बीते दिनों हुए हिंदू विरोधी दंगों के बाद उत्तर-पूर्वी दिल्ली का माहौल अब शांत है। बावजूद स्थानीय लोग के मन से उन दो दिनों में बरपे कहर की कड़वी यादें खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं। हिंसाग्रस्त इलाकों में रह रहे कई लोगों को अब भी डर है कि कभी भी हमला हो सकता है। कई लोग अब भी घर से बाहर निकलने में घबरा रहे हैं। इसी माहौल को देखते-परखते हुए आज यानी शुक्रवार को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फोर्स की तैनाती की गई है।
टाइम्स नाउ की खबर के अनुसार, उत्तर-पूर्वी दिल्ली के आसपास के इलाकों में फोर्स की तैनाती जुमे की नमाज के मद्देनजर की गई है। हालाँकि, फोर्स की तैनाती एहतियातन हुई है। लेकिन, सोशल मीडिया पर लोगों का पूछना है कि आखिर इस डर के साथ कब तक रहना पड़ेगा। यूजर्स पूछ रहे हैं कि जुमे की नमाज में ऐसा क्या होता है कि हर बार फोर्स की तैनाती करनी पड़ती है।
#JustIn | Forces have been deployed in areas surrounding N-E Delhi ahead of the Friday prayers. pic.twitter.com/kKDk9XjQTb
— TIMES NOW (@TimesNow) March 13, 2020
गौरतलब है कि 24-25 फरवरी को दंगाइयों ने हिंदुओं, उनके शैक्षणिक संस्थानों, धार्मिक स्थलों, दुकानों, घरों, वाहनों को चुन-चुनकर निशाना बनाया था। हर जगह हुई तोड़फोड़, पहले से तैयार पेट्रोल बम, गुलेल, ईंट-पत्थर आदि इस बात का सबूत हैं कि हिंसा अचानक नहीं भड़की थी। सुनियोजित तरीके से इसे अंजाम दिया गया था।
दंगों के बाद से ही सबके मन में यही सवाल उठ रहा है कि अचानक उपद्रवियों के हाथ में तेजाब की थैलियाँ, पेट्रोल बम, ड्रम, ईंट-पत्थर और गुलेल आदि कहाँ से आ गए। हिंसा खत्म होने के कुछ दिन बाद की रिपोर्ट्स देखें तो धीरे-धीरे से इस पर से पर्दा उठा और सारी तस्वीर साफ हो गई। पता चला कि इन दंगों को अंजाम देने के लिए ईंट-पत्थर एक सप्ताह पहले से ही इकट्ठा करना शुरू कर दिया गया था। बताया गया था कि इस हिंसा के लिए ट्रैक्टरों की मदद से एक हफ्ते पहले ही भट्ठों से ईंटे मँगवा ली गई थीं। सात ट्रक पत्थर तो AAP के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन के घर के पास ही उठाए गए थे।