उत्तर प्रदेश के कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में आरोपित गैंगस्टर विकास दुबे शुक्रवार (जुलाई 10, 2020) सुबह पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। दो जुलाई से हुए अब तक के इस घटनाक्रम में विकास दुबे लगातार पुलिस के साथ आँख मिचौली खेल रहा था, लेकिन आखिरकार वह बृहस्पतिवार को उज्जैन के महाकाल मंदिर में पुलिस के हाथ आया।
रिपोर्ट्स के अनुसार, गैंगस्टर विकास दुबे के परिजनों ने शव को लेने से इनकार कर दिया है। विकास दुबे के परिजन पोस्टमॉर्टम हाउस भी नहीं पहुँचे।
आज शुक्रवार (जुलाई 10, 2020) कि सुबह ही एसटीएफ गैंगस्टर विकास को लेकर कानपुर जा रही थी। इसी दौरान तेज बारिश और तेज रफ्तार की वजह से गाड़ी पलट गई। गाड़ी पलटने पर विकास दुबे ने घायल पुलिसकर्मियों से हथियार छीनकर भागने की कोशिश की जिसके बाद पुलिस ने उसे मुठभेड़ में मार गिराया। इस एनकाउंटर में 2 इंस्पेक्टर समेत 4 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पुलिस ने बताया कि गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे एक पुलिसकर्मी की 9 एमएम की पिस्टल लेकर भागा। उसने पुलिस पर पलटकर गोलियाँ चलाई जिसके जवाबी फायरिग में विकास दुबे को चार गोलियाँ लगीं। मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर आरबी कमल ने बताया कि गैंगस्टर विकास दुबे के सीने में तीन गोलियाँ लगी हैं, जबकि एक गोली उसके हाथ में लगी थी। फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल पर पहुँचकर साक्ष्य एकत्रित किए हैं।
प्रशांत कुमार, यूपी एडीजी (कानून-व्यवस्था) ने कहा कि कानपुर मुठभेड़ में कुल 21 अभियुक्त नामजद थे और 60 से 70 अन्य अभियुक्त थे। जिसमें से अब तक 3 लोग गिरफ्तार हुए हैं, 6 मारे गए हैं और 120बी के अंदर 7 लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया है। 12 इनामी बदमाश वांछित चल रहे हैं।
नहीं बदली गई थी विकास दुबे की गाड़ी
विकास दुबे के एनकाउंटर पर IG मोहित अग्रवाल ने स्पष्ट किया है कि मोस्टवांटेड गैंगस्टर विकास दुबे की गाड़ी नहीं बदली गई थी। दरअसल, विकास दुबे की मौत के बाद से ही मीडिया द्वारा तरह-तरह की अटकलें व्यक्त की जा रही थीं और कहा जा रहा था कि रास्ते में विकास दुबे को दूसरी गाड़ी में बिठाया गया था।
IG अग्रवाल ने कहा कि उज्जैन से उसे एक ही गाड़ी में लाया गया था और उसी गाड़ी में एक्सीडेंट भी हुआ था। विकास दुबे के एनकाउंटर पर आईजी मोहित अग्रवाल ने कहा कि कानपुर पुलिस ने बहुत ही साहसिक काम किया है, उन्होंने नजीर पेश की है।
वहीं, गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर पर झांसी में बलिदानी सिपाही सुल्तान सिंह वर्मा के पिता ने खुशी जताई है। उनके पिता का कहना है कि एसटीएफ ने ऐसे बड़े अपराधी को मारकर बहुत अच्छा काम किया है और उनके परिवार के साथ पूरा गाँव विकास दुबे की मौत से खुश है।
सहयोगी के घर से मिले 7 जिन्दा बम
विकास दुबे की मौत के बाद उसके ग्राम बिकरू थाना चौबेपुर में विकास दुबे के नौकर और सहयोगी साथी दयाशंकर अग्निहोत्री के घर पुलिस तलाशी लेने पहुँची, जहाँ उन्हें 7 जिंदा देशी बम बरामद हुए हैं।
गैंगस्टर की मौत पर गाँव वालों में ख़ुशी की लहर
विकास दुबे के मारे जाने की खबर सुनकर उसके गाँव के लोग बेहद खुश हैं। ग्रामीणों का कहना है कि एक आतंकी चला गया। विकास दुबे के गाँव के लोगों का कहना है कि कुख्यात गैंगस्टर का पिछले 25 साल से बस यही काम था- दूसरों की जमीनों पर कब्जा करना और किसी को भी उठा लेना।
ज्ञात हो कि कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत बिकरू गाँव में 2-3 जुलाई की रात पुलिस कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने गई थी। टीम की कमान बिठूर के सीओ देवेंद्र मिश्रा के हाथ में थी और उनके साथ तीन थानों की फोर्स मौजूद थी।
ठीक तभी विकास दुबे के गैंग ने पुलिस टीम पर हमला बोल दिया। डीएसपी देवेंद्र मिश्रा, एसओ शिवराजपुर महेंद्र सिंह यादव, चौकी प्रभारी मंधना अनूप कुमार सिंह समेत 8 पुलिसकर्मियों ने अपनी जान गंवा दी। सभी को गोलियों से छलनी किया गया और क्रूरतापूर्वक पीट-पीटकर धारदार हथियारों से हमला कर उनकी हत्या की गई थी। इसके बाद से ही विकास दुबे फरार हो गया था।