर राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath Government) और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) को बदनाम करने की कोशिश की थी।
सामने आए दर्जनों शव प्रयागराज के फाफामऊ घाट की है। यहाँ पर शवों को समाधि देने के बाद उनके ऊपर लाल या गेरुआ रंग का कपड़ा लटका दिया जाता है। आमतौर यह काम वैसे हिंदू करते हैं, जिनके पास दाह-संस्कार के लिए पैसे नहीं होते। वहीं, कुछ लोग परंपरा की वजह से इन्हें समाधि देते हैं।
शवों को समाधि देने वाले लोग चाहते हैं कि उनके प्रियजनों को भी इस नश्वर संसार से मुक्ति मिले, इसलिए गंगा के तट पर वे शवों को समाधिस्थ कर देते हैं। हिंदू धर्म शवों को जलाने की परंपरा है, लेकिन कई इलाकों, खासकर गंगा के किनारे के क्षेत्रों में शवों को समाधि देने की भी परंपरा है।
लोगों का मानना है कि बरसात के दिनों में जब गंगा नदी में पानी का स्तर बढ़ेगा तब ये सारे शव में उसमें प्रवाहित हो जाएँगे। इसके बाद उनके प्रियजनों को मुक्ति मिल जाएगी। इसलिए वे अस्थायी तौर पर शवों को गंगा के किनारे समाधि देते हैं। उनका मानना है कि रेत में समाधि देने से खर्च का भार उन पर नहीं पड़ता। शायद इसीलिए फाफामऊ घाट पर यूपी के कई जिलों के लोग शवों को लेकर आते हैं।
बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दुनिया भर के देशों के साथ-साथ भारत में इसका काफी असर हुआ था। लेकिन, जिस तरह अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने इन समाधि वाले शवों को छापकर भारत को बदनाम करने की कोशिश की थी, वह स्पष्ट रूप से प्रोपगेंडा था। उस सरकार तथा कई संस्थानों ने स्पष्ट किया था शवों को दफन करने की हिंदू धर्म में भी परंपरा है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय मीडिया अपना ही प्रोपगेेंडा चलाता है। यही वजह है कि कोरोना के बाद राष्ट्रीय या अंतराष्ट्रीय मीडिया ने इसकी जाँच करने की कोशिश नहीं की।
बता दें कि गंगा तट पर शवों को समाधि देने पर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) और जिला प्रशासन ने रोक लगा रखी है। इसके बावजूद लोग खर्च से बचने और परंपरा के कारण शवों को रेत में समाधि दे रहे हैं। प्रयागराज के निगम कमिश्नर रवि रंजन ने ANI को बताया कि इसे रोकने के लिए जल्दी ही घाटों पर इलेक्ट्रिक शवदाह गृह बनाए जाएँगे। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे गंगा तट पर रेत में शवों को समाधि ना दें।