सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वो कोरोना वैक्सीन का मूल्य निर्धारण करने का अधिकार इसके निर्माताओं को न दे। सर्वोच्च न्यायालय ने पूछा कि जब वैक्सीन निर्माताओं के पास ही इसका दाम तय करने के अधिकार होंगे तो वो कैसे बराबरी सुनिश्चित करेंगे? जस्टिस चंद्रचूड़ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के जरिए केंद्र सरकार को वैक्सीन के निर्माण के लिए अतिरिक्त व्यवस्थाएँ सुनिश्चित करने को कहा।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों में हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को 10 सवालों की सूची दी थी। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि केंद्र सरकार ही सारे वैक्सीन खरीदे और फिर राज्यों को दे। सवालों की सूची में ये भी पूछा गया कि केंद्र सरकार ने वैक्सीन निर्माता कंपनियों में कितना निवेश किया है और उन्हें क्या सहूलियतें दी हैं। साथ ही ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए एक रियल टाइम मेकेनिज्म विकसित करने की सलाह दी।
SG ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार हर वो कुछ करने के लिए तैयार है, जिसकी नागरिकों को ज़रूरत हो। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक ‘राष्ट्रीय टीकाकरण नीति’ का अनुसरण करने की सलाह दी। उन्होंने वैक्सीन की पहुँच से SC/ST समुदाय के बाहर होने की आशंकाओं पर चिंता व्यक्त की। वहीं जस्टिस रवींद्र भट ने कहा कि जो स्वास्थ्यकर्मी अधिक कार्य कर रहे हैं, उन्हें रुपए भी उसी हिसाब से मिलने चाहिए।
“Why should we as a nation pay this? The price difference becomes 30 to 40,000 crores. There is no point for price difference. We are not directing it but you should look into it”, Justice Bhat tells Solicitor General on differential pricing for COVID vaccines.#SupremeCourt
— Live Law (@LiveLawIndia) April 30, 2021
उन्होंने कहा कि हम सिर्फ ये कह कर इतिश्री नहीं कर सकते कि वो कोविड वॉरियर्स हैं क्योंकि कई नर्सों की मौत हुई है। उन्होंने कहा कि अब स्वास्थ्यकर्मियों के लिए आभार जताने का समय है। उन्होंने केंद्र सरकार से ये भी पूछा कि जब AstraZeneca अमेरिका के नागरिकों को कम दाम पर वैक्सीन दे रही है तो हम क्यों इसका ज्यादा मूल्य दें? उन्होंने आँकड़े गिनाए कि इससे 30-40 हज़ार करोड़ रुपयों का अंतर आ रहा है।
Solicitor General tells the bench that 60% of people who are briefing him are #COVID positive.
— Live Law (@LiveLawIndia) April 30, 2021
“Officers who sat with me till 1 am are covid positive. This is an issue facing the nation and we must respond as a nation”, SG tells bench.
जस्टिस रवींद्र भट ने पूछा, “एक राष्ट्र के रूप में हम इतना पैसा क्यों दें?” उन्होंने इस बात से आपत्ति जताई कि वैक्सीन के लिए जहाँ कंपनियाँ केंद्र से 150 रुपए प्रति डोज मूल्य ले रहा है, वहीं राज्यों को 300-400 रुपए प्रति डोज चुकाने पड़ रहे हैं। उन्होंने ‘ड्रग्स प्राइस कंट्रोल’ के नियम 19 एवं 20 की याद दिलाते हुए कहा कि केंद्र सरकार दवाओं का दाम निर्धारित कर सकती है। उन्होंने कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि 4500 करोड़ कहाँ और कैसे दिए गए।
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी चिंता जताई कि सोशल मीडिया के माध्यम से आपात मदद माँगने वालों पर कार्रवाई की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई नागरिक सोशल मीडिया या इंटरनेट के माध्यम से अपनी शिकायतें कहता है या मदद माँगता है तो इसे ‘गलत सूचना’ नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि सभी राज्यों के DGP ये समझ लें कि ऐसी शिकायत करने वालों के खिलाफ कार्रवाई हुई तो इसे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी।