Friday, November 15, 2024
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97% जनता PM मोदी के लॉकडाउन से सहमत, 66% ने कहा- एक धार्मिक समुदाय के कारण बढ़े आँकड़े: गैलप

कोरोना महामारी से जंग के बीच देश की 91% जनता का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार सही दिशा में काम कर रही है। अमेरिका की बात करें, तो उनके देशों में मार्च मात्र 42% लोगों का ऐसा मानना था कि उनकी सरकार ने कोरोना से लड़ने के लिए उपयुक्त कदम उठाए। जबकि इंग्लैंड में ये आँकड़ा मार्च तक 49% था।

कोरोना महामारी से जंग के बीच देश की 91% जनता का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार सही दिशा में काम कर रही है। इससे पहले मार्च माह में 83% लोगों का मानना था कि कोरोना को रोकने के लिए केंद्र सरकार सही कदम उठा रही है। इसी क्रम में अमेरिका की बात करें, तो उनके देशों में मार्च महीने में मात्र 42 प्रतिशत लोगों का ऐसा मानना था कि उनकी सरकार ने कोरोना से लड़ने के लिए उपयुक्त कदम उठाए। वहीं, इंग्लैंड (यूनाइटेड किंग्डम) में ये आँकड़ा मार्च तक 49% था।

इन आँकड़ों का खुलासा एक सर्वे के बाद हुआ। इस सर्वे को स्विट्जरलैंट के पोलिंग संगठन गैलअप इंटरनेशनल एसोसिएशन ने कराया। इस स्नैप पोल को विश्व के 28 देशों में कराया गया। इसके मुताबिक, भारत की 91% जनता का मानना है कि नरेंद्र मोदी सरकार कोरोना महामारी में बहुत अच्छा काम कर रही है। जबकि 7% इससे इंकार करते हैं और 2% इस पर कुछ नहीं कहना चाहते। 

इस सर्वे के अनुसार, मार्च से लेकर अप्रैल तक में नरेंद्र मोदी पर विश्वास जताने वालों में इजाफा दिखा है। ग्राफ में हम देख सकते हैं, पहले मात्र 83% लोग इस कथन पर अपनी सहमति दे रहे थे। लेकिन अप्रैल में मोदी सरकार के प्रयासों को देखकर ये आँकड़ा बढ़ा और 91% तक पहुँच गया। 

सर्वे में लॉकडाउन के प्रश्न पर करीब 97% जनता ने माना कि कोरोना रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन समय की माँग थी और वे सरकार के निर्णय का समर्थन करते हैं। इसके अलावा 75% का मानना है कि वे अब बुरे दौर को पीछे छोड़ चुके हैं। आने वाले समय में चीजें सुधरना शुरू करेंगीं।

इसी प्रकार 69% जनता ने माना कि विदेशी ताकतों के कारण कोरोना का प्रसार हुआ। जबकि 66% लोगों ने कहा कि एक धार्मिक समुदाय के कारण यहाँ कोरोना आँकड़ों में औचक बढ़ोतरी हुई। इसके अतरिक्त मात्र 34 % लोगों ने इस बात को कहा कि उन्हें लॉकडाउन में बुनियादी जरूरतों, खाना और सब्जियों को लेकर दिक्कत हुई।

ऐसे ही कोरोना महामारी के कारण उपजे हालातों में इस पोल में मानवाधिकारों के त्याग पर भी सवाल किया गया। जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए 91% लोगों ने कहा कि अगर उनके मानवाधिकारों के बलिदान होने से देश को कोरोना से लड़ने में मदद मिल सकती है, तो वे इसके लिए तैयार हैं। बता दें कि मार्च में मानवाधिकारों के त्याग की बात पर भी 86% लोगों ने सहमति जताई थी। मगर, अप्रैल के हालातों को देखकर ये आँकड़ा भी बढ़ा दिखा।

इतना ही नहीं, इस सर्वे ने कोरोना महामारी को फैलने से रोकने की दिशा में भारतीयों की प्रतिबद्धता को अन्य देशों के मुकाबले अधिक दिखाया। भारत में लॉकडाउन के दौरान जहाँ 45 % लोगों ने अस्थायी रूप से अपने काम पर रोक लगाई। वहीं वैश्विक स्तर पर ये आँकड़ा 28 प्रतिशत रहा।

गौरतलब है कि गैलप इंटरनेशनल एसोसिएशन स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में पंजीकृत पोल संगठनों का संघ है। जिसने विश्व के 28 देशों में ये सर्वे कराया और जिसमें उसने भारत के अलावा जर्मनी, इटली, रूस, यूएसए को भी शामिल किया। इस सर्वे का उद्देश्य देश के आम लोगों की ये राय जानना था कि वे कोरोना महामारी के बीच अपनी सरकार द्वारा उठाए प्रयासों से कितने सहमत हैं? तीन सर्वेक्षणों की कड़ी में ये से दूसरा सर्वे था। इससे पहले एक सर्वे मार्च में कराया गया था।

बता दें कि कोरोना वायरस के संक्रमण पर काबू पाने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार के प्रयासों की पहली बार तारीफ नहीं हुई है। इससे पहले भी वे इस संकट की घड़ी में अपना लोहा मनवाते हुए प्रिय ग्लोबल लीडर बन चुके हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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