पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल कर तृणमूल कॉन्ग्रेस (टीएमसी) लगातार तीसरी बार सत्ता में आई। ममता बनर्जी के सत्ता में आने के बाद से भाजपा सर्मथकों पर शुरू हुई हिंसा अब तक जारी है। राज्य में जारी हिंसा को लेकर सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें और वीडियो भी सामने आई हैं। इन सबके बावजूद फेसबुक सक्रिय रूप से पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद से शुरू हुई सियासी हिंसा से जुड़ी खबरों को दबाने की कोशिश कर रहा है। बताया जा रहा है कि फेसबुक ममता बनर्जी के बंगाल में महिलाओं के साथ बलात्कार और प्रताड़ना की खबरों को साझा करने वाले यूजर्स के अकाउंट को लॉक कर रहा है।
मुंबई की रहने वाली वकील नेहा विभिन्न मुद्दों को लेकर अक्सर सोशल मीडिया पर अपनी आवाज उठाती रही हैं, लेकिन आज उन्हें खुद के लिए अपनी आवाज उठानी पड़ी। उन्होंने बताया कि फेसबुक ने उनके अकाउंट को 30 दिनों के लिए प्रतिबंधित कर दिया था, क्योंकि उन्होंने ममता बनर्जी के सत्ता में आने के बाद पश्चिम बंगाल में जारी हिंसा को लेकर एक न्यूज रिपोर्ट साझा की थी। इसमें महिलाओं के साथ बलात्कार और उन्हें प्रताड़ित करने के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया था।
I shared this article on Facebook and Facebook restricted my account for 30 days. So much for freedom of speech and expression. The reason is mind boggling though. Apparently I’m promoting sexual exploitation. https://t.co/z3vUWWtFaT pic.twitter.com/9DJ6XFRy0L
— NT woke (@NehaT_) June 22, 2021
नेहा ने ट्विटर पर इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि न्यूज रिपोर्ट साझा करने के बाद फेसबुक ने उनके अकाउंट को 30 दिनों के लिए लॉक कर दिया था, जिसका कारण बेहद अजीब था। दरअसल, नेहा द्वारा शेयर की गई ऑर्गनाइजर न्यूज रिपोर्ट में बंगाल में भाजपा का समर्थन करने वाली महिलाओं पर होने वाली हिंसा का विवरण दिया गया था। वहीं, फेसबुक का कहना है नेहा ने उस लेख को यौन शोषण को बढ़ावा देने के लिए शेयर किया था।
नेहा ने लिखा, ”मैंने इस लेख को फेसबुक पर शेयर किया और फेसबुक ने मेरे अकाउंट को 30 दिनों के लिए प्रतिबंधित कर दिया। भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर बहुत कुछ हो रहा है। हालाँकि, वजह हैरान करने वाली है। जाहिर तौर पर मैं यौन शोषण को बढ़ावा दे रही हूँ।”
आज सुबह 10:07 बजे नेहा को फेसबुक से एक नोटिफिकेशन मिला कि उनकी पोस्ट ने सामुदायिक मानकों का उल्लंघन (violated community standards) किया है। इसलिए उनका अकाउंट 30 दिनों के लिए लॉक कर दिया गया है। ऑपइंडिया से नेहा ने कहा, ”मैंने फेसबुक के इस फैसले के खिलाफ अपील की है। यह बेतुका है कि वे उन समाचार लेखों को सेंसर कर रहे हैं, जो पश्चिम बंगाल में महिलाओं और कमजोर वर्गों पर हो रही हिंसा को उजागर करते हैं।”
उन्होंने आगे कहा , “आईटी नियम, 2021 के अनुसार, फेसबुक को 24 घंटे के भीतर मेरी अपील को स्वीकार करना होगा और इसे 15 दिनों के भीतर निपटाना होगा। यदि वे इसमें देरी करते हैं या वे इस तरह के समाचार लेख को सेंसर करना जारी रखते हैं, तो नियमों के तहत इसकी शिकायत अधिकारी के पास भेजी जाएगी। मैं इस मामले को आगे लेकर जाऊँगी और अधिकारियों को भारतीय कानूनों का पालन करने के लिए फेसबुक की नीतियों से अवगत कराऊँगी।”
हालाँकि, यह पहली बार नहीं है जब फेसबुक ने पश्चिम बंगाल और राज्य में महिलाओं और कमजोर भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ हो रहे अत्याचारों की खबरों को सेंसर किया है। कुछ समय पहले फेसबुक पर शेयर किए गए ऑपइंडिया के एक लेख को भी सेंसर कर दिया गया था। लेख में एक भाजपा कार्यकर्ता के बारे में बताया गया था, जिसे रहस्यमय तरीके से एक पेड़ से लटका पाया गया था। टीएमसी के गुंडों पर उसकी हत्या किए जाने का संदेह था।
उस समय फेसबुक ने निर्णय लिया कि ऑपइंडिया की पोस्ट उनके सामुदायिक दिशा-निर्देशों के खिलाफ है। फेसबुक ने हमारे पेज की पहुँच (reach of our page) को प्रतिबंधित कर दिया और पोस्ट को भी हटा दिया। फेसबुक ने उस पोस्ट को क्यों हटाया, जिसमें पेड़ से लटके मिले भाजपा कार्यकर्ता की मौत की खबर थी? फेसबुक को क्यों लगा कि यह पोस्ट उनके सामुदायिक दिशानिर्देशों के खिलाफ है? क्योंकि उन्होंने सोचा था कि लेख में छपी तस्वीर ने हिंसा को बढ़ावा दिया और महिमामंडित किया। दरअसल, इस लेख में एक प्रतीकात्मक फोटो का इस्तेमाल किया गया था। यह वास्तविक फोटो और वास्तविक अपराध की फोटो नहीं थी। इसका कोई चेहरा नहीं था। इसने हिंसा का जश्न नहीं मनाया। इस लेख ने तो केवल प्रतीकात्मक फोटो के माध्यम से हिंसा की खबर से अवगत कराया था।
बहुत सर्च करने पर हमें केवल फेसबुक का एक लिंक मिला, जिसमें मनमाने दिशा-निर्देश थे। फेसबुक अपनी बात पर अड़ा रहा और यह कहना जारी रखा कि यह पोस्ट उनकी गाइडलाइन्स के खिलाफ है और सेंसर किए जाने के योग्य है। इस प्रकार, बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं के मारे जाने की खबर को दबा दिया गया।
नेहा की पोस्ट को सेंसर किए जाने और साथ ही उनके अकाउंट को लॉक करने के बाद यह स्पष्ट है कि फेसबुक शायद सक्रिय रूप से बंगाल में चुनाव के बाद से टीएमसी के गुंडों द्वारा जारी हिंसा की खबरों को दबाने की कोशिश कर रहा है। टीएमसी ने जीत के बाद से राज्य में कई राजनीतिक दलों, खासकर भाजपा के कार्यकर्ताओं पर जमकर हिंसा की। भाजपा का समर्थन करने वालों को अपने परिवारों के साथ पलायन के लिए मजबूर किया। राजनीतिक हिंसा से राज्य में भय का माहौल पैदा किया।