दिल्ली के 5 सितारा अशोक होटल को जजों, न्यायिक अधिकारियों और उनके परिजनों के लिए कोविड केयर के तौर पर रिजर्व करने के मामले में आज (अप्रैल 27, 2021) दिल्ली हाईकोर्ट ने अपना पक्ष रखा। कोर्ट ने दिल्ली सरकार के आदेश पर संज्ञान लेते हुए वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा से कहा कि उन्होंने मीडिया में जो पढ़ा, वो बहुत भ्रामक है। कोर्ट ने ऐसी कोई अपील नहीं की कि उन्हें होटल में 100 बेड रिजर्व दिए जाएँ।
Delhi High Court on Ashoka Hotel Rooms for Judges
— Bar & Bench (@barandbench) April 27, 2021
Mr Mehra, we have taken suo motu cognizance.. we read in press today.. about this Ashoka Hotel
This is very misleading. High Court has not made any request in this regard: Court#AshokaHotel #DelhiHighCourt @AamAadmiParty pic.twitter.com/Zgr0abDh3B
बार एंड बेंच के ट्वीट के अनुसार, कोर्ट ने स्पष्ट बताया कि उनकी ओर से न्यायाधीशों और अन्य न्यायिक अधिकारियों और उनके परिवारों के लिए अशोक होटल परिसर को प्राथमिकता के आधार पर कोविड-19 सुविधा में बदलने का कोई अनुरोध नहीं किया।
All that we wanted was in case they need hospitalisation, that facility should be given.
— Bar & Bench (@barandbench) April 27, 2021
It has translated into this order : Court #AshokaHotel #DelhiHighCourt @AamAadmiParty
कोर्ट ने कहा, “हमने ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया है कि आप इसे इस होटल या उस होटल में स्थापित करें। बैठक का उद्देश्य था कि न्यायपालिका विशेष रूप से अधीनस्थ अदालत… हम पहले ही दो न्यायिक अधिकारियों को खो चुके हैं…. हमें बस ये चाहिए कि अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो, तो वह सुविधा दी जानी चाहिए।”
What is the protection? That …it is to benefit ourselves or that you have done to appease us : Court
— Bar & Bench (@barandbench) April 27, 2021
You say at request at the High Court .. our request is not that. Media is playing a mischievous role : Mehra
Your order says that : Court #DelhiHighCourt #AshokaHotel
कोर्ट ने आगे कहा, “आप आदेश को बिना किसी मतलब के इधर उधर घुमा रहे हैं। हमने ऐसा कुछ नहीं कहा।” हाईकोर्ट ने पूछा, “आपको लगता है कि जब लोगों को बेड नहीं मिल रहा है, तो हम फाइव स्टार होटल में 100 बेड्स माँगेंगे।” कोर्ट ने दिल्ली सरकार से ये भी पूछा कि आखिर वो कहना क्या चाहते हैं।
Can we as an institution say that you create a facility for us.. such and such beds for us. Would it not be patently discriminatory? : Court
— Bar & Bench (@barandbench) April 27, 2021
Media’s projections.. : Mehra
Media is not wrong..order is wrong : Delhi High Court #DelhiHighCourt #AshokaHotel pic.twitter.com/5LZGsUKrJD
कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा, “कौन सी सुरक्षा?…. आपने ऐसा खुद को लाभ पहुँचाने के लिए किया या फिर हमें खुश करने के लिए।” कोर्ट के मुताबिक दिल्ली सरकार ने आदेश में कहा कि कोर्ट के अनुरोध पर… जबकि कोर्ट का अनुरोध यह था ही नहीं।
अदालत ने कहा, “क्या हम ऐसी फैसिलिटी के लिए बोल सकते हैं कि हमें इतने इतने बेड दो? क्या ये पक्षपात नहीं होता।” बता दें कि इस दौरान दिल्ली सरकार की ओर पेश हुए राहुल मेहरा ने मीडिया पर हर चीज का ठीकरा फोड़ना चाहा। हालाँकि कोर्ट ने कहा कि मीडिया गलत नहीं है। आदेश गलत है। कोर्ट ने कहा, “यह सोच से परे है कि हम एक संस्थान होने के नाते ऐसी प्राथमिकता लेंगे वो भी उस समय जब लोग सड़कों पर मर रहे हैं।”
दिल्ली सरकार ने जारी किए थे आदेश
गौरतलब है कि सोमवार को मीडिया में हर जगह बताया गया था कि दिल्ली हाई कोर्ट के निवेदन के बाद सरकार ने ये फैसला लिया कि अशोका होटल दिल्ली उच्च न्यायालय के जज और अन्य न्यायिक कर्मचारियों के लिए आरक्षित होगा। इस बाबत एडीएम ने नोटिफिकेशन भी जारी किया। इसमें बताया गया था कोविड फैसिलिटी को प्राइमस हॉस्पिटल द्वारा संचालित किया जाएगा।
वहाँ जो भी बायोमेडिकल वेस्ट होंगे, उन्हें ठिकाने लगाना होटल की जिम्मेदारी होगी। होटल के कर्मचारियों को सुरक्षा के सभी उपकरण दिए जाएँगे और उनकी विशेष ट्रेनिंग भी होगी। अगर होटल में कर्मचारियों की कमी है तो हॉस्पिटल से स्वास्थ्यकर्मी बुलाए जाएँगे।
कमरों, हाउसकीपिंग, सैनिटाइजेशन, मरीजों के लिए भोजन इत्यादि की व्यवस्था होटल ही करेगा। इसमें जो भी खर्च आएगा, वो हॉस्पिटल को बताया जाएगा और हॉस्पिटल ही होटल को पूरे खर्च का वहन करेगा। हॉस्पिटल अतिरिक्त खर्चे पर अलग से डॉक्टर्स और पैरामेडिकल कर्मचारियों को वहाँ भेज सकता है।