हिंसा प्रभावित क्षेत्र चाँद बाग में गुरुवार को नेशनल मीडिया का जमाबड़ा लगा हुआ था। बड़ी संख्या में हर एक जगह पुलिस फोर्स तैनात थी। दुकानों के शटर गिरे हुए थे और जिन दुकानों के शटर आधे अधूरे उठे हुए थे इलाके में हुई हिंसा के खौफनाक मंजर को बखूबी प्रदर्शित कर रहे थे। सड़कों पर पुलिस फोर्स से ज्यादा मीडिया और मीडिया से ज्यादा ईंट-पत्थरों के टुकड़ों की मौजूदगी थी। कुछ लोग टोपी लगाए दुकानों के किनारे भटक रहे थे तो कुछ लोग गलियों में लगे बंद गेट से एक कैदखाने की तरह बाहर की ओर डरावने चेहरों से झाँक रहे थे।
हमने किसी तरह एक बंद गेट के पास से करावल नगर की एक गली में प्रवेश किया और इलाके में पीड़ितों का हाल-चाल लेते हुए मूँगा नगर पहुँच गए। इस बीच जानकारी मिली कि एक अनूप नाम का व्यक्ति दंगाई भीड़ का पीड़ित है। इसके बाद हम पूछते हुए पीड़ित अनूप सिंह के घर जा पहुँचे। जहाँ हमने देखा कि मकान की दूसरी मंजिल पर कमरे में पड़े एक बेड पर अनूप सिंह घायल अवस्था में पड़े हुए हैं। इसके बाद हमने अपना परिचय दिया और उनसे आपबीती बताने का अनुरोध किया।
अनूप सिंह ने बताया, “सोमवार को क्षेत्र में हुई हिंसा के बाद से इलाके का माहौल तनावपूर्ण था, लेकिन मंगलवार को दंगाईयों ने एक बार फिर से हंगामा शुरू कर दिया। देखते ही देखते दंगाई ईंट पत्थरों से हिंदुओं की बंद दुकानों को अपना निशाना बनाने लगे। तेज होती आवाजें सुनकर मैं घर से बाहर की ओर हालात को देखने और जानने के लिए निकला। गली के बाहर आते ही मैंने देखा कि ताहिर हुसैन की छत पर खड़े सैकड़ों लोग नीचे खड़े लोगों पर पहले तो ईंट-पत्थर फेंक रहे हैं इसके बाद वह काँच की बोतले से पैट्रोल बम फेंकने लगे और फिर तो दंगाईयों ने छत से सीधी फायरिंग करना शुरू कर दिया। इसी बीच मैं वहाँ से बचकर भागने ही वाला था कि अचानक से एक गोली मेरी की गर्दन में आकर लगी।”
अनूप आगे बताते हैं कि वह समझ नहीं सके कि उनको गोली लगी है या फिर कोई पत्थर लगा है, ज्यादा खून बहने पर आस-पास खड़े लोगों ने उन्हें सँभाला और इसके बाद बाईक से डॉक्टर के पास ले जाने लगे। उन्होंने बताया कि जब परिजन उन्हें घायल अवस्था में असपताल लेकर जा रहे थे। उस दौरान भी दंगाइयों ने उन पर ईंट-पत्थर बरसाए। किसी तरह वो जब डॉक्टर के पास पहुँचे तो डॉक्टर ने बताया कि उनको गर्दन में गोली लगी हुई है, न कि पत्थर से वो घायल हुए। इसके बाद अनूप को तत्काल जीटीबी अस्पताल में रेफर कर दिया गया। जहाँ से अवकाश मिलने के बाद अनूप कल अपने घर पर पहुँचे। उनके दिल में बैठे डर का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि जितने समय उन्होंने आपबीती हमें बताई उतने समय उनका शरीर डर के कारण काँपता रहा और वह बार बार यही कहते रहे, “मुझे अब कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।”
20 वर्षीय अनूप सिंह और उनके परिजन डरे हुए बताते हैं कि उन्होंने इस तरह की हिंसा जीवन में उन्होंने कभी नहीं देखी। इस्लामी भीड़ और उनकी तैयारी को देखकर ऐसा लग रहा था कि मानो वह पहले तो हिंदुओं की दुकानों को और फिर हमारे मकानों को भी वह अपना निशाना बनाना चाहते थे। अच्छा हुआ दिल्ली पुलिस का कि उसने समय रहते हालातों को काबू में किया। वह बताते हैं कि इस घटना से उनके मन में इतना डर फैला है कि वह पिछले तीन दिनों से किसी भी काम के लिए घर से बाहर तक नहीं निकले।