दिल्ली-हरियाणा सीमा पर किसानों के आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में गत वर्ष के शाहीनबाग मामले का हवाला दिया गया। कोर्ट ने कहा कि हम चाहते हैं कि हम एक कमिटी गठित करेंगे ताकि विषयों पर चर्चा की जाए। कोर्ट ने कहा कि हम किसान और सरकार, दोनों का पक्ष सुनकर कल सुनवाई करेंगे।
"Your Negotiation Does Not Work Apparently, We Will Form A Committee To Resolve The issue":Supreme Court On Farmers Protest https://t.co/hWZZ009VWT
— Live Law (@LiveLawIndia) December 16, 2020
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण विषय है और इसे आपसी सहमति से सुलझाया जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा कि आप चाहते हैं बॉर्डर खोल दिए जाएँ? जिस पर वकील ने कहा कि अदालत ने शाहीनबाग केस के वक्त कहा था कि सड़कें जाम नहीं होनी चाहिए। गौरतलब है कि किसान संगठनों ने सरकार को लिखित में जवाब देते हुए संशोधनों को ठुकरा दिया है। इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा है कि वो किसान संगठनों का पक्ष सुनेंगे, साथ ही, सरकार से पूछा कि अब तक इस विषय पर समझौता क्यों नहीं हो पाया? अदालत की ओर से अब किसान संगठनों को नोटिस दिया गया है, अदालत का कहना है कि ऐसे मुद्दों पर जल्द से जल्द समझौता होना चाहिए। अदालत ने सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों की एक कमेटी बनाने को कहा है, ताकि दोनों आपस में मुद्दे पर चर्चा कर सकें।
अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय मुद्दे सहमति से सुलझाए जाएँ। केंद्र, पंजाब, हरियाणा को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस देकर किसानों से जुड़ी याचिका पर तीनों से कल तक जवाब माँगा है। कल भी सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई।
आज की सुनवाई की कुछ अहम बातें –
- आप सभी लोग एक साथ बैठें। सदस्यों की एक अस्थायी सूची तैयार करें। किसानों के साथ सरकार का जुड़ाव ऐसा नहीं होगा कि ऐसा लगता है।
- खंडपीठ ने एसजीआई को निर्देश दिया कि वह एक समिति बनाए, जिसमें सरकार के सदस्यों और भारतीय किसान संघ के सभी सदस्य शामिल हों जो वार्ता में शामिल हों और एक सौहार्दपूर्ण समाधान पर पहुँचें।SGI ने कहा- सरकार तैयार थी और तैयार है। लेकिन कठिनाई यह है कि उनका कहना बस यह है कि या तो आप कानूनों को निरस्त करते हैं या नहीं। इनकी या तो हाँ है या नहीं। वो बस ‘हाँ या ना’ की तख्तियां लेकर आते हैं। मंत्री बात करने गए थे, उन्होंने मंत्रियों को भी अपनी पीठ दिखाई।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा कि आप चाहते हैं बॉर्डर खोल दिए जाएँ। जिस पर वकील ने कहा कि अदालत ने शाहीन बाग केस के वक्त कहा था कि सड़कें जाम नहीं होनी चाहिए। चीफ जस्टिस ने वकील को टोकते हुए कहा कि वहाँ पर कितने लोगों ने रास्ता रोका था? कानून व्यवस्था के मामलों में मिसाल नहीं दी जा सकती है। चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान पूछा कि क्या किसान संगठनों को केस में पार्टी बनाया गया?