टिकरी बॉर्डर के किसान प्रदर्शन स्थल पर पर बंगाल की युवती के साथ हुए दुष्कर्म मामले में झज्जर पुलिस ने कल (11 मई 2021) संयुक्त किसान मोर्चा के नेता योगेंद्र यादव से 2 घंटे तक पूछताछ की। पुलिस ने बताया कि उन्होंने योगेंद्र यादव के अलावा योगिता और कविता नाम की लड़कियों को नोटिस भेजा था। इनमें से योगिता पुलिस के सवालों के जवाब देने थाने पहुँची। डीएसपी पवन ने बताया है है कि SIT गठित कर आरोपित अनूप और अनिल की तलाश की जा रही है।
बता दें कि बंगाल की 25 वर्षीय युवती की 30 अप्रैल को कोविड के कारण मृत्यु हुई थी। लगभग एक हफ्ते बाद यानी 8 मई को उसके पिता ने पुलिस में जाकर बताया कि उनकी बेटी का प्रदर्शनस्थल पर यौन उत्पीड़न हुआ। इस मामले मे पुलिस ने 6 लोगों के विरुद्ध विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।
मृतका के पिता ने बताई 1 से 30 अप्रैल की कहानी
स्वराज्य मैग्जीन के ऑनलाइन पोर्टल पर प्रकाशित स्वाति गोयल शर्मा की रिपोर्ट के अनुसार, मृतक पीड़िता के पिता भी श्रमिक संघ से जुड़े हुए हैं। वे हुगली में Appreciation for Protection of Democratic Rights संस्था के सदस्य हैं। उनकी बेटी एक आर्टिस्ट और डिजाइनर थी।
रिपोर्ट में पीड़ित पिता के हवाले से बताया गया है कि 1 अप्रैल को 6 लोग खुद को किसान सोशल आर्मी का सदस्य बताकर बंगाल आए और स्थानीय कार्यकर्ताओं से मिले। इनमें अनूप सिंह, अनिल मलिक, अंकुर सांगवान, कविता आर्या शामिल थे। इनके अलावा जगदीश बरार भी कुश्ती किसान यूनियन के साथ पहुँचा था। खुद को स्वतंत्र एक्टर कहने वाली योगिता सुहाग भी आई थी। ये सारे लोग संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कैंपेन कर रहे थे।
4 अप्रैल को पीड़ित पिता-पुत्री की मुलाकात इस समूह से हुगली में हुई। लड़की ने इस दौरान उनके साथ जाकर प्रदर्शन में शामिल होने की इच्छा जाहिर की। शुरुआत में पिता ने मना किया, लेकिन बाद में मान गए। कुछ दिन बाद वे हावड़ा स्टेशन से दिल्ली से गए किसान नेताओं के साथ रवाना हुई। पिता ने अनिल से इस दौरान कहा कि उसे उनकी बेटी का ख्याल बहन की तरह रखना है। वहीं लड़की की माँ ने अनिल से कहा कि वह उनकी बेटी का हर समय ध्यान रखे और उसकी रक्षा करे।
दिल्ली में पीड़िता के साथ क्या हुआ?
12 अप्रैल को ये लोग दिल्ली पहुँचे। लड़की दिल्ली में नई थी तो उसे यहाँ का ज्यादा कुछ नहीं पता था। उसे अनिल, अंकुर और अनूप के टेंट में रखा गया। 14 अप्रैल को लड़की ने पिता को बताया कि उसका ट्रेन में उत्पीड़न हुआ। ट्रेन में अनिल उसके नजदीक आया। उसे जबरन चूमा। लेकिन उसने इसका विरोध करते हुए उनसे कहा कि वह दोबारा ये सब न करे।
पिता से बातचीत में लड़की ने घबराते हुए बताया था कि अनिल और अनूप अच्छे लोग नहीं हैं। इसके बाद पिता ने उसे कहा कि वह महिलाओं के टेंट में जाकर रुके। 16 अप्रैल को उसने पिता को कहा कि सारी बातें जगदीश और योगिता को बता दी हैं और योगिता ने उसकी एक वीडियो भी बनाई है।
इसी दिन पीड़िता ने पिता को यह भी जानकारी दी कि उसके यूरिन से खून आया है। पिता ने घबराकर उसे डॉक्टर के पास जाने की कहा। साथ ही दूसरे टेंट में शिफ्ट होने को कहा। 17 अप्रैल को लड़की के पिता ने योगिता से जब बात की तो उन्हें कहा गया कि चितवन और अमित सांगवान नाम के 2 वकील मामले को देख रहे हैं। किसी हिम्मत सिंह और जगदीश की मदद से ये मामला किसान सोशल आर्मी के नेताओं तक जाएगा- इस बात का आश्वाशन भी योगिता ने लड़की के पिता को दिया।।
इसके बाद लड़की को पिलर नंबर 774 बने टेंट में शिफ्ट किया गया, जहाँ अन्य महिलाएँ थी। कुछ दिन बाद लड़की ने बताया कि उसे माहवारी हुई है और अब वह रिलैक्स है। पिता के मुताबिक, जब उन्होंने बेटी से पूछा कि इसमें खुश होने वाली क्या बात है तो उसने कहा, “आप मर्द लोग नहीं समझोगे।” इस बातचीत के बाद ही युवती के पिता समझ गए थे कि उनकी बेटी के साथ कुछ बुरा हुआ है।
21 अप्रैल से तबीयत बिगड़नी शुरू हुई
21 अप्रैल को लड़की को बुखार आया और फिर लूज मोशन और उल्टियाँ होने लगीं। बाद में उसे टिकरी बॉर्डर पर बने मेडिकल कैंप ले जाया गया, लेकिन हालत नहीं सुधरी। वह बुरी तरह खाँसती रही और धीरे-धीरे साँस लेने में भी दिक्कत होने लगी। परेशान पिता ने बेटी की हालत जानकार कोलकाता में जय किसान आंदोलन से जुड़े डॉक्टर अवीक शाह से बात की, उनसे मेडिकल सहायता माँगी।
24 अप्रैल को योगेंद्र यादव तक पहुँचा मामला
24 अप्रैल योगेंद्र यादव तक मामला पहुँचा। उन्होंने पीड़िता से फोन पर बात की और डॉ. वत्स को उसे मेडिकल सहायता देने को कहा। 25 अप्रैल को जब अनिल और अनूप को इन सबकी जानकारी हुई तो वह टिकरी से लड़की को ले जाने लगे। पिता को बताया गया कि क्या वह उसे बंगाल ले आएँ? हालाँकि पिता ने इस हाल में उसे टिकरी में फौरन इलाज देने को कहा। लेकिन वह लोग कार में बंगाल के लिए निकल गए थे।
पीड़िता के पिता ने डॉ. वत्स से संपर्क किया, जिन्होंने बाद में योगेंद्र यादव से बात की। जब यादव ने अनिल से बात की तो उसने बताया कि वह आगरा पार कर गए हैं। मगर, जब लोकेशन माँगी गई तो वह हरियाणा के हांसी का निकला। यादव ने फौरन उनसे लड़की को वापस लाने को कहा। साथ ही चेतावनी दी कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो वो पुलिस को बताएँगे।
युवती के पिता के मुताबिक, ये स्पष्ट रूप से उनकी लड़की के अपहरण करने का प्रयास था। लेकिन वह 25 अप्रैल को टिकरी ले आई गई। बाद में 26 अप्रैल को एक कमेटी उसे पीजीआई अस्पताल ले गई, वहाँ इलाज नहीं होने पर उसे प्राइवेट अस्पताल में भर्ती किया गया। वहाँ वह कोविड पॉजिटिव निकली।
29 अप्रैल को दिल्ली पहुँचे युवती के पिता
जैसे ही पिता को अपनी बेटी की बिगड़ती हालात को पता चला वह 29 अप्रैल को दिल्ली पहुँचे। बेटी ने उन्हें सारी बातें बताते हुए कहा, “हमारे साथ खराब काम हुआ है।” रिपोर्ट में पिता के हवाले से कहा गया है, “मुझे समझ आने लगा था कि वह अपनी माहवारी आ जाने से इतनी खुश क्यों थी और क्यों उसे पेशाब के साथ खून निकला था। उसने मुझसे अनिल और अनूप को सजा दिलवाने को कहा। साथ ही कहा कि किसान आंदोलन को नुकसान न हो।”
पुलिस के सामने कुछ न बोलने का बनाया गया पिता पर दबाव
30 अप्रैल को लड़की की मृत्यु के बाद पिता पर दबाव बनाया गया कि पुलिस के सामने यही कहा जाए कि मौत कोविड के कारण हुई। अगर ऐसा नहीं किया गया तो बेटी का शव नहीं ले जा पाएँगे। उन्होंने एक स्टेटमेंट में बता दिया कि मौत कैसे हुई। हालाँकि दाह-संस्कार के बाद उन्हें ये बात कचोटती रही और उन्होंने सबसे बात करके जाना कि आखिर उनकी बेटी के साथ क्या हुआ। आखिर में 8 मई को जाकर इस संबंध में शिकायत हुई और किसान आंदोलन के बीच हुआ ये कुकर्म उजागर हुआ।