दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के वकील महमूद प्राचा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। यह एफआईआर पुलिस द्वारा गुरुवार को उनके कार्यालय में किए गए छापे को बाधित करने के आरोप में दर्ज की गई है।
Counter Intelligence Unit of Delhi Police Special Cell has lodged an FIR against advocate Mahmood Pracha under sections 186, 353 and 34 IPC at Nizamuddin PS for allegedly obstructing a public servant from discharging public duty by using criminal force; Investigation underway
— ANI (@ANI) December 26, 2020
यह एफआईआर दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की काउंटर इंटेलिजेंस यूनिट द्वारा निजामुद्दीन थाने में दर्ज की गई है। वकील प्राचा पर एक सरकारी कर्मचारी को आपराधिक बल का प्रयोग करके कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने का आरोप है। पुलिस ने इस मामले में आईपीसी की धारा 186, 353 और 34 के तहत एफआईआर दर्ज की है।
गौरतलब है कार्यालय पर हुई छापेमारी के बाद प्राचा ने कल दिल्ली में पटियाला हाउस कोर्ट का रुख किया था। जहाँ प्राचा ने छापे के फुटेज को संरक्षित करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि पुलिस ने फुटेज की कॉपी उनके साथ साझा करने से इनकार कर दिया है। साथ ही आरोप लगाया कि जाँच अधिकारी ने उनके खिलाफ एक झूठा मामला दर्ज करने के बारे में धमकी दी है। वकील ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के तहत एक आवेदन दायर करते हुए मामले की निरंतर निगरानी की माँग की है।
वहीं अदालत ने मामले के जाँच अधिकारी को प्राचा के ऑफिस परिसर में उनके द्वारा ली गई तलाशी की पूरी वीडियो फुटेज के साथ सुनवाई की अगली तारीख 27 दिसंबर को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया है।
महमूद प्राचा के खिलाफ सांप्रदायिक घृणा भड़काने के लिए हुई थी FIR
इसी साल, जुलाई माह में प्राचा और शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद, दोनों पर एफआईआर दर्ज की गई थी। दोनों ने ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुस्लिमों और दलितों को ‘आत्म-रक्षा के अधिकार’ और बन्दूक और लाइसेंस आवेदन करने को लेकर बयान दिए थे।
हालाँकि, FIR के बावजूद, महमूद प्राचा को लखनऊ मस्जिद के अंदर एक शिविर में देखा गया था, जहाँ वह मुस्लिम समुदाय के लोगों को प्रशिक्षण दे रहा था कि लाइसेंस के लिए किस तरह आवेदन कर आग्नेयास्त्रों को कैसे हासिल कर सकते हैं। महमूद प्राचा ने इस साल अगस्त के महीने में CAA विरोधी प्रदर्शन फिर से शुरू करने की बात भी कही थी।