सरकारी बंगलों पर कब्जा जमाए बैठे पूर्व सांसदों और पूर्व विधायकों के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने एक सप्ताह के भीतर केंद्र सरकार से इनका विवरण माँगा है। इसके लिए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि जो पूर्व विधायक, पूर्व सांसद या फिर कोई अन्य सरकारी अधिकारी, जो अवैध तरीके से सरकारी बंगले पर कब्जा करके बैठे हुए हैं, केंद्र सरकार उनके नाम और पता बताते हुए एक हलफनामा दायर करे।
बता दें कि जो अधिकारी अभी तक सरकारी बंगले पर कब्जा जमाए बैठे हैं, उनसे अनधिकृत तरीके से रहने के पैसे भी वसूले जाएँगे। चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस हरि शंकर की डिवीजन बेंच ने केंद्र सरकार से अपने हलफनामा में इस बात का भी जिक्र करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा है कि इसमें सरकार उस बकाया राशि का भी जिक्र करे, जिन्हें सरकारी बंगलों में अनधिकृत तरीके से रहने वाले अधिकारियों से वसूल करना है।
दिल्ली हाईकोर्ट का केंद्र को निर्देश, पूर्व सांसद और विधायक के नाम बताएं जो अब भी सरकारी बंगलों में रह रहे हैं https://t.co/AazG9c6KpR
— लाइव लॉ हिंदी (@LivelawH) November 15, 2019
जानकारी के मुताबिक 100 से अधिक ऐसे पूर्व सांसद, पूर्व विधायक और अन्य सरकारी कर्मचारी हैं, जो अपनी सरकारी सेवा समाप्त होने के बाद भी सरकारी बंगलों पर कब्जा जमाए बैठे हैं। हालाँकि अब वो इसके हकदार नहीं हैं, लेकिन फिर भी बार-बार नोटिस दिए जाने के बाद भी वो बंगला खाली नहीं कर रहे हैं।
इसकी वजह से वर्तमान सांसदों को सरकारी आवास नहीं मिल पा रहा है। सरकारी बंगलों और फ्लैटों की अनुपलब्धता के कारण वो बाहर रह रहे हैं। इसको लेकर अदालत के समक्ष एंटी करप्शन काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा एक जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें कहा गया कि वर्तमान सांसद, जो फिलहाल बाहर रह रहे हैं, उनकी वर्तमान आवासीय सुविधाओं पर होने वाले विस्तृत खर्च का विवरण देने के लिए सरकार को निर्देश दिए जाएँ।
गौरतलब है कि इससे पहले हाउसिंग कमिटी ने सभी पूर्व सांसदों को सरकारी आवास खाली करने के लिए 7 दिनों की समय-सीमा दी गई थी। सोमवार (19 अगस्त) को संसदीय पैनल ने चेतावनी दी थी कि जो पूर्व सासंद सरकारी आवास खाली करने में आनाकानी कर रहे हैं, उनके आवास में बिजली-पानी की सप्लाई काट दी जाएगी। जिसके बाद पानी और बिजली के कनेक्शन काट दिए जाने के निर्देश के कारण, या यूँ कहें कि डर के कारण सरकारी बंगलों में रहने वाले 50% से अधिक पूर्व सांसदों ने अपना-अपना सरकारी आवास खाली कर दिया था। जिसके बाद उस समय बंगला खाली न करने वाले पूर्व सांसदों की संख्या 109 रह गई थी।