महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपों से घिरे भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को बड़ी राहत मिली है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें दो दिनों की अंतरिम जमानत दे दी है। यही राहत WFI के असिस्टेंट सेक्रेटरी विनोद तोमर को भी मिली है। इस मामले में दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में तोमर का भी नाम था। उन पर महिला पहलवानों को अकेले बृजभूषण के पास भेजने का आरोप है। दोनों की नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई 20 जुलाई 2023 को होगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने 25000 रुपए के निजी मुचलके पर दोनों को अंतरिम जमानत प्रदान की है। बृजभूषण शरण सिंह के वकील ने कोर्ट से मीडिया ट्रायल रोकने की भी माँग की थी। लेकिन राउज एवेन्यू कोर्ट ने इस पर किसी भी प्रकार का आदेश जारी करने से इनकार करते हुए हाई कोर्ट में अपील करने को कहा।
Hearing on regular bail of Former Wrestling Federation of India (WFI) chief and BJP MP Brij Bhushan Sharan Singh and Vinod Tomar will be held on July 20. Interim bail has been granted to them till the next date of hearing.
— ANI (@ANI) July 18, 2023
इस मामले में बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी नहीं होने की वजह भी सामने आ गई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट में इसका कारण बताया है। कहा है कि 108 में से मात्र 15 ने पहलवानों के आरोपों की पुष्टि की है। डिजिटल डिवाइस की फोरेंसिक रिपोर्ट भी अभी तक पुलिस को नहीं मिली है। मोबाइल रिकॉर्ड का विश्लेषण भी बाकी है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट की उस गाइडलाइन का भी जिक्र किया गया है जिसमें सात साल तक की सजा के मामलों में गिरफ्तारी से बचने के निर्देश दिए गए थे।
बता दें कि दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट में 6 मामलों का जिक्र किया है। बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ ‘भारतीय दंड संहिता (IPC)’ की धारा-506 (आपराधिक धमकी), 354 (किसी महिला की इज्जत को भंग करना) और 354A (यौन प्रताड़ना) के अलावा 354D (पीछा करना) के तहत आरोप तय किए गए हैं। अगर बृजभूषण शरण सिंह दोषी साबित होते हैं तो उन्हें 5 साल तक की सज़ा सुनाई जा सकती है। 108 गवाहों से पूछताछ के बाद ये चार्जशीट तैयार की गई थी। 15 पहलवानों, रेफरियों और कोचों ने इसमें आरोपों की पुष्टि की थी।