गणतंत्र दिवस के मौके पर ‘किसान’ आंदोलन की आड़ में हुई हिंसा के मामले में गिरफ्तार किए गए दीप सिद्धू से पुलिस की पूछताछ जारी है। जिसमें उसने कहा है कि ऐसा करने के पीछे उसका कोई नकारात्मक उद्देश्य नहीं था, सभी वहाँ जा रहे थे, इसलिए वह भी चला गया।
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा दीप सिद्धू से उसके ठिकानों और 26 जनवरी को हुई अराजकता को लेकर विस्तार से पूछताछ कर रही है। पूछताछ की शुरुआत में उसने 25 जनवरी को सिंघू बॉर्डर पर अपनी मौजूदगी से इनकार किया था। इसके बाद पुलिस ने उसकी मौजूदगी के सबूत पेश किए, तब उसने माना कि वह ‘किसानों’ के प्रदर्शन स्थल पर मौजूद था।
दीप सिद्धू ने इसके बाद बताया कि 26 जनवरी को सुबह के वक्त उसके मोबाइल पर तीन मिस्ड कॉल और मैसेज थे। यह लाल किले की तरफ बढ़ने को लेकर थे, जिसके बाद वह अपने 3 दोस्तों के साथ वहाँ पहुँच गया।
पुलिस को दी गई जानकारी के मुताबिक़ वह सुबह 11 बजे अपने दोस्तों के साथ गाड़ी से निकला और 1 बजे लाल किले पर पहुँच गया। जैसे ही लाल किले पर पहुँचा, वैसे ही वहाँ हिंसा भड़क चुकी थी और फिर वह वापस आ गया। पुलिस ने कहा है कि दीप सिद्धू द्वारा लगाए गए आरोपों और खुलासों का सत्यापन भी कराया जाएगा।
दीप सिद्धू ने इस बात को लेकर भी खुलासा किया कि वह क्यों इतने दिनों तक छुपा हुआ था। उसका कहना है कि अब तक छुपने की सबसे बड़ी वजह ये थी कि उसकी जान को ख़तरा था। ‘किसान’ आंदोलन के तमाम नेताओं ने गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई हिंसा का आरोप उस पर लगा दिया था।
बुधवार (10 फरवरी 2021) को इस मामले पर जानकारी देते हुए दिल्ली पुलिस ने बताया कि सिद्धू के अनुसार लाल किले और आईटीओ पर हुई हिंसा स्वतः और तात्कालिक नहीं थी। किसान नेता गणतंत्र दिवस से लगभग 15 दिन पहले ही ‘किसानों’ को बता रहे थे कि वो नई दिल्ली, इंडिया गेट, संसद और लाल किले पर ट्रैक्टर रैली निकालेंगे।
आपको बता दें कि गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई हिंसा के बाद से ही दीप सिद्धू फ़रार था। कई दिनों की तलाश के बाद मंगलवार (9 फरवरी 2021) को उसे गिरफ्तार किया गया था। किसान नेताओं ने दीप सिद्धू के बयानों को सुनने और समझने से पहले उस पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से मना किया है।