Sunday, December 22, 2024
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‘तालिबान से सीखना होगा, दिल्ली की सड़कों पर उतरना होगा’: बुर्के पर मुस्लिमों को भड़काने की प्लानिंग, CAA विरोधी दंगाई गैंग का ऑडियो वायरल

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के दौरान एक बातचीत में तन्हा ने कहा था, "मैं आप सभी को एक शुभ समाचार देता हूँ। अशरफ गनी ने इस्तीफा दे दिया है। अल्लाह का शुक्रिया है कि तालिबान इमारत-ए-इस्लामिया स्थापित कर रहा है। अल्हम्दुलिल्लाह! हमें तालिबान से सीखना चाहिए कि आजादी हासिल करने के लिए किस तरह की कोशिश करनी चाहिए।"

दिल्ली दंगों के आरोपित आसिफ इकबाल तन्हा (Asif Iqbal Tanha) का एक ऑडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह कर्नाटक में शुरू हुए हिज़ाब विवाद को लेकर भड़काऊ बयान देता सुनाई दे रहा है। यह बातचीत मुस्लिम संगठनों के साथ हो रही थी। वायरल ऑडियो ट्विटर स्पेस की एक रिकॉर्डिंग का बताया जा रहा है। इस ऑडियो को वीडियो फॉर्मेट में @TheAngryLord नाम के ट्विटर हैंडल से शेयर किया गया है।

इस स्पेस का टाइटल ‘कर्नाटक हिजाब रो, क्या हाईकोर्ट न्याय देगा?’ था। इसे जमात-ए-इस्लामी हिन्द की छात्र शाखा स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन (SIO) द्वारा होस्ट किया गया था। इस स्पेस में कर्नाटक में जारी हिजाब विवाद को लेकर चर्चा हो रही थी। इसमें पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) और उसकी स्टूडेंट विंग कैम्पस फ्रंट ऑफ़ इंडिया (CFI) के सदस्य मौजूद थे।

इसमें स्पीकर के तौर पर तन्हा कह रहा था, “हम इसे (हिजाब विवाद को) सिर्फ कर्नाटक का इश्यू न बना करके इस पूरे इंडिया में फैलाना है। दिल्ली को सेेंटर ऑफ एजिटेशन बनाना है। आज सुबह जब से वह वीडियो (कर्नाटक में पुलिस कार्रवाई का) वायरल हुआ है, तब से काफी डिस्टर्बिंग रहा है। उस वक्त से मैं कई मुस्लिम संस्थाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं से लगातार बात कर रहा हूँ कि आखिर हम लोग दिल्ली में क्या कर सकते हैं इस इश्यू को लेकर के। मुझे सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं कि इस पर हमें भी कुछ करना चाहिए और जल्दी ही हम लोग उनके समर्थन में सड़कों पर उतरेंगे।”

आसिफ ने आगे कहा, “आज पूरे दिन ट्विटर पर अल्लाह-हु-अकबर ट्रेंड हुआ है, लेकिन आप अभी भी कहीं चलें जाएँ…. मैं खुद ओखला में रह रहा हूँ तो बहुत सारे लोग मिले हैं, बहुत सारे स्टूडेंट ऐसे मिले हैं, जिन्हें वीडियो वायरल होने से पहले पता ही नहीं है कि कर्नाटक में क्या हो रहा है। यहाँ की मुस्लिम आबादी को पता ही नहीं है कि कर्नाटक में हिजाब का क्या इश्यू है। हमें इस इश्यू को कम-से-कम घर-घर तक ले जाने की जरूरत है। यह हमारे अधिकारों और हमारी पहचान की बात है। CAA और तीन तलाक के मामलों में भी हमने ये कहा था कि ये मुस्लिम महिलाओं के अधिकार, उनकी पहचान और शरिया पर सीधे अटैक है। इसी तरह यह हिजाब का मुद्दा है, जो आज कर्नाटक में है, कल कहीं और होगा।”

दिल्ली दंगों के आरोपित ने आगे कहा, “SIO (स्टूडेंट इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन) के छात्र और मुस्लिम के जिम्मेदारान लोग पहले से ही इस इश्यू को लेकर जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं। हमारे GIO के छात्र लगातार सड़कों पर हैं। दूसरे स्टेट में भी, मुंबई में भी हमारी मुस्लिम बहनों ने प्रोटेस्ट की है। एक मुस्लिम संस्था का होने के नाते हम इस मामले को बहुत ही गंभीरता से ले रहे हैं।”

पहले भी कर चुका है तालिबान का समर्थन

15 अगस्त 2021 को होस्ट किए गए एक अन्य स्पेस में तन्हा को तालिबान का समर्थन करते सुना जा सकता है। उस स्पेस का नाम ‘क्या देश का मुसलमान आजाद है?” था। उस स्पेस में भी तन्हा ने कहा था, “मैं आप सभी को एक शुभ समाचार देता हूँ। अशरफ गनी ने इस्तीफा दे दिया है। अल्लाह का शुक्रिया है कि तालिबान इमारत-ए-इस्लामिया स्थापित कर रहा है। अल्हम्दुलिल्लाह! हमें तालिबान से सीखना चाहिए कि आजादी हासिल करने के लिए किस तरह की जद्दोजहद और कोशिश करनी चाहिए।” बता दें कि इसी दिन तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्ज़ा किया था।

फरवरी 2020 के दंगों में आसिफ इक़बाल की भूमिका

शाहीन बाग का करहने वाला आसिफ इक़बाल तन्हा दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी (JMI) का छात्र है। वह साल 2014 से SIO से जुड़ा हुआ है। उसे मई 2020 में UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया था। उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों में पुलिस को उसकी बड़ी भूमिका का पता चला था। आसिफ ने दिल्ली दंगों में अपनी भूमिका को कबूला था। उसने 12 दिसंबर 2019 को जामिया के गेट नंबर 7 से लगभग 3000 लोगों का एक मार्च भी निकाला था। वह जेल में बंद शरजील इमाम का सहयोग भी बताया जा रहा है।

पूछताछ में तन्हा ने पुलिस को बताया था कि शरजील इमाम ने एक भड़काऊ भाषण के दौरान 13 दिसंबर को चक्का जाम करने को कहा था। आसिफ ने 15 दिसम्बर को निकले गाँधी शांति मार्च के भी आयोजन को कबूला था। इस मार्च का नाम गाँधी के नाम पर इसलिए रखा गया था, जिससे बाकी लोग भी इसमें शामिल हो सकें। इस मार्च को रोकने के लिए लगाई गई पुलिस बैरिकेट को भी तोड़ने के लिए लोगों को भड़काने का आरोप आसिफ़ पर लगा था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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