छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले का कवर्धा (Kawardha) पहली नजर में भारत के अन्य छोटे शहरों जैसा ही दिखता है। ऐसे शहरों की अपनी एक विशिष्ट गति होती है। महानगरों सी आपधापी नजर नहीं आती। इसी शहर में है, धर्म ध्वजा चौक जहाँ 108 फीट ऊँचा भगवा ध्वज लहरा रहा है। इस जगह से उन डॉ. रमन सिंह का भी संबंध है जो 22 साल पुराने राज्य में लगातार 15 साल मुख्यमंत्री रहे हैं।
यह शहर 2021 के अक्टूबर में राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आया था। कारण था करमा माता मंदिर पर लगे भगवा ध्वज को कुछ मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा फाड़कर फेंक देना। इसका विरोध करने वाले हिंदू युवक दुर्गेश देवांगन की बेरहमी से पिटाई करना। यह घटना 3 अक्टूबर 2021 को हुई थी। इसके बाद करीब 15 दिन तक कवर्धा में कर्फ्यू रहा। इंटरनेट बंद था। एक तरह से प्रशासन ने सेंसर लगा रखा था कि कवर्धा की स्थिति के बारे में रिपोर्ट बाहर न जाए। प्रशासन पर हिंदुओं पर एकतरफा कार्रवाई के भी आरोप हैं। इसी घटना के बाद 10 दिसंबर 2021 को कवर्धा में 108 फीट ऊँचा भगवा ध्वज लगाया गया था। इस जगह को धर्म ध्वजा चौक का नाम दिया गया है। करमा माता मंदिर भी इससे सटा ही हुआ है।
सालभर बाद भी कवर्धा में हिंदू डरे हुए
3 अक्टूबर की घटना के सालभर बाद भी कवर्धा का प्रशासन सवालों के घेरे में हैं। विश्व हिंदू परिषद के कबीरधाम जिले के कार्यकारी अध्यक्ष कैलाश शर्मा ने ऑपइंडिया को बताया, “उस घटना के बाद से आज भी हिंदू डरे हुए हैं। शहर के अंदर दहशत का माहौल है। पुलिस सहयोग नहीं कर रही। हम इस मामले में कार्रवाई से असंतुष्ट हैं। साल भर में पुलिस ने ऐसा कुछ नहीं किया है जिससे हिंदुओं को संतुष्टि मिले। उनके भीतर का डर खत्म हो।” इस स्थिति के लिए वे प्रदेश की कॉन्ग्रेस सरकार और कवर्धा के विधायक मोहम्मद अकबर (Mohammad Akbar) को दोषी बताते हैं। मोहम्मद अकबर बघेल सरकार में मंत्री भी हैं।
कवर्धा बवाल में मंत्री मोहम्मद अकबर की भूमिका पर सवाल
दुर्गेश के पिता संतोष देवांगन ने भी ऑपइंडिया से बातचीत में इस घटना के लिए मोहम्मद अकबर को ही जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा, “विधायक का करनी है पूरा। जब मेरा लड़का मार खाया तो पीटने वालों के साथ अकबर (विधायक मोहम्मद अकबर) का लड़का भी था।” संतोष देवांगन भी इस मामले में अब तक हुई पुलिसिया कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं। उनका यह भी दावा है कि आरोपित उन पर राजीनामे का दबाव बना रहे हैं।
इस मामले में मोहम्मद अकबर की भूमिका को लेकर बीजेपी के प्रदेश महामंत्री और स्थानीय जिला पंचायत के सभापति विजय शर्मा भी सवाल उठाते हैं। उन्होंने ऑपइंडिया को बताया, “दुर्गेश को 3 अक्टूबर को दोपहर के करीब 2 बजे सरेआम चौक पर पीटा गया। लेकिन उसकी एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही थी। रात के 11 बजे हमलोग एफआईआर दर्ज करने की माँग को लेकर थाने गए। थाने में पुलिस और प्रशासन के वरीय अधिकारी भी मौजूद थे। बावजूद एफआईआर दर्ज करने में टालमटोल हो रहा था। इस बीच हिंदुओं पर दो बार लाठीचार्ज किया जा चुका था। यह सब मोहम्मद अकबर के इशारे पर हो रहा था।”
कवर्धा में सुनियोजित था हिंदुओं पर हमला?
कैलाश शर्मा की माने तो 3 अक्टूबर को जो कुछ हुआ वह सुनियोजित था। उन्होंने ऑपइंडिया से कहा, “भगवा ध्वज का अपमान पूर्व नियोजित था। उसके पहले से कवर्धा में ऐसी घटनाएँ घट रहीं थी, जिससे बहुसंख्यक समुदाय अपने आप को प्रताड़ित महसूस कर रहा था। उस दिन सुनियोजित तरीके से पुलिस-प्रशासन के सहयोग से करमा माता मंदिर के ऊपर लगे भगवा ध्वज को फाड़ा गया। भगवा ध्वज को जमीन पर फेंक पैरों से कुचला गया। इसका विरोध करने पर दुर्गेश देवांगन को जान से मारने की कोशिश पुलिस की मौजूदगी में हुई। उसके बाद शक्ति प्रदर्शन करते हुए 300-350 विधर्मी तलवार लेकर सड़कों पर निकल गए। थाने के सामने भी उन्होंने पथराव किया। पत्थरबाजी के बाद हिंदुओं को जान बचाकर भागना पड़ा।”
पुलिस के सामने दुर्गेश की पिटाई होने का दावा विजय शर्मा भी करते हैं। उन्होंने बताया कि कवर्धा के तत्कालीन थानेदार और उनके मातहतों की मौजूदगी में चौक पर पिटाई की गई थी। साथ ही वे यह भी बताते हैं एक दुकान का शटर गिराकर दुर्गेश की जान भी पुलिसवालों ने ही बचाई थी। दुर्गेश के पिता संतोष देवांगन का कहना है कि जब यह घटना हुई थी वे घर में नहीं थे। लेकिन उनका यह भी कहना है कि हिंदुवादी संगठनों के साथ जुड़ाव के कारण आरोपित पहले भी उनके बेटे के साथ विवाद कर चुके थे।
हिंदुत्व के प्रति समर्पित है दुर्गेश देवांगन का परिवार
हिंदुत्व को लेकर देवांगन परिवार का समर्पण उनकी दुकान को देखकर भी साफ झलकता है। इस परिवार की आलू, प्याज और मसालों की दुकान है। दुकान के साइनबोर्ड पर राम का नाम अंकित है तो शटर पर हनुमान विराजमान हैं। हम भी जब इस दुकान पर पहुँचे तो दुर्गेश की माँ ने ‘जय श्रीराम’ के साथ हमारा अभिवादन किया। उस दिन दुर्गेश शहर में मौजूद नहीं था।
दुर्गेश के पिता ने ऑपइंडिया से बातचीत करते हुए कहा, “3 अक्टूबर को पिटाई होने के बाद हमारा बेटा कहाँ और किस हाल में था, इसकी हमको खबर नहीं थी। यहाँ कर्फ्यू लगा दिया गया। मेरे घर के बाहर भी फोर्स थी। पुलिस से बेटे के बारे में पूछता तो वे कहते कि मिल जाएगा। बाद में रायपुर से उसे गिरफ्तार किए जाने की खबर आई।” उनका दावा है कि पुलिस ने दुर्गेश को बुरी तरह पीटा था। गौरतलब है कि दुर्गेश की गिरफ्तारी के समय भी इस तरह की खबर आई थी। उस समय राजनांदगांव से भाजपा सांसद संतोष पांडेय ने ऑपइंडिया को बताया था, “मुझे थाने में दुर्गेश देवांगन के साथ पुलिस द्वारा मारपीट करने की जानकारी मिली थी। इसके बाद मैं 19 तारीख (19 अक्टूबर 2021) की रात में ही थाने पहुँच गया। लेकिन मुझे दुर्गेश से मिलने नहीं दिया गया।”
सालभर बाद भी कवर्धा में पुलिसिया कार्रवाई पर असंतोष
इस घटना के सालभर बाद भी पुलिसिया कार्रवाई को लेकर असंतोष साफ है। विजय शर्मा भी उन हिंदुओं में थे, जिनकी उस समय गिरफ्तारी हुई थी। वे कहते हैं, “प्रशासनिक जाँच पर हमें भरोसा नहीं है। जब एसपी हाथ में डंडा लेकर लोगों को मार रहा हो तो उनका अधीनस्थ इसकी जाँच कैसे करेगा। हम उस समय भी न्यायिक जाँच की माँग कर रहे थे। आज भी यही कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि इस बात की जाँच हो कि एफआईआर क्यों दर्ज नहीं की जा रही थी? लाठीचार्ज का आदेश किसने दिया? हिंदुओं की गिरफ्तारी किसके कहने पर हुई? ऐसे हिंदुओं को कैसे आरोपित बनाया गया जो घटना के दिन कवर्धा में मौजूद ही नहीं थे? हिंदुओं पर फर्जी धाराएँ किसके कहने पर लगाई गई?” उनका यह भी दावा है कि प्रशासन ने कर्फ्यू यह संदेश देने के लिए लगाया था कि लोगों को लगे कि बीजेपी और विहिप जैसे हिंदूवादी संगठन माहौल बिगाड़ रहे हैं।
कवर्धा में विहिप का अभियान
कैलाश शर्मा ने बताया, “प्रशासनिक उदासीनता से पूरे कबीरधाम जिले की स्थिति विस्फोटक होती जा रही है। इसे देखते हुए विहिप ने निर्णय लिया है कि कबीरधाम में जितने भी मंदिर हैं उनमें विधर्मी और गौ मांस खाने वालों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। इसके लिए हम मंदिरों में जाकर बैनर लगा रहे हैं। हम चाहते हैं कि हिंदू समाज के बीच जागृति आए और वे विधर्मियों से लड़ने के लिए तैयार रहें।” मंदिर में बैनर लगाने के विहिप के इस अभियान से दुर्गेश देवांगन भी जुड़े हुए हैं। उनके नेतृत्व में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने 25 सितंबर 2022 को स्थानीय माँ दंतेश्वरी मंदिर, माँ चंडी मंदिर, माँ परमेश्वरी मंदिर, माँ सिंह वाहिनी मंदिर, खेड़ापति दादा हनुमान मंदिर, माँ काली मंदिर में ये बैनर लगाए।
तलवार लेकर कवर्धा में कौन घूम रहे थे?
ऐसा लगता है कि 3 अक्टूबर 2021 को कवर्धा में हिंदुओं का जो सरकारी दमन शुरू हुआ था, वह सिलसिला सालभर बाद भी थमा नहीं है। विजय शर्मा इसके लिए कॉन्ग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति को जिम्मेदार बताते हैं। वे कहते हैं, “पूरे प्रदेश में जब से कॉन्ग्रेस आई है इस्लामी कट्टरपंथ का उभार हो रहा है। कवर्धा में यह हालात मोहम्मद अकबर के चुने जाने के बाद ही बने हैं। यदि ऐसा नहीं है तो वीडियो होने के बाद भी आज तक उनलोगों की पहचान क्यों नहीं हुई, उन लोगों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई जो 3 अक्टूबर 2021 को पुलिस के साथ तलवार लेकर सड़कों पर घूम रहे थे? आखिर कौन थे वे लोग?” यह वह सवाल है, जिसका जवाब केवल कवर्धा ही नहीं हर हिंदू जानना चाहता है।