उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में भड़की हिंसा के दौरान गोली-बम से ज्यादा घातक गुलेल साबित हुई। यह कोई आम गुलेल नहीं थीं। ये गुलेल सैकड़ों की संख्या में मिली थी। हिंसा की जाँच कर रही दिल्ली पुलिस अपराध शाखा की एसआईटी को 10-15 घरों के बाद किसी न किसी एक घर की ऊँची छत पर गुलेल मिली थी।
दैनिक जागरण के मुताबिक दंगे से तीन दिन पहले फैजल फारुख ने अपने राजधानी पब्लिक स्कूल की छत पर राम इलाही नाम के वेल्डर के जरिए बड़ी गुलेल लगवाई थी। उसी गुलेल से 24 फरवरी को शिव विहार तिराहे पर एसिड भरी बोतलें व पेट्रोल बम फेंककर बड़ी तबाही मचाई गई थी। राम इलाही उर्फ हाजी रहीम इलाही उर्फ राम रहीम शिव विहार का ही रहने वाला है और पेशे से वेल्डर है। उससे फैजल फारुख का पुराना संबंध बताया जा रहा है।
दिल्ली दंगा मामले में राम इलाही को भी आरोपित बनाया गया है। दंगे में आरोपित बनाए जाने का पता चलने के बाद से ही वह फरार है। इतना ही नहीं, गिरफ्तारी के डर से उसने कड़कड़डूमा कोर्ट में अंतरिम जमानत की अर्जी लगाई थी, हालाँकि पुलिस के विरोध के बाद कोर्ट ने गुरुवार (सितंबर 17, 2020) को उसे खारिज कर दिया। अब दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच राम इलाही की खोज में जुटी हुई है।
गौरतलब है कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में 25 फरवरी को हुए दंगे के दौरान शिव विहार स्थित राजधानी पब्लिक स्कूल के मालिक फैजल फारुख को दंगा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। हालाँकि फैजल के खिलाफ कोई ठोस सबूत न पेश कर पाने पर निचली अदालत ने उसे जमानत दे दी थी, लेकिन पुलिस ने दंगे से जुड़े दूसरे मामले में उसे गिरफ्तार कर लिया था।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले दिल्ली पुलिस ने अदालत में दायर चार्जशीट में फैजल फारुख को एक मुख्य साजिशकर्ता के रूप चिन्हित करते हुए कहा था कि जब पूर्वोत्तर दिल्ली में दंगे हो रहे थे, उस समय वो तबलीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद के करीबी अब्दुल अलीम के संपर्क में था।
दंगे के दौरान फैजल फारुख के स्कूल की छत पर एक बड़ा गुलेल लगाया गया था। इसकी मदद से हिंदुओं और उनकी संपत्तियों और पेट्रोल बम से निशाना बनाया गया था। दंगों में इस स्कूल को कोई नुकसान नहीं पहुॅंचा था। लेकिन इसके ठीक बगल में स्थित डीआरपी पब्लिक स्कूल तबाह हो गया था। पुलिस को राजधानी स्कूल की छत की चारदीवारी पर लगाई गई गुलेल और अन्य ज्वलनशील पदार्थ बरामद हुए थे।
जाँच के दौरान यह पाया गया था कि हिंसा बड़ी साजिश के तहत हुई और राजधानी स्कूल का मालिक फैजल फारुख हिंसा के ठीक पहले पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के कई नेताओं, पिंजरा तोड़ ग्रुप, निज़ामुद्दीन मरकज़, जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी और देवबंद के कई मौलवियों-आलिमों के संपर्क में था। उसके मोबाइल से इस बात के सबूत मिले हैं।
दिल्ली में बीते दिनों हिंदुओं के ख़िलाफ़ हुई हिंसा पूर्व नियोजित होने के कई सबूत सामने आए। हिंसाग्रस्त इलाकों से लगातार ऐसी तस्वीरें और विडियो सामने आए, जिसने इस बात को प्रमाणित किया कि ये हिंसा दो समुदायों के आमने-सामने आने से नहीं भड़की, बल्कि ये सब एक प्लान के तहत हुआ। मुस्लिम दंगाइयों ने हिंदुओं के घरों, उनकी गाड़ियों और उनके शैक्षणिक संस्थानों पर हमला करने के लिए पहले से ही तैयारी कर रखी थी।