दिल्ली में रविवार (24 नवंबर) को समलैंगिकों ने प्राइड परेड का आयोजन किया। इस दौरान कई आपत्तिजनक और देश विरोधी नारे लगे।
#delhiqueerpride
— Bodhisattva Sen Roy (@insenroy) November 24, 2019
Tum kuch bhi kar lo…
Tum police bula lo…
Hum lad ke lenge…
Sanghvaad se…
Pitrusatta se…
AZAADI!! pic.twitter.com/uVaE9N3ze4
इस प्राइड परेड की एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर पत्रकार बोधिसत्व सेन रॉय ने शेयर की। इसमें आप देख सकते हैं कि परेड में शामिल लोगों ने किस तरह भड़काऊ और देशविरोधी नारे लगाए। उन्होंने कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए नारे लगाए, इनमें ‘कश्मीर माँगे आज़ादी’, ‘तुम पुलिस बुआओ’, ‘तुम गोलो चालाओ’, ‘लाठी मारो’ जैसे भड़काऊ नारे शामिल हैं।
दिल्ली प्राइड परेड के दौरान ‘भारत माता को चाहिए गर्लफ्रेंड’ लिखित प्लेकार्ड भी देखे गए।
same bharat mata. same.#delhipride #delhiqueerpride pic.twitter.com/exQaDC6rOA
— kweer kid (@KidKweer) November 24, 2019
इसके अलावा कुछ ने राजनीतिक नारे लगाकर प्रधानमंत्री को निशाना बनाया।
Sometimes oppressors disguise their oppression under a push for equality. #StopTransBill #DelhiQueerPride #DelhiQueerPride2019 #equality4all #equality #genderjustice #genderequality #queerpride #delhi #india #modi #narendramodj pic.twitter.com/eRo4PFQA0K
— en(gender)ed podcast (@engenderedpod) November 24, 2019
समलैंगिकों ने अपनी इस प्राइड परेड के दौरान हाथों में प्रधानमंत्री मोदी पोस्टर लेकर उनका मज़ाक उड़ाया।
#delhiqueerpride these guys have the perfect response to all the pyaar ke dushman pic.twitter.com/hUGkBxzDJj
— Bodhisattva Sen Roy (@insenroy) November 24, 2019
और हाँ, ‘भगवा’ नफ़रत का रंग है।
I also support LGBT Community?, bt What is Mean Rainbows Over Saffron? Easy trick h Attention Gain Karne Ka?… I Against This Lady Or whatever Is She nd Illogical Poster ?????? #LGBT #delhipride pic.twitter.com/G9ea4wIyqZ
— Prerna Shree (@prerna_shree) November 24, 2019
#DelhiPride pic.twitter.com/U9G6ZEKJ9A
— Varsha (@emocancerian) November 24, 2019
दरअसल, समलैंगिक (LGBTQ) समुदाय ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद भारत सरकार द्वारा लाए जा रहे बिल में कुछ प्रावधानों का विरोध किया है। इनका आरोप है कि सरकार ने क़ानून के प्रारूप में पहले ट्रांसजेंडर के तौर पर पंजीयन कराने और फिर सर्जरी का सबूत देने की बाध्यता रखी है।
समलैंगिक समुदाय की माँग है कि सरकार इस तरह के किसी प्रावधान को क़ानून में शामिल न करे। समुदाय अपनी पहचान किसी भी जेंडर में कराने को तैयार हैं। पदयात्रा के दौरान जारी एक वक्तव्य में समुदाय ने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ख़ुश तो हैं, लेकिन अभी तक उनकी स्वीकार्यता समाज में नहीं बन पाई है।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले साल समलैंगिक संबंधो पर फ़ैसला देते हुए अंग्रेजों के ज़माने के क़ानून को निरस्त करने का आदेश दिया था। इस पुराने क़ानून में समलैंगिक संबंधो के आरोप सही पाए जाने पर दस साल की सज़ा का प्रावधान था।