उत्तराखंड के हल्द्वानी में गुरुवार (8 फरवरी, 2024) को इस्लामी भीड़ ने अवैध कब्ज़ा हटाने गए नैनीताल जिले के प्रशासनिक अमले पर हमला किया था। पत्थरों, तलवारों, गोलियों और भैंस काटने वाले चापड़ों द्वारा हुए इस हमले में पुलिस और नगर निगम के कई स्टाफ घायल हुए थे। ऑपइंडिया की टीम ने ग्राउंड पर जा कर हिंसा से जुड़ीं तमाम जानकारियाँ जुटाईं थीं। इस दौरान हमें बताया गया कि जिन मुस्लिम व्यापारियों से हिन्दुओं के पुराने ग्राहक वाले ताल्लुकात थे वो भी हिंसा के दिन हथियार ले कर हमलवार के तौर पर देखे गए थे।
साथ ही लोगों ने एक 3 मंजिला अवैध मकान का भी जिक्र किया जहाँ से अक्सर हिंसक गतिविधियाँ संचालित होती हैं।
हमलावरों के पास FCI के ठेके
ऑपइंडिया की टीम गंभीर रूप से घायल अमरदीप सोनकर के घर पहुँची। अमरदीप उन हिन्दुओं में शामिल हैं जो दंगाइयों से पुलिस और नगर निगम स्टाफ को बचाते हुए घायल हुए थे। अमरदीप सोनकर ने हमें बताया कि उन्होंने खुद बबलू कुरैशी को पत्थरबाजी करते देखा था। बबलू कुरैशी के परिवार की अधिकतर गाड़ियाँ हल्द्वानी जिले के FCI (भारतीय खाद्य निगम) के गोदामों के अटैच हैं। गाँधीनगर के एक निवासी ने हमें नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से यह कुरैशी परिवार न अनाज के ट्रांसपोर्ट से मोटा मुनाफा कमा रहा था बल्कि गोदाम से सस्ते दामों में बोरियाँ खरीद कर महंगे दामों में बेच देता था। इसी पैसे का उपयोग कुरैशी परिवार ने 3 मंजिला बिल्डिंग बनाने में किया था।
हिंसा में मरा कथित दंगाई फईम कुरैशी भी इसी परिवार का सदस्य था। इसी घर के एक अन्य सदस्य को ऑपइंडिया द्वारा शेयर किए गए वायरल वीडियो में भी देखा जा सकता है। इस वीडियो में एक हिन्दुओं को अकेले घेर कर कुछ मुस्लिमों की भीड़ पीट रही है। वीडियो के बीच में ही हरे और सफेद मिक्स रंग की टी शर्ट पहन कर इसी कुरैशी परिवार का एक सदस्य उस भीड़ में शामिल हो जाता है। गांधीनगर के अधिकतर चोटिल लोगों का आरोप है कि इस कुरैशी के 3 मंजिला मकान से सबसे ज्यादा पेट्रोल बम और पत्थर पुलिस व नगर निगम स्टाफ के साथ आम नागरिकों पर फेंके गए।
शादियों में बुकिंग करते थे घोड़ियाँ लेकिन दंगों में शामिल
स्थानीय निवासियों का यह भी कहना था कि इस से पहले भी अक्सर जितने भी छोटे-बड़े विवाद होते हैं उसमें इस 3 मंजिला बिल्डिंग का प्रयोग लॉन्च पैड के तौर पर होता रहा है। उन्होंने बबलू कुरैशी परिवार के इस निर्माण को अवैध बताते हुए उस पर बुलडोजर चलाने की माँग की। गांधीनगर निवासी शुभम गुप्ता ने भी ऑपइंडिया से बात की। उन्होंने हमें बताया कि जिस तीन मंजिला मकान से हिन्दुओं और पुलिस वालों पर सबसे ज्यादा पत्थर और पेट्रोल बम चले थे वो जगह बग्घी वाले का मकान कहा जाता है।
कभी कुरैशी परिवार के घर से हिन्दू समाज के लोग भी शादियों में घोड़ियाँ बुक करवाया करते थे। बाद में जब FCI में उनकी पैठ बन गई तब इस परिवार ने घोड़ियों की बुकिंग का काम छोड़ दिया। हिंसा में मनोज गुप्ता के भी 2 परिजन घायल हुए हैं।
मुल्ला जी किराना वाले लहरा रहे थे तलवार
ऑपइंडिया ने हिंसा के कुछ अन्य चश्दीदों से बात की। ये चश्मदीद वो हैं जिन्होंने गाँधीनगर में घायल पुलिसकर्मियों को शरण दी थी। उन्होंने हमें नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बचपन से उन्होंने जिस किराना स्टोर पर सामान खरीदा था उसके मालिक को वो मुल्ला जी कह कर बुलाते थे। आरोप है कि हिंसा के दौरान हिंसक भीड़ में उनको भी हंगामा करते देखा गया था। गाँधीनगर के निवासियों के लिए यह अप्रत्याशित था क्योंकि हिंसा से पहले अक्सर किराना दुकानदार उनके मोहल्ले में दोस्ताना माहौल में व्यापारिक कार्यों से आया-जाया करते थे।
गाँधीनगर के चोटिल युवक रितिक ने भी हमें बताया कि उन्होंने जिन्हें पत्थर चलाते देखा वो पहले दोस्त हुआ करते थे।
हिन्दू बहुल मोहल्लों से सब्ज़ी-ठेले वाले गायब
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हल्द्वानी के तमाम पॉश मोहल्लों से सब्ज़ी और फलों के ठेके वाले अब फेरी लगाने नहीं आ रहे हैं। माना जा रहा है कि ये अधिकतर वनभूलपुरा क्षेत्र के मुस्लिम समुदाय के लोग थे जो हिंसा के बाद कहीं चले गए हैं। ऑपइंडिया को भी हल्द्वानी के साईं अस्पताल के आगे एक मोबाइल की दुकान बंद दिखी। लोगों ने बताया कि यह दुकान जावेद सैफी की है। हिंसा के बाद से जावेद दुकान पर नहीं आया। मोबाइल की दुकान के अलावा जावेद बॉडी बिल्डिंग का भी शौक रखता है।
मुस्लिम दुकानदारों ने पहले ही बंद कर ली थी दुकानें
हल्द्वानी के बजरंग दल कार्यकर्ता जोगिंदर राणा उर्फ़ जोगी ने ऑपइंडिया से बात की। उन्होंने बताया कि जिस दिन शाम को हिंसा हुई थी उस दिन अधिकतर मुस्लिम दुकानदारों की दुकानें कुछ घंटों पहले ही बंद हो गईं थीं। जोगिंदर राणा ने प्रशासन से भी माँग की है कि वो इस वजह की तह तक जाएँ जिस से यह साबित हो सके कि इस सुनियोजित हिंसा में कई लोग शामिल थे।