दक्षिण भारत से धर्मांतरण की खबरें आना अब सामान्य हो गई हैं। वहाँ पर सक्रिय कट्टरपंथी संगठन और ईसाई मिशनरियाँ लंबे समय से इस काम को अंजाम देती आई हैं। तमाम लोग इनके शिकार हुए हैं। इन्हीं में से एक तमिलनाडु के तिरुनेलवेली के रंजन (बदला नाम) भी हैं जिनका संपर्क हाल में न्यूज 18 से तब हुआ जब मीडिया संगठन इस धर्मांतरण मामले पर अपनी पड़ताल कर रहा था।
30 साल के रंजन ने बताया कि कैसे उनके स्कूल में उन्हें अच्छे नंबरों के लिए सलाह दी जाती थी कि वह यीशु का अनुसरण करें। रंजन बताते हैं कि उन्हें एक्स्ट्रा क्लास के समय कहा जाता था कि अगर वे अच्छे नंबर चाहते हैं और जीवन में कुछ अच्छा करना चाहते हैं तो उन्हें किसी और ईश्वर को नहीं बल्कि जीसस की आराधना करनी चाहिए। इससे उनके शरीर को न ही कोई परेशानी आएगी और न ही वे जीवन में कभी किसी क्षेत्र में फेल होंगे।
रंजन के पिता ने बताया कि जब उन्हें इस घटना के बारे में पता चला तो उन्होंने तुरंत उस स्कूल से अपने बच्चे को निकलवाकर अलग एडमिशन दिलाया। वह कहते हैं- “स्कूल कोई ऐसी जगह नहीं है जहाँ हम ये सीखें कि कैसे एक धर्म दूसरे धर्म से अच्छा है। इससे नफरत पैदा होती है। कई और अभिभावकों को ये जानकर गुस्सा आया था। हमने इस संबंध में स्कूल प्रशासन को भी शिकायत की लेकिन किसी ने गंभीरता से इस पर एक्शन नहीं लिया।”
बता दें कि कुछ दिन पहले कन्याकुमारी के एक स्कूल में कक्षा 6 में पढ़ने वाली एक लड़की ने प्रशासन को शिकायत की थी कि उनके स्कूल में एक टीचर हैं जो उसे और उसके अन्य सहपाठियों को बाइबल पढ़ने को बोलती हैं और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियों को शैतान बताती हैं। इस घटना को मीडिया में तूल मिलने के बाद स्कूल टीचर तो नौकरी से सस्पेंड हो गईं मगर ये मुद्दा शांत नहीं हुआ। कुछ माह पहले लावण्या केस और हाल में कन्याकुमारी वाले मामले ने ये सवाल खड़ा कर दिया कि आखिर राज्य के स्कूलों में ये सब क्या हो रहा है।
न्यूज 18 की ही रिपोर्ट में एक 14 साल की लड़की ने बताया हुआ है कि कैसे उन्हें ये समझाया जाता है कि “हिंदू शैतान हैं। अगर तुम यीशु की प्रार्थना नहीं करोगे तो दुख मिलेगा। अगर जीवन में सफल होना चाहते हो तो बाइबल का उपयोग करो।” लड़की के पिता ने बताया कि वह इस बारे में जानने के बाद कुछ अन्य बच्चों के अभिभावकों के साथ शिकायत करने गए थे। हालाँकि उन्हें वहाँ कहा गया कि वो ऐसा दोबारा नहीं करेंगे।
इस रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा के नाम पर धर्म का प्रचार सिर्फ स्कूलों में सीमित नहीं है। ये ट्यूशन सेंटर में भी चालू रहता है। एक आरती (बदला नाम) नाम की लड़की ने बताया कि उनकी ट्यूशन टीचर ने एक बार उन्हें प्रार्थना में शामिल होने को कहा था, लेकिन उन्होंने इससे मना कर दिया। ऐसे में उन्हें प्रार्थना में शामिल होने पर मजबूर किया गया। ऐसे ही एक लड़का भी था ट्यूशन में जिसे कहा गया था कि अगर वो अच्छे नंबर चाहता है तो प्रार्थना में जरूर शामिल हो।
न्यूज 18 की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा के नाम पर धर्म को बढ़ावा देने का काम लंबे समय से होता आया है। नगरकोल में स्कूल का संचालन करने वाले थीवा प्रकाश बताते हैं कि लोग ये कहकर आते हैं कि वो सेल फोन के इस्तेमाल, तकनीक के दुरुपयोग आदि पर लेक्चर देंगे पर बातें धीरे-धीरे धार्मिक शिक्षा की ओर चली जाती हैं। ये बताया जाने लगता है कि कैसे एक धर्म अच्छा है और बाकी बुरे। ये पूर्ण रूप से 8-9 साल के बच्चों का ब्रेनवॉश करने की कोशिश होती है। इसी प्रकार कन्याकुमारी के सेवानिवृत्त प्रोफेसर उमयोरू भगन कहते हैं कि लालच देकर धर्म परिवर्तन की समस्या क्षेत्र में नई नहीं है। इस दिशा में काम करने वाले भास्कर कहते हैं कि उन्हें धर्मांतरण से जुड़ी दो-तीन शिकायतें तो हर हफ्ते मिलती ही हैं।