दिल्ली की एक अदालत ने JNU के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को जमानत दे दी है। उसके खिलाफ दिल्ली दंगों में संलिप्तता को लेकर खजूरी ख़ास थाने में मामला दर्ज किया गया था। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जाँच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट भी दायर हो गया है, ऐसे में अब सुनवाई में लंबा समय लगने की संभावना है। उमर खालिद को 10 अक्टूबर 2020 को जुडिशल कस्टडी में लिया गया था।
इस मामले में उमर खालिद के खिलाफ 25 फरवरी 2020 को एफआईआर दर्ज की गई थी। यह मामला उत्तर-पूर्वी दिल्ली के खजूरी खास में हिंसा से जुड़ा है। यह दूसरी एफआईआर थी (FIR No. 101/2020) जिसके तहत बीते साल 1 अक्टूबर को उसे गिरफ्तार किया गया था।
जेएनयू के पूर्व छात्र नेता और दिल्ली के हिंदू विरोधी दंगों के आरोपित को जमानत देते हुए कड़कड़डूमा कोर्ट एडिशनल जज विनोद यादव ने कहा, “उमर खालिद को सिर्फ इसलिए अनंतकाल तक जेल में कैद कर के नहीं रखा जा सकता क्योंकि इस मामले में अभी दंगाई भीड़ में शामिल और लोगों को चिह्नित किया जाना है और कई अन्य गिरफ्तारियाँ भी होनी हैं।” उन्होंने 20 हजार के निची मुचलके और हर सुनवाई पर हाजिर होने की शर्त पर उसे जमानत दी। जेल से रिहाई पर अपना नंबर खजूरी खास थाने के एसएचओ को मुहैया कराने को कहा। साथ ही यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि मोबाइल दुरुस्त हो और उसमें ‘आरोग्य सेतु’ एप डाउनलोड किया गया हो।
जमानत की शर्त यह भी है कि उमर खालिद सबूतों के साथ छेड़छाड़ का प्रयास नहीं करेगा और साथ ही गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश भी नहीं करेगा। साथ ही वो अपने आसपास के इलाकों में शांति और भाईचारे का माहौल बना कर रखेगा।
North East Delhi Violence: Delhi court grants bail to JNU former student leader Umar Khalid (in file pic). Court noted that he can’t be made to incarcerate in jail for infinity merely on account that others who were part of the mob have to be identified & arrested in the matter. pic.twitter.com/Tg7Tcu2hrJ
— ANI (@ANI) April 15, 2021
ये मामला चाँदबाग पुलिया के नजदीक मेन करावल नगर रोड पर हुई हिंसा से जुड़ा हुआ है। ये दंगा मुख्य आरोपित ताहिर हुसैन के इशारे पर हुआ था। खालिद की तरफ से दलील दी गई कि उस दौरान वो वहाँ उपस्थित ही नहीं था और न ही उसके और ताहिर के बीच बैठक के कोई प्रत्यक्ष सबूत हैं। उसके खिलाफ दलील दी गई कि उसके द्वारा उकसाई गई भीड़ दूसरे समुदाय के लोगों और संपत्ति को अधिकाधिक नुकसान पहुँचाना चाहती है।
3 महीने पहले ही आरोप पत्र का संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया जाँच निष्कर्षों के अनुसार, JNU के छात्र नेता रहे उमर खालिद और AAP के पार्षद रहे ताहिर हुसैन ने मिल कर नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली दंगों की साजिश रची थी– ये मानने के वाजिब आधार हैं। चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दिनेश कुमार ने ये बातें कही थी। कोर्ट ने कहा था कि ये बयान ये दिखाने के लिए पर्याप्त है कि उक्त अवधि में उमर खालिद दिल्ली दंगों के मुख्य आरोपित ताहिर हिस्सें से लगातार संपर्क में था।
Breaking: Delhi Court grants bail to Umar Khalid in connection with one of the Delhi Riots cases concerning Khajuri Khas FIR.
— Live Law (@LiveLawIndia) April 15, 2021
Additional Sessions Judge Vinod Yadav granted bail.@UmarKhalidJNU #DelhiRiots pic.twitter.com/CBfgFKl8jF
यह जानना जरूरी है कि इस मामले में जमानत मिलने के बावजूद उमर खालिद अभी जेल से बाहर नहीं निकल पाएगा। इस मामले में एफआईआर दर्ज होने से पहले ही एक अन्य मामले (FIR 59) में वह हिरासत में लिया जा चुका था। इस मामले में उसके खिलाफ UAPA की धाराएँ भी लगाई गई हैं। यानी, FIR 59 में जमानत नहीं मिलने तक वह जेल में ही रहेगा।