Sunday, September 8, 2024
Homeदेश-समाज'संविधान हत्या दिवस' मनाना संविधान का अपमान नहीं: दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज की...

‘संविधान हत्या दिवस’ मनाना संविधान का अपमान नहीं: दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज की समीर मलिक की याचिका, केंद्र के फैसले पर मुहर लगाई

इसी तरह का एक मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में भी लंबित है। उत्तर प्रदेश के झाँसी के रहने वाले एक अधिवक्ता संतोष सिंह ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में PIL दाखिल करके केंद्र सरकार की अधिसूचना को चुनौती दी है। याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति विकास की पीठ ने केंद्र से जवाब माँगा है। इस पर अगली सुनवाई 31 जुलाई को होगी।

दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार (26 जुलाई 2024) को ‘संविधान हत्या दिवस’ को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका (PIL) खारिज कर दी। याचिका में हर साल 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने की केंद्र सरकार की अधिसूचना को चुनौती दी गई थी। इसमें उन लोगों को श्रद्धांजलि देने की बात है जिन्होंने 1975 में आपातकाल के खिलाफ संघर्ष किया था।

इस याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने सुनवाई की। पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जारी 13 जुलाई की अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल की घोषणा के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह सिर्फ सत्ता एवं संवैधानिक प्रावधानों के दुरुपयोग और इसके बाद हुई ज्यादतियों के खिलाफ है।

इसके बाद अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा, “यह अधिसूचना संविधान का उल्लंघन या अनादर नहीं करती है।” दरअसल, यह जनहित याचिका समीर मलिक नाम के व्यक्ति ने दायर की थी। इस याचिका में तर्क दिया गया था कि आपातकाल संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत घोषित किया गया था। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि यह संविधान की हत्या की गई थी।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि सरकार की अधिसूचना अत्यधिक अपमानजनक है। हालाँकि, न्यायालय ने याचिकाकर्ता के तर्क को खारिज कर दिया। पीठ ने टिप्पणी की कि राजनेता हर समय लोकतंत्र की हत्या वाक्यांश का उपयोग करते हैं। न्यायालय ने कहा, “राजनेता हर समय लोकतंत्र की जननी वाक्यांश का उपयोग करते हैं। हम इसके लिए इच्छुक नहीं हैं। यह (PIL) इसके लायक नहीं है।”

बताते चलें कि इसी तरह का एक मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में भी लंबित है। उत्तर प्रदेश के झाँसी के रहने वाले एक अधिवक्ता संतोष सिंह ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में PIL दाखिल करके केंद्र सरकार की अधिसूचना को चुनौती दी है। याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति विकास की पीठ ने केंद्र से जवाब माँगा है। इस पर अगली सुनवाई 31 जुलाई को होगी।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ग्रामीण और रिश्तेदार कहते थे – अनाथालय में छोड़ आओ; आज उसी लड़की ने माँ-बाप की बेची हुई जमीन वापस खरीद कर लौटाई, पेरिस...

दीप्ति की प्रतिभा का पता कोच एन. रमेश को तब चला जब वह 15 वर्ष की थीं और उसके बाद से उन्होंने लगातार खुद को बेहतर ही किया है।

शेख हसीना का घर अब बनेगा ‘जुलाई क्रांति’ का स्मारक: उपद्रव के संग्रहण में क्या ब्रा-ब्लाउज लहराने वाली तस्वीरें भी लगेंगी?

यूनुस की अगुवाई में 5 सितंबर 2024 को सलाहकार परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इसे "जुलाई क्रांति स्मारक संग्रहालय" के रूप में परिवर्तित किया जाएगा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -