हाल ही में किसान आंदोलन को भड़काने में जिस ‘टूलकिट’ का जिक्र सामने आया था, दिल्ली पुलिस ने उसे बनाने वालों के संबंध में शुक्रवार (फरवरी 05, 2021) को गूगल और अन्य सोशल मीडिया कंपनियों से ईमेल आईडी, डोमेन यूआरएल और कुछ सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी देने को कहा था। बताया जा रहा है कि गूगल ने इस टूलकिट को बनाने वालों की जानकारी साझा करने के लिए अपनी सहमती दे दी है।
#Breaking | Google to identify Toolkit ‘creators’.
— TIMES NOW (@TimesNow) February 9, 2021
Delhi Police awaits Google’s response. | #TimesNowExposesFDI pic.twitter.com/PTaPcY5n47
उल्लेखनीय है कि किसान आन्दोलन को लेकर पॉप सिंगर रिहाना के ट्वीट के बाद जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) ने ‘गलती से’ एक ‘टूलकिट’ ट्विटर पर शेयर कर डाली थी। इसके बाद दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने भारत सरकार के खिलाफ सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक युद्ध छेड़ने के इरादे से ये ‘टूलकिट’ तैयार करने वाले ‘खालिस्तान समर्थक’ निर्माताओं के खिलाफ FIR दर्ज की थी।
इस ‘टूलकिट’ में मौजूद डॉक्यूमेंट के सम्बन्ध खालिस्तान-समर्थक समूह ‘पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन’ से जुड़े नजर आए थे। इसमें पता चला था कि गत 26 जनवरी को हुई हिंसा सहित पिछले कुछ अन्य घटनाक्रमों को एक नियत और योजनाबद्ध तरीके से तैयार किया गया था और इसका लक्ष्य भारत के खिलाफ सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक युद्ध छेड़ना है।
अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद पुलिस ने बताया था कि इस ‘टूलकिट’ का लक्ष्य भारत सरकार के खिलाफ वैमनस्य और दुष्प्रचार के साथ ही, विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृति समूहों के बीच वैमनस्य की स्थिति पैदा करना है। गौरतलब है कि स्वीडिश एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने भारत में जारी किसान आंदोलन के समर्थन में एक ट्वीट किया, लेकिन कुछ ही देर बाद यह ट्वीट ग्रेटा ने डिलीट भी कर दिया था। हालाँकि, तब तक बहुत देर भी हो चुकी थी। इस डॉक्यूमेंट से यह स्पष्ट हो गया है कि किसान आन्दोलन एक सोची समझी रणनीति के साथ शुरू किया गया था और 26 जनवरी का उपद्रव भी इसी रणनीति का हिस्सा था।