Sunday, September 1, 2024
Homeदेश-समाज'मस्जिद, मदरसे और कब्रिस्तान पर मत लो कोई एक्शन': दिल्ली के ढाँचे को हाईकोर्ट...

‘मस्जिद, मदरसे और कब्रिस्तान पर मत लो कोई एक्शन’: दिल्ली के ढाँचे को हाईकोर्ट ने माना 100 साल पुराना, याचिकाकर्ता बता रहे वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी

दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने मस्जिद, मदरसा और कब्रिस्तान पर फिलहाल अगले आदेश तक कोई भी कार्रवाई न करने के निर्देश दिए। न्यायमूर्ति जालान ने इस बात पर जोर दिया कि याचिकाकर्ता के मुताबिक संरचना 100 साल से अधिक पुरानी हैं। दिल्ली सरकार की तरफ से वकील अरुण पंवार ने बहस की।

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक नोटिस जारी करते हुए धौला कुआँ स्थित शाही मस्जिद, मदरसा और कब्रिस्तान पर फिलहाल कोई भी कार्रवाई न करने का आदेश दिया है। यह अंतरिम आदेश जस्टिस प्रतीक जालान ने गुरुवार (2 नवंबर 2023) को कंगाल शाह की प्रबंध समिति की याचिका पर दिया है। याचिकाकर्ता ने मस्जिद को 100 साल से अधिक पुराना बताते हुए मदरसा और कब्रिस्तान को भी प्रशासन द्वारा तोड़े जाने की आशंका जताई थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंगाल शाह की प्रबंध समिति ने एडवोकेट फ़ुजैल अहमद अयूबी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस याचिका में एडवोकेट फ़ुजैल ने बताया था कि धौला कुआँ क्षेत्र में एक 100 साल पुरानी मस्जिद है जिसके पास ही बच्चों को पढ़ाने वाला मदरसा मौजूद है। इसी जगह पर एक सार्वजनिक कब्रिस्तान भी मौजूद है जहाँ अभी भी आसपास के मृतकों को दफनाया जाता है।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि दिल्ली सरकार इन जगहों को तोड़ना चाहती है। साथ ही प्रशासन को ऐसा करने से रोकने की भी अपील की गई थी। याचिकाकर्ता की माँग पर दिल्ली विकास प्राधिकरण, दिल्ली छावनी क्षेत्र के SDM और वक्फ बोर्ड को नोटिस किया गया। इनसे चार सप्ताह में जवाब दमाँगा गया है। याचिका की सुनवाई जस्टिस प्रतीक जालान की अदालत में हुई।

दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने मस्जिद, मदरसा और कब्रिस्तान पर फिलहाल अगले आदेश तक कोई भी कार्रवाई न करने के निर्देश दिए। न्यायमूर्ति जालान ने इस बात पर जोर दिया कि याचिकाकर्ता के मुताबिक संरचना 100 साल से अधिक पुरानी हैं। दिल्ली सरकार की तरफ से वकील अरुण पंवार ने बहस की।

यह तीनों स्थल बाग़ मोची इलाके में किचनर झील के पास बनी हुई हैं। याचिकाकर्ताओं द्वारा इसे वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी बताया गया है। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 31 जनवरी 2024 तय की है। फिलहाल अगले किसी आदेश तक मस्जिद, मदरसे और कब्रिस्तान पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई न करने के निर्देश दिए गए। इस बावत संबंधित विभागों को नोटिस भी जारी किया गया है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

जनता की समस्याएँ सुन रहे थे गिरिराज सिंह, AAP पार्षद शहज़ादुम्मा सैफी ने कर दिया हमला: दाढ़ी-टोपी का नाम ले बोले केंद्रीय मंत्री –...

शहजादुम्मा मूल रूप से बेगूसराय के लखमिनिया का रहने वाला है। वह आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता है जो वर्तमान में लखमिनिया से वार्ड पार्षद भी है।

चुनाव आयोग ने मानी बिश्नोई समाज की माँग, आगे बढ़ाई मतदान और काउंटिंग की तारीखें: जानिए क्यों राजस्थान में हर वर्ष जमा होते हैं...

बिश्नोई समाज के लोग हर वर्ष गुरु जम्भेश्वर को याद करते हुए आसोज अमावस्या मनाते है। राजस्थान के बीकानेर में वार्षिक उत्सव में भाग लेते हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -