दिल्ली उच्च न्यायालय ने वक्फ बोर्ड को बड़ी राहत दी है और उसे कार्रवाई से बचाया है। सोमवार (22 जुलाई, 2024) को उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर केंद्र सरकार सेन्ट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत उसकी संपत्तियों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करती है तो वो अदालत का दरवाजा खटखटा सकती है। जस्टिस पुरुषेन्द्र कुमार कौरव ने ये आदेश दिया। साथ ही कहा कि सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी मिली हुई है।
बता दें कि इस परियोजना के तहत ही नया संसद भवन बन कर तैयार हुआ है, साथ ही इंडिया गेट के आसपास के इलाकों का सौंदर्यीकरण हुआ है, निर्माण कार्य अभी चल ही रहे हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने वक्फ बोर्ड से कहा कि वो 2021 में दायर अपनी याचिका वापस ले। दिल्ली वक्फ बोर्ड ने अपनी याचिका में 6 संपत्तियों की सुरक्षा की माँग की है। साथ ही निर्देश माँगा कि इनका संरक्षण भी किया जाए। वक्फ बोर्ड का कहना है कि वो ये माँग नहीं कर रहा कि सेन्ट्रल विस्टा परियोजना पर रोक लगे, बल्कि सिर्फ उसे उसकी संपत्तियाँ से बेदखल न किया जाए।
हालाँकि, जज ने बोर्ड को याचिका वापस लेने के लिए कहा। साथ ही कहा कि हम इसे और जटिल नहीं बनाना चाहते हैं। अदालत ने कहा कि जब भी वो कोई कार्रवाई करें, आप आ सकते हैं। साथ ही ये भी सलाह दी कि वक्फ बोर्ड नई याचिका भी दायर कर सकता है। बता दें कि इन संपत्तियों में मानसिंह रोड पर मस्जिद ज़ब्तागंज, रेडक्रॉस रोड पर जामा मस्जिद, उद्योग भवन के पास सुनहरी मस्जिद, मोतीलाल नेहरू मार्ग के पीछे स्थित मजार, कृषि भवन परिसर के भीतर स्थित मस्जिद और उप-राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास के भीतर स्थित मस्जिद शामिल है।
On Action Against Delhi Waqf Board Properties Under Central Vista, High Court Says… https://t.co/W7GOQFKNnS pic.twitter.com/EA3MYEpE10
— NDTV (@ndtv) July 22, 2024
दिसंबर 2021 में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हाईकोर्ट को आश्वासन दिया था कि वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया जाएगा। साथ ही कहा था कि पुनर्विकास का कार्य अभी इन संपत्तियों तक पहुँचा भी नहीं है और ये एक लंबी योजना है। हाईकोर्ट ने कहा था कि उसे इस पर पूरा भरोसा है। सुनहरी बाग़ मस्जिद के पास एक मज़ार को ध्वस्त किया गया था, लेकिन केंद्र सरकार ने बताया था कि ये कार्रवाई दिल्ली नगरपालिका (NDMC) का है।