सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (21 नवंबर 2024) को वायुसेना के 4 अधिकारियों के अपहरण के मामले में जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक की सुनवाई के लिए तिहाड़ जेल में एक अदालत कक्ष स्थापित करने का संकेत दिया है। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि यहाँ तक कि मुंबई हमले का आतंकी अजमल कसाब को भी देश में निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिया गया था।
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने जम्मू ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही। ट्रायल कोर्ट ने अपने फैसले में तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे यासीन मलिक को शारीरिक रूप से पेश होने का निर्देश दिया था। यह पेशी वायुसेना अधिकारियों के अपहरण और मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण से जुड़े मामले में गवाहों से क्रॉस एग्जामिनेशन के लिए था।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, “जिरह ऑनलाइन कैसे की जाएगी? जम्मू में शायद ही कोई कनेक्टिविटी है… हमारे देश में अजमल कसाब पर भी निष्पक्ष सुनवाई हुई और उसे उच्च न्यायालय में कानूनी सहायता दी गई।” इस पर मेहता ने कहा कि मलिक ‘सिर्फ एक और आतंकवादी’ नहीं है। इसने हाफिज सईद से मिलने के लिए कई बार पाकिस्तान की यात्रा की है।
उन्होंने कोर्ट को आतंकवादी हाफिज सईद के साथ मंच साझा करते हुए यासीन मलिक की एक तस्वीर भी दिखाई। उन्होंने इशारा किया कि यह आतंकी कितना खतरनाक है। मेहता ने सुरक्षा चिंताओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि यासीन मलिक को मुकदमे के लिए जम्मू नहीं ले जाया जा सकता। उन्होंने कहा कि यासीन मलिक कोई सामान्य अपराधी नहीं है।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह न्यायाधीश को कार्यवाही के लिए राष्ट्रीय राजधानी आने के अलावा जेल के अंदर मुकदमा चलाने का आदेश दे सकती है। हालाँकि, पीठ ने यह भी कहा कि आदेश पारित करने से पहले इस मामले के सभी आरोपित व्यक्तियों को सुना जाना चाहिए। इस मामले में अगली सुनवाई अब 28 नवंबर को होगी।
बता दें कि रुबैया को 8 दिसंबर 1989 को श्रीनगर के लाल डेड अस्पताल के पास से अपहरण कर लिया गया था। उस समय केंद्र में भाजपा समर्थित वीपी सिंह की सरकार थी और रुबैया के पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद केंद्रीय गृहमंत्री थे। रूबैया की रिहाई के लिए केंद्र सरकार ने पाँच आतंकवादियों को रिहा किया था। इसके बाद पाँच दिन बाद रूबैया को रिहा कर दिया गया था।
रूबैया मुफ्ती फिलहाल तमिलनाडु में रहती हैं। वह सीबीआई के अभियोजन पक्ष के गवाह हैं। इस अपहरण कांड की जाँच सीबीआई ने 1990 के दशक में अपने हाथ में ली थी। रूबैया का अपहरण जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के आतंकियों ने ही की थी। यासीन मलिक इस आतंकी संस्था का मुखिया है। यासीन टेरर फंडिंग मामले में NIA कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की सजा दी है। तब से वह तिहाड़ में है।