Friday, November 15, 2024
Homeदेश-समाजकोरोना काल में हिसार में जुटी 'किसानों' की भारी भीड़, राकेश टिकैत ने कहा-...

कोरोना काल में हिसार में जुटी ‘किसानों’ की भारी भीड़, राकेश टिकैत ने कहा- 2024 तक जारी रखेंगे आंदोलन

हिसार में किसानों के प्रदर्शन के बीत राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार किसानों पर जुल्म कर रही है। किसान अपना हक माँग रहे हैं।

हरियाणा के हिसार में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत की अगुवाई में हजारों किसान एकत्रित हुए हैं। इस दौरान काफी लोगों के चेहरे पर मास्क नहीं थे। यह प्रदर्शन बीते 16 मई को प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद पकड़े गए प्रदर्शनकारियों पर मुकदमों के विरोध में हो रहा है। राकेश टिकैत ने कहा इस दौरान कहा कि किसानों पर दर्ज मुकदमे वापिस करवाकर ही हिसार से वापस जाएँगे।

टिकैत ने हिसार में आयोजित विरोध प्रदर्शन के दौरान किसान आंदोलन जल्द खत्म करने से इनकार करते हुए कहा कि हम 2024 तक आंदोलन करते रहेंगे। उन्होंने कोरोना काल में भीड़ एकत्र होने का ठीकरा सरकार पर फोड़ा।

टिकैत समेत कई किसान नेता मौजूद

सुबह से ही दूर-दूर से लोग हिसार में प्रदर्शन के लिए एकत्रित हो रहे थे। दोपहर तक बड़ी संख्या में लोग आ जुटे। राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार किसानों पर जुल्म कर रही है। किसान अपना हक माँग रहे हैं। इससे पहले टिकैत ने किसानों से दिल्ली में जुटने का आह्वान किया था। टिकैत ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि किसान आंदोलन शाहीन बागवाला धरना नहीं है, जिसे सरकार जब चाहे उखाड़ फेंके, दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे किसानों के जत्थे नए कृषि कानून वापस होने के बाद ही हटेंगे।

आखिर क्या हुआ था हिसार में?

मई महीने के मध्य में हिसार में प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ हिंसक झड़प हुई थी। जिसमें काफी प्रदर्शनकारी और पुलिसकर्मी जख्‍मी हुए थे। पुलिस ने 300 से अधिक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी और 80 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया था। राकेश टिकैत समेत किसान संगठनों के कई नेताओं ने इसका विरोध किया।

हिसार में विरोध-प्रदर्शन ऐसे समय में हो रहा है, जब 26 मई को दिल्‍ली में किसान संगठनों ने सरकार द्वारा पास तीन कृषि बिलों के विरोध में काला दिवस मनाने का ऐलान किया है।

किसान संगठनों ने किया है 26 मई को काला दिवस मनाने का ऐलान

गौरतलब है कि संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने कृषि कानूनों के विरोध में 26 मई को देशव्यापी काला दिवस मनाने का फैसला किया है। रविवार (मई 23, 2021) को कॉन्ग्रेस समेत 12 बड़ी विपक्षी पार्टियों ने संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान का समर्थन किया है। इसमें पाँच मौजूदा मुख्यमंत्री भी शामिल हैं। इस दिन किसान आंदोलन को शुरू हुए 6 महीने पूरे हो जाएँगे।

12 विपक्षी दलों की तरफ से संयुक्त किसान मोर्चा के समर्थन में जारी किए गए ताजा बयान में 23 मई को लिखे गए पत्र का भी जिक्र किया गया, जिसमें नए कृषि कानूनों को वापस लेने की माँग की गई थी। इसमें कहा गया था कि कृषि कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए। इससे आंदोलन कर रहे किसान सीमाओं से लौट जाएँगे और लाखों अन्नदाताओं को महामारी का शिकार होने से बचाया जा सकता है। कृषि कानूनों को तत्काल निरस्त करने के अलावा विपक्षी नेताओं ने स्वामीनाथन आयोग द्वारा अनुशंसित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) C2+50 प्रतिशत के कानूनी अधिकार की माँग भी की।

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान संगठन केन्द्र के साथ बातचीत फिर शुरू करने को तैयार हैं, लेकिन यह बातचीत नए कृषि कानूनों को वापस लेने पर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि माँगें पूरी होने से पहले किसानों के प्रदर्शन स्थल से हटने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। मीडिया से बातचीत के दौरान टिकैत ने कहा कि जब सरकार बात करना चाहेगी, संयुक्त किसान मोर्चा बात करेगा। 

अमरिंदर सिंह ने की प्रस्तावित धरना प्रदर्शन न करने की अपील

कोरोना के बढ़ते खतरे के बीच पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन से प्रस्तावित 3 दिन के धरना प्रदर्शन को रोकने की अपील की। सीएम ने संगठन से कहा है कि प्रदर्शन करने से कोरोना वायरस का संक्रमण काफी तेजी से फैल सकता है। दरअसल किसान संगठन ने राज्य सरकार पर कोरोना की स्थिति से निपटने में असफल रहने का आरोप लगाते हुए 28 मई को पटियाला में विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया था।

इससे पहले भारतीय किसान संघ (BKU) के प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत ने दिल्ली बॉर्डर पर केन्द्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के लिए प्रदर्शन स्थलों के पास ही कोविड टीकाकरण केंद्र बनाने की माँग की। टिकैत का बयान ऐसे समय में आया, जब सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे दो किसानों की मृत्यु हो गई और उनमें से एक किसान कोरोना वायरस से संक्रमित था।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘गालीबाज’ देवदत्त पटनायक का संस्कृति मंत्रालय वाला सेमिनार कैंसिल: पहले बनाया गया था मेहमान, विरोध के बाद पलटा फैसला

साहित्य अकादमी ने देवदत्त पटनायक को भारतीय पुराणों पर सेमिनार के उद्घाटन भाषण के लिए आमंत्रित किया था, जिसका महिलाओं को गालियाँ देने का लंबा अतीत रहा है।

नाथूराम गोडसे का शव परिवार को क्यों नहीं दिया? दाह संस्कार और अस्थियों का विसर्जन पुलिस ने क्यों किया? – ‘नेहरू सरकार का आदेश’...

नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे के साथ ये ठीक उसी तरह से हुआ, जैसा आजादी से पहले सरदार भगत सिंह और उनके साथियों के साथ अंग्रेजों ने किया था।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -