उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के सिलसिले में गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) कानून के तहत गिरफ्तार पूर्व कॉन्ग्रेस पार्षद इशरत जहाँ ने मंगलवार (दिसंबर 22, 2020) को अदालत के सामने आरोप लगाया कि मंडोली जेल में कैदियों ने उनके साथ बुरी तरह से मारपीट की और उन्हें लगातार उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है।
इसके बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने जेल अधिकारियों को इशरत जहाँ की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया। अदालत ने जेल अधिकारियों से बुधवार (दिसंबर 23, 2020) को विस्तृत रिपोर्ट देने और बताने को कहा कि इस मुद्दे के हल के लिए क्या कदम उठाए गए हैं और क्या इशरत को किसी अन्य जेल में स्थानांतरित करने की जरूरत है।
जब अदालत ने मंडोली जेल की सहायक अधीक्षक से पूछा कि क्या ऐसी कोई घटना हुई है, तो उन्होंने इसकी पुष्टि की और कहा कि जरूरी कदम उठाए गए हैं। इस पर अदालत ने जेल अधिकारी से कहा कि वह (इशरत जहाँ) पूरी तरह से डरी हुई हैं। तुरंत उनसे बात करें और स्थिति को समझें। उनकी आशंका और डर को दूर करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में विस्तृत रिपोर्ट दायर करें।
न्यायाधीश ने जेल अधिकारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए जहाँ को बुधवार को अदालत में पेश करने का भी निर्देश दिया। इशरत जहाँ ने अदालत में सीधे दलीलें पेश करते हुए कहा कि यह एक महीने के भीतर दूसरी घटना थी और वह लगातार शारीरिक एवं उत्पीड़न के कारण काफी तनाव में हैं।
इशरत जहाँ ने आरोप लगाया कि एक महीने में यह दूसरी घटना है। उन्होंने कहा, “आज सुबह 6:30 बजे, उन्होंने (कैदियों ने) मुझे बुरी तरह पीटा और गाली-गलौज की। उनमें से एक ने अपना हाथ भी काट लिया ताकि झूठी शिकायत करने पर मुझे सजा दी जाए। सौभाग्य से, जेल अधिकारियों ने उनकी बात नहीं सुनी। मैंने लिखित शिकायत भी की है। वे मुझे आतंकवादी कहते रहते हैं। उन्होंने मुझसे कैंटीन में पैसे की भी माँग की।”
इशरत की ओर से पेश वकील प्रदीप तेवतिया ने आरोप लगाया कि पहले भी कैदियों ने उनके साथ मारपीट की थी, जिसके बाद कैदियों में से एक को दूसरी जेल भेज दिया गया। सुनवाई के दौरान मौजूद वकील मिस्बाह बिन तारिक ने अदालत से तत्काल कार्रवाई करने और इशरत जहाँ की स्थिति पर तत्काल गौर करने का अनुरोध किया।
गौरतलब है कि दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगों के बाद इशरत जहाँ को 26 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था। इशरत जहाँ लगातार भड़काऊ भाषण देकर नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के मुस्लिमों को भड़का रही थी।
इशरत जहाँ ने भड़काऊ भाषण देते हुए कहा था- “हम मर भी जाएँ लेकिन यहाँ से नहीं हटेंगे। हम आज़ादी लेकर रहेंगे।” इशरत के समर्थक खालिद ने भीड़ से पुलिस पर जम कर पत्थरबाजी करने को कहा था। साबू अंसारी उस भीड़ का नेतृत्व कर रहा था, जिसने पुलिस को खदेड़ते हुए पत्थरबाजी की थी।