फरवरी 2020 में हुए दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगों में 20 जनवरी, 2022 को पहली सजा गोकुलपुरी थाना क्षेत्र के भागीरथी विहार में रहने वाले दिनेश यादव को हुई थी। कड़कड़डूमा कोर्ट के एडिशनल सेशन जज वीरेंद्र भट ने दिनेश यादव को 5 साल की कैद और 12,000 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई थी। मूल रूप से आज़मगढ़ के निवासी दिनेश पर मुस्लिम समुदाय की एक महिला के मकान में आगज़नी करने और उनकी भैंस के साथ-साथ भैंस का बच्चा भी खोल ले जाने का आरोप था।
जेल में सजा काट रहे दिनेश के परिवार से मिलने और उनका पक्ष जानने के लिए ऑपइंडिया की टीम जनवरी 2022 में गई थी। तब हमने पाई-पाई और दाने-दाने को मोहताज दिनेश के घर की स्थिति से लोगों को वाकिफ करवाया था। एक साल बाद हमने फिर से फरवरी 2023 में दिनेश के परिजनों के ताजा हालात की जानकारी ली।
दिनेश यादव के भाई हरीश ने हमें बताया कि अभी तक दिनेश जेल में ही हैं। गिरफ्तारी के वक्त से कुल मिला कर दिनेश लगभग 3 साल जेल की सजा काट चुके हैं। हाईकोर्ट में उनके साथ कई अन्य लोगों का केस सरकारी एडवोकेट शिखा गर्ग लड़ रही हैं।
पहले पिता नहीं रहे, अब माँ भी छोड़ गईं संसार
ऑपइंडिया ने दिनेश यादव के भाई हरीश यादव से बात की। हरीश ने हमें बताया कि अगस्त 2022 में रक्षाबंधन के दिन उनकी माँ बुधा देवी भी स्वर्ग सिधार गईं। जब हमने मृत्य का कारण पूछा तब हरीश ने बताया, “माँ दिनेश को याद करके काफी परेशान रहा करती थीं। इसी परेशानी में उनको तमाम बीमारियाँ हो गईं।”
गौरतलब है कि दिनेश के पिता जगन्नाथ यादव का निधन भी अपने बेटे (दिनेश) की 3 जून 2021 में हुई गिरफ्तारी के कुछ समय बाद ही 28 जून 2021 को हो गया था। दिनेश का परिवार उनके पिता की मौत की वजह भी बेटे की गिरफ्तारी से उठे सदमे को बताता है।
बताते चलें कि हमारी पिछली रिपोर्ट में बुधा देवी जीवित थीं और उन्होंने ऑपइंडिया से बात करते हुए दिनेश की गिरफ्तारी को ‘समाज की लड़ाई’ बताया था।
माँ के अंतिम संस्कार में दिनेश नहीं
हरीश ने हमें बताया कि माँ की मौत के बाद दिनेश को अंतिम संस्कार के लिए महज 4 घंटे का पेरोल मिल रहा था। हरीश के मुताबिक यह पेरोल दिनेश को पर्याप्त नहीं लगा और वो जेल में ही रहे। हमारी पिछली रिपोर्ट में दिनेश की माँ बुधा ने हमें बताया था कि वो जेल में दिनेश से मिलने कभी नहीं गईं क्योंकि दिनेश उनसे थोड़े समय के लिए नहीं बल्कि रिहा होने के बाद ही मिलना चाहता था। अफसोस! अब माँ और बेटे कभी नहीं मिल पाएँगे।
हरीश ने हमें बताया कि दिनेश यादव जेल में बेहद दुखी हैं और वो इसे विधि का विधान बता कर रिहा होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
अब घर सुनसान
दिनेश के भाई हरीश ने हमें आगे बताया कि उनका बसा-बसाया घर अब सुनसान हो चुका है। उन्होंने कहा कि कभी घर में माँ-पिता, भाई, पत्नी, बच्चा सब रहते थे। अब उस घर में न माँ हैं और न ही पिता। भाई को भी हरीश ने जेल में बता कर होते हुए भी नहीं बताया।
दिनेश के घर में फ़िलहाल उनके भाई हरीश, उनकी एक बहन, हरीश की पत्नी और हरीश का बच्चा रहते हैं। हरीश मेहनत मजदूरी करके लगभग 10 से 15 हजार रुपए महीने कमा कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं।
न किसी से मदद, न ही कोई माँग
हरीश यादव ने हमें बताया कि दंगे के बाद केस में नाम आने, सजा काट कर 2 साल जेल में बीत गए लेकिन कोई भी उनके परिवार की मदद करने सामने नहीं आया। हरीश ने कहा कि कोर्ट आने-जाने से लेकर फोटोकॉपी और पैरवी तक का हर पैसा उन्हें अपनी जेब से और उसी मेहनत मजदूरी की कमाई में से देना पड़ रहा है, जिससे वो अपने परिवार का गुजारा करते हैं।
हरीश ने हमसे बात करते हुए दुनिया से नाउम्मीदी जताई। उन्होंने बताया कि अब उनकी किसी से भी कोई माँग नहीं है।
गौरतलब है कि पिछले साल की रिपोर्ट में हमने बताया था कि हरीश की माँ बुधा ने दिल्ली पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए न सिर्फ अपने परिवार को बुरी तरह से मानसिक टॉर्चर करने बल्कि रिश्वत माँगे जाने का भी आरोप लगाया था। तब बुधा देवी (अब स्वर्गीय) ने हमें बताया था कि उनका बेटा बेगुनाह है और सिर्फ पैसे न दे पाने के चलते उसे फँसाया गया था।
बुधा देवी ने हमें यह भी बताया था कि जिस मुस्लिम महिला के लगाए आरोप में उनका बेटा जेल काट रहा है, उसका अपने ही मोहल्ले में कई लोगों से झगड़ा चलता रहता है। पिछले साल हमसे मुलाकात के दौरान दिनेश की माँ ने खुद को शुगर और ब्लड प्रेशर की बीमारी से ग्रसित बताया था।